तपने को मजबूर हो रहे मवेशी

निगम की गौशाला में नहीं लगे पर्याप्त शेड व हरी नेट

तपने को मजबूर हो रहे मवेशी

पहले अधिकतर मवेशी सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हो रहे थे वहीं अब गर्मी में तपने को मजबूर हैं।

कोटा। शहर में जिस तरह से मौसम गर्म हो रहा है और तापमान 43 डिग्री के पार पहुंच गया है। उस गर्मी में इंसान ही नहीं मवेशी भी तपने लगे हैं। इस गर्मी में निगम की गौशाला में मवेशियों के सिर पर न तो पर्याप्त शेड हैं और न ही हरी नेट। जिससे वे धूप में तपने को मजबूर हैं। निगम की बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में जहां करीब 25 सौ से 3 हजार मवेशी हैं। जिनमें गाय, बैल, सांड व बछड़े सभी शामिल हैं। अधिकतर मवेशी लावारिस हालत में पकड़कर लाए गए हैं। उन मवेशियों को रखने के लिए गौशाला में अलग-अलग बाड़े तो बने हुए हैं लेकिन उन बाड़ों में रहने वाले मवेशियों में से अधिकतर के सिर ढकने की छत तक नहीं है। पहले अधिकतर मवेशी सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हो रहे थे वहीं अब गर्मी में तपने को मजबूर हैं। 

शेड व नेट लगाए लेकिन पर्याप्त नहीं
सर्दी में ठिठुरते मवेशियों को राहत देने के लिए नगर निगम की ओर से उस समय में निर्माण कार्य के टेंडर जारी कर कई बाड़ों में टीनशेड लगाए तो कई में हरी नेट लगाई थी। लेकिन उसके बाद पहले विधानसभा चुनाव और बाद में लोकसभा चुनाव आने से बार-बार आचार संहिता के चलते काम में व्यवधान उत्पन्न हुआ। यही कारण है कि अभी तक भी कई बाड़ों में न तो पर्याप्त शेड लगे हैं और न ही हरी नेट। जिससे उन बाड़ों में रहने वाले मवेशी भीषण गर्मी में तपने को मजबूर हैं। गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना है कि निगम ने शेड व हरी नेट लगाने का टेंडर तो जारी कर दिया। लेकिन आचार संहिता के कारण उसका कार्यादेश जारी नहीं किया। जिससे कई बाड़ों में विशेष रूप से छोटे बछड़ों के साथ रहने वाली गायों के बाड़े में न तो शेड है और न ही हरी नेट। 

गौशाला में पशु चिकित्सक तक नहीं
समिति अध्यक्ष सिंह ने बताया कि गौशाला में जहां करीब ढाई हजार से अधिक गौवंश है। वहां पिछले काफी समय से एक पशु चिकित्सक तक नहीं है। पूर्व में यहां डेपोटेशन पर एक चिकित्सक डॉ. नंदलाल बैरवा को लगाया हुआ था उन्हें भी यहां से हटाकर अनंतपुरा में लगमा दिया है। फिलहाल  यहां का पशु चिकित्सा केन्द्र कम्पाउंडरों के भरोसे है। सिंह का आरोप है कि गौशाला में लावारिस व बीमार हालत आने वाले मवेशियों को देखभाल की अधिक जरूरत है। उनमें से कई मवेशी बैठक लेने के बाद उठ नहीं पाते हैं। जिससे उनकी मौत हो जाती है। हालांकि सर्दी व बरसात की तुलना में फिलहाल यहां गौवंश की मृत्यु दर पहले से कम हुई है। फिर भी कभी 3 तो कभी 4 और कभी दो ही मौत हो रही है। लेकिन गर्मी में बचाव के इंतजाम नहीं किए गए तो यह मृत्यु दर अधिक भी हो सकती है। 

हरा चारा तक नहीं
सिंह का आरोप है कि गौशाला में अधिकतर गौवंश हरा चारा खाते हैं। निगम ने उसका कार्यादेश भी जारी किया हुआ है। लेकिन संवेदक द्वारा कार्यादेश शर्तों के मुताबिक हरा चारा नहीं डाला जा रहा है। करीब एक माह से यहां हरा चारा तक नहीं आ रहा है। 

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इनका कहना है
निगम की गौशाला में डॉक्टर बैरवा के हटने के बाद उनके स्थान पर मंडाना के पशु चिकित्सा केन्द्र के डॉक्टर को  गौशाला का अतिरिक्त प्रभार दिया है। सप्ताह में दो या तीन बार वे गौशाला में विजिट करेंगे। इसके आदेश हाल ही में जारी हुए हैं। वहीं शेड व हरी नेट लगाने का काम चल रहा है। अधिकतर जगह तो लग चुके हैं। जहां बाकी हैं वहां भी जल्दी ही लगा दिए जाएंगे। 
- महावीर सिंह सिसोदिया, उपायुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण 

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