मुझे भले ‘खड़ूस’ कहें, पर मैं ऐसा ही हूं : चंद्रकांत

रणजी क्वार्टर फाइनल में पंजाब के खिलाफ 10 विकेट की बड़ी जीत के बाद बोले मध्य प्रदेश के कोच

मुझे भले ‘खड़ूस’ कहें, पर मैं ऐसा ही हूं : चंद्रकांत

रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल में पंजाब को हराने के तुरंत बाद ही मध्य प्रदेश की टीम ने सेमीफाइनल के लिए तैयारियां शुरू कर दी। पंजाब ने चौथी पारी में 26 रनों के लक्ष्य को 5.1 ओवर में ही पार कर लिया। टीम ने इसके बाद लंच किया, कोच चंद्रकांत पंडित ने 10 मिनट की मीटिंग ली और फिर एक इंट्रा-स्क्वॉड मैच खेलने के लिए टीम फिर से मैदान में थी।

बेंगलुरु। रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल में पंजाब को हराने के तुरंत बाद ही मध्य प्रदेश की टीम ने सेमीफाइनल के लिए तैयारियां शुरू कर दी। पंजाब ने चौथी पारी में 26 रनों के लक्ष्य को 5.1 ओवर में ही पार कर लिया। टीम ने इसके बाद लंच किया, कोच चंद्रकांत पंडित ने 10 मिनट की मीटिंग ली और फिर एक इंट्रा-स्क्वॉड मैच खेलने के लिए टीम फिर से मैदान में थी। कोच पंडित कतई आराम के मूड में नहीं दिखे। मैच के बाद ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ आज शाम को ही इन्हें कुछ देर के लिए छुट्टी मिलेगी। इसके बाद फिर से अगले चार दिन तक हमें अपने अभ्यास में लगना है। भले ही हम क्वार्टर फाइनल जीत गए हों लेकिन हमने मैच के दौरान कुछ गलतियां भी की हैं, जिसे हमें अगले मैच से पहले सुधारना है। विदर्भ को लगातार दो साल बनाया चैंपियनखिलाड़ियों में ‘चंदू सर’ के नाम से मशहूर पंडित के कोचिंग का अंदाज कुछ ऐसा ही है, इसलिए घरेलू क्रिकेट सर्किट में उन्हें सबसे ‘स्ट्रिक्ट कोच’ भी कहा जाता है। लेकिन उन्होंने अपने इसी अंदाज की वजह से 2017-18 और 2018-19 में विदर्भ जैसी टीम को लगातार दो बार रणजी विजेता बनाया था और अब वह एमपी के लिए भी ऐसा करना चाहते हैं।

लोग क्या सोचते हैं, मैं केयर नहीं करता उन्होंने कहा

कि लोग कह सकते हैं कि मैं बहुत ही स्ट्रिक्ट (सख्त) या खड़ूस कोच हूं, लेकिन मैं ऐसा ही हूं। लोग मेरे बारे में क्या सोचते या कहते हैं, मैं इतना केयर भी नहीं करता। मेरी जॉब, मेरा प्रोफेशन ही मेरी प्राथमिकता है। मैं खेल के अनुशासन में विश्वास करता हूं।  मैंने अपने 42 साल के क्रिकेट और कोचिंग करियर में यही सीखा है। आप किसी दिन अच्छा या खराब खेल सकते हैं, लेकिन आपको खेल का अनुशासन बनाकर ही रखना होता है।

गावस्कर, वेंगरसरकर और पाटिल से यही सीखा

पंजाब जैसी मजबूत टीम के खिलाफ 10 विकेट से मिली आसान और बड़ी जीत पर उन्होंने कहा कि मैंने मुंबई क्रिकेट में सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, संदीप पाटिल और अशोक मंकड़ जैसे खिलाड़ियों को देखते और उनके साथ खेलते हुए यही सीखा है कि अगर हम चाहें तो किसी भी मैच को जीत सकते हैं। मैं इसी सिद्धांत पर विश्वास करता हूं। उन्होंने कहा कि पंजाब देश की सर्वश्रेष्ठ घरेलू टीमों में से एक है। उनके पास हमेशा कुछ अच्छे खिलाड़ी होते हैं। इस बार टीम में शुभमन गिल भी था, तो स्वाभाविक रूप से दबाव हमारे ऊपर था। इसके अलावा हमारे पास वेंकटेश अय्यर और आवेश खान भी नहीं थे। हमने बस सुनिश्चित किया कि हम अपनी योग्यता के अनुसार अपना सर्वश्रेष्ठ खेलें और अपना 100 प्रतिशत दें। टीम के सभी लड़कों ने ऐसा ही किया।

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