संकट में उद्धव
शिंदे गुट की तरफ से दावा
महाराष्ट्र में शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र में सियासी संकट गहरा गया है। राज्य विधानसभा में शिवसेना के 55 विधायकों में से 34 विधायक शिंदे के साथ चले गए हैं।
महाराष्ट्र में शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र में सियासी संकट गहरा गया है। राज्य विधानसभा में शिवसेना के 55 विधायकों में से 34 विधायक शिंदे के साथ चले गए हैं। शिंदे गुट की तरफ से दावा किया जा रहा है चार निर्दलीय विधायक भी उनके साथ हैं। अभी शिवसेना के 34 विधायक गुवाहाटी डेरा डाले हुए हैं। शिंदे की मांग है कि उद्धव अब कांग्रेस और राकांपा का साथ छोड़ें और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएं। इसके अलावा शिंदे यह भी दावा कर रहे हैं कि वे ही असली शिवसेना हैं। उनका दावा है कि 47 विधायक उनके साथ हैं और बागी विधायकों ने शिंदे को अपना नेता चुन लिया है। परिस्थितियों को प्रतिकूल देखते हुए उद्धव ठाकरे ने परिवार सहित मुख्यमंत्री आवास वर्’ को खाली कर अपने निजी निवास मातोश्री चलेगए। अब सवाल है कि महाविकास आघाडी सरकार कितने दिन सत्ता में टिक पाएगी।
शिंदे काफी मजबूत स्थिति में हैं। यदि 37 से 37 विधायक उनके साथ हैं, तो उन पर दलबदल कानून भी लागू नहीं हो सकता। इतने विधायकों के साथ शिंदे दल बदलकर भाजपा में शामिल होते हैं, तो भाजपा बहुमत में आ जाएगी और उद्धव ठाकरे सत्ता से बाहर हो जाएंगे। शिंदे आगे की रणनीति पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और जल्दी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते। वर्तमान संकट पर गौर से विचार किया जाए तो शिवसेना दो फाड़ होने के कगार पर हैं। ऐसे हालात आखिर क्यों बनें, तो इसका जवाब भी साफ है कि शिवसेना पर ठाकरे की पकड़ कमजोर पड़ने लगी है। कैसे इतने विधायक सूरत पहुंच गए और किसी को भी कुछ पता नहीं चला। यह सब कुछ अचानक तो संभव नहीं हो सकता। इसके लिए लंबी तैयारी चल रही थी और आखिर एकनाथ शिंदे सत्ता बदलने की तैयारी में सफल रहे। भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। गठबंधन को बहुमत भी मिल गया था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर तकरार शुरू हो गई। आखिर शिवसेना ने राकांपा व कांग्र्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनकर अपनी महत्वाकांक्षा पूरी कर ली, लेकिन अब शिंदे की बगावत के बाद सरकार संकट में पड़ गई है। अब उद्धव सरकार का जाना लगभग संभव है।
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