बत्रा को आईओए से हटाया, खन्ना होंगे कार्यवाहक अध्यक्ष
वरिष्ठ खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ा झटका
वरिष्ठ खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा को बड़ा झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष पद से हटा दिया और अनिल खन्ना को खेल संस्था का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया।
नई दिल्ली। वरिष्ठ खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा को बड़ा झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष पद से हटा दिया और अनिल खन्ना को खेल संस्था का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। न्यायमूर्ति दिनेश शर्मा की अदालत की अवकाश पीठ ने पूर्व ओलंपियन असलम शेर खान की ओर से बत्रा, आईओए के महासचिव राजीव मेहता और खेल सचिव के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। खान की ओर से पेश हुए वकील वंशदीप डालमिया ने कहा कि अदालत ने आदेश दिया कि नरिंदर बत्रा को तत्काल प्रभाव से आईओए अध्यक्ष के रूप में काम करना बन्द कर देना चाहिए। डालमिया ने कहा कि अदालत ने यह भी कहा कि वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे। असलम शेर खान की ओर से यह याचिका दायर की गई थी क्योंकि नरिंदर बत्रा अभी भी आईओए अध्यक्ष के रूप में खेल मंत्रालय सहित बैठकों में भाग ले रहे थे। इसे दिल्ली उच्च न्यायालय के 25 मई के आदेश के खिलाफ अवमानना माना गया।
यह था 25 मई का आदेश
न्यायालय के 25 मई के आदेश में बत्रा की आजीवन सदस्यता और हॉकी इंडिया की कार्यकारी समिति के कार्यकाल को भी रद्द कर दिया था क्योंकि इसे भारतीय राष्टÑीय खेल विकास संहिता का उल्लंघन माना गया था। यही नहीं इस आदेश में हॉकी इंडिया के कामकाज के संचालन के लिए रिटायर जस्टिस अनिल आर दवे, भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी और पूर्व ओलंपियन जफर इकबाल की प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त कर दी थी।
आईओसी की सदस्यता भी खतरे में
बत्रा को आईओए अध्यक्ष पद से हटाने का मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (आईओसी) की उनकी सदस्यता भी समाप्त हो जाएगी। क्योंकि यह पद उनके आईओए अध्यक्ष पद से जुड़ा है। बत्रा को 2019 में आईओसी का सदस्य बनाया गया था।
विवादों से घिरा रहा है बत्रा का कार्यकाल
नरिंदर बत्रा का आईओए अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है। 2020 में आईओए के उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने आईओसी को पत्र लिखकर बत्रा पर अनियमितताओं और झूठी घोषणाओं का आरोप लगाया था। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जस्टिस के खिलाफ अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए भी उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी।
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