चोटिल न कर दें अस्पताल की सड़कें, पैदल चलना तक हुआ मुश्किल

आए दिन लोग हो रहे चोटिल, एम्बुलेंस भी हिचकोले खाते निकल रही, बरसात में कीचड़ से होना पड़ेगा दोचार

 चोटिल न कर दें अस्पताल की सड़कें, पैदल चलना तक हुआ मुश्किल

संभाग के सबसे बड़े एमबीएस व जे.के. लोन अस्पतालों की सड़क इन दिनों गांव की सड़कों से भी बदतर हो रही है। उन पर पैदल चलना तक दूृभर हो रहा है। रोगियों को लेकर आने वाली एम्बुलेंस भी हिचकोले खाते हुए निकल रही हैं। जिससे उनके पलटने का खतरा बना हुआ है। वहीं बरसात में रोगियों व उनके परिजनों को कीचड़ से दोचार होना पड़ेगा।

कोटा।  संभाग के सबसे बड़े एमबीएस व जे.के. लोन अस्पतालों की सड़क इन दिनों गांव की सड़कों से भी बदतर हो रही है। उन पर पैदल चलना तक दूृभर हो रहा है। रोगियों को लेकर आने वाली एम्बुलेंस भी हिचकोले खाते हुए निकल रही हैं। जिससे उनके पलटने का खतरा बना हुआ है। वहीं बरसात में रोगियों व उनके परिजनों को कीचड़ से दोचार होना पड़ेगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एमबीएस व जे.के. लोन अस्पतालों में नए ओपीडी ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। जिनका काम तेजी से चल रहा है। दोनों अस्पतालों के तैयार होने पर उनका लाभ आमजन को ही मिलेगा। लेकिन उसके साथ ही अस्पताल परिसर में आरयूआईडीपी द्वारा सीवरेज लाइन डालने का काम किया जा रहा है। उससे दोनों अस्पताल परिसरों की हालत इतनी अधिक खराब हो रही है कि वहां इन दिनों जाना मतलब जान सांसत में लाना है।

मुख्य द्वार से प्रवेश द्वार तक  रास्ता बदहाल
एमबीएस अस्पताल हो या जे.के. लोन। दोनों अस्पतालों के मुख्य द्वार से ही परेशानी शुरू हो रही है जो दोनों अस्पतालों के प्रवेश द्वार तक बनी हुई है। दोनों अस्पतालों की सड़कों को इस तरह से खोदकर पटका हुआ है कि उन पर चार पहिया वाहन व दो पहिया वाहन इस तरह से निकल रहे हैं मानो किसी गांव की पगडंडी पर चल रहे हैं। संकरी सड़क और वह भी इतनी उबड़-खाबड़ कि उस पर कोई भी वाहन बिना  हिचकोले खाए नहीं निकल पा रहा है। रास्तों के कारण हादसों का खतरा बना हुआ है। दोनों अस्पतालों में मरीजों को लेकर आने वाली एम्बूलेंस भी पहले जहां तेजी से आ रही थी वह भी अब इतना संभल कर आ रही है कि कहीं वह पलट न जाए। ऐसे में पैदल चलने वाले तो आए दिन चोटिल हो रहे हैं। किसी का पैर मुड़ रहा है तो कोई गिर रहा है। विशेष रूप से महिलाओं को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

यह है स्थिति
एमबीएस में मुख्य द्वार से लेकर आउटडोर तक की पूरी सड़क बीच से खुदी हुई है। जिससे वहां मरीजों का जाना मुश्किल हो रहा है। इतना ही नहीं कैंटीन के पास से इनडोर अस्पताल तक जाने का बीच का रास्ता भी पूरा खोदकर पटका हुआ है। जिससे पहले जहां मरीज व तीमारदार बैठे रहते थे। वहां अब बैठना तो दूर चलना तक मुश्किल हो रहा है। कॉटेज वार्ड से अधीक्षक व प्रिंसीपल कार्यालय तक की सड़क भी खोद दी है। जिससे वहां से डॉक्टरों की कारों तक को निकलने में परेशानी हो रही है। यहां कॉटेज वार्ड के सामने लगे वाटर कूलर के पास भी सड़क खुदी होने से वहां पानी पीने आने वालों के भी गिरने का खतरा बना हुआ है। उपभोक्ता भंडार पर दवा लेने जाना हो या इंदिरा रसोई में खाना खाने, अस्पताल की मोर्चरी तक तरफ की भी पूरी सड़क बीच से इस तरह से खोदकर पटकी हुई है कि उस पर वाहन चलाना दूभर हो रहा है। डॉक्टरों व लोगों का कहना है कि अभी यह हाल है तो कुछ दिन बाद बरसात शुरू होने वाली है। उस समय तो पूरे परिसर में कीचड़ व गड्ढ़े हो जाएंगे। जगह-जगह पानी भर जाएगा। उसमें से पैदल निकलना तो दूर वाहनों तक का निकलना मुश्किल हो जाएगा।  

बीच का रास्ता बंद, खतरे का ले रहे सहारा
एमबीएस में पुराने व नए अस्पताल को जोड़ने का काम किया जा रहा है। इस कारण से उपभोक्ता भंडार के पास से रास्ते को बंद किया हुआ है। जिससे एमबीएस व जे.के. लोन अस्पताल के मरीज व तीमारदार इधर से उधर नहीं जा सकते। ऐसे में प्रयोगशाला में जांच करवाने आने वाले मरीजों व जे.के. लोन से एमबीएस तक जाने वाले मरीजों को या तो बाहर से लम्बा रास्ता पार करके आना पड़ रहा है। या फिर बेरीकेडिंग के नीचे से खतरे का सामना करते हुए निकलना पड़ रहा है। कई लग दुकानों के सहारे से निकल रहे हैं तो उन्हें गिरने का खतरा बना हुआ है।  लोगों का कहना है कि जिस तरह के हालात वर्तमान में दोनोंÞ अस्पतालों के परिसरों के हैं। उससे बदतर हालत कुछ दिन बाद बरसात होने पर हो जाएंगे। उसका खामियाजा न तो अधिकारियों को भुगतना पड़ेगा और न ही डॉक्टरों को। परेशानी होगी तो सिर्फ आमजन को।

महिलाओं व नवजात को अधिक परेशानी
एमबीएस के साथ ही जे.के. लोन असपताल में ओपीडी का काम चलने से उसका प्रवेट द्वार कैंटीन के सामने व केन्द्रीय प्रयोगशाला के पास से किया हुआ है। लेकिन उस रास्ते की हालत इतनी अधिक धराब हो रही है कि वह सकरा होने के साथ ही उबड़-खाबड़ हो रहा है। जिससे  अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं व नवजात शिशुओं को वाहनों में ले जाने तक में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इनका कहना है
अस्पताल परिसर में आरयूआईडीपी द्वारा सीवरेज लाइन डालने का काम किया जा रहा है। उसके लिए पूरे परिसर की सड़क को खोद दिया। काम होने पर कुछ दिन परेशानी हो सकती है। लेकिन एक साथ पूरे परिसर को खोदने से लोगों का चलना मुश्किल हो रहा है। मैं खुद पूरे परिसर का पैदल दौरा करता हूं उस समय चलने में काफी परेशानी होती है। अधीक्षक व प्रिंसीपल कार्यालय तक की सड़क बदहाल कर दी है। इस संबंध में आरयूआईडीपी के अधिकारियों को बरसात से पहले काम पूरा करने को कहा है। यदि वे नहीें करेंगे तो बरसात में सभी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उससे बचने के लिए अपने स्तर पर ही लाल पत्थर की मिट्टी डलवाकर रास्ता बनाने का प्रयास करेंगे।
डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक एमबीएस अस्पताल

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