अब कॉलेजों में शुरू होगा सेमेस्टर सिस्टम
शिक्षा सत्र 2022-23 से लागू हो सकती है नई शिक्षा पॉलिसी , एमए, एमएससी और एमकॉम पाठ्यक्रम में लागू होगा सेमेस्टर, उच्च शिक्षा विभाग तैयारियों में जुटा
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से राजस्थान के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में नई शिक्षा पॉलीसी लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है। पॉलिसी के तहत एमए, एमएससी और एमकॉम पाठ्यक्रम में सेमेस्टर सिस्टम लागू हो सकता है। इसकी प्रकिया चल रही है। सेमेस्टर सिस्टम इसी शिक्षा सत्र 2022-23 में शुरू किए जाने की पूरी तैयारी है।
कोटा। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से राजस्थान के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में नई शिक्षा पॉलीसी लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है। पॉलिसी के तहत एमए, एमएससी और एमकॉम पाठ्यक्रम में सेमेस्टर सिस्टम लागू हो सकता है। इसकी प्रकिया चल रही है। सेमेस्टर सिस्टम इसी शिक्षा सत्र 2022-23 में शुरू किए जाने की पूरी तैयारी है।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राजकुमार उपाध्याय ने बताया कि पहली बार स्थानाकोत्तर पाठ्यक्रम सेमेस्टर सिस्टम मोड पर संचालित किए जा सकते हैं। इससे पहले वार्षिक मोड ही पर चल रहे थे। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत एमए, एमएससी और एमकॉम के विद्यार्थियों को 6-6 महीने में 2 बार परीक्षा देनी होगी। वहीं, डिग्री कम्पलीट करने के लिए दो साल में 4 बार परीक्षा देनी होगी। अब तक डिग्री के लिए 2 बार ही परीक्षा देनी होती थी।
एआईएफयूसीपीओ संगठन जंतर-मंतर पर करेगा प्रदर्शन
सेमेस्टर सिस्टम प्रणाली के विरोध में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक महासंघ की ओर से 3 अगस्त को दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया जाएगा। एआईएफयूसीपीओ के जोनल सचिव डॉ. रघुराज सिंह परिहार ने बताया कि नई पॉलिसी से शिक्षा महंगी होगी साथ ही निजीकरण भी बढ़ेगा। गरीब वर्ग के बच्चों का कॉलेज में पढ़ना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, दो साल की डिग्री के लिए 4 बार परीक्षा फॉर्म भरने में एक विद्यार्थी को 8 से 10 हजार का नुकसान होगा। कोटा संभाग से लाखों विद्यार्थी एमए, एमएससी व एमकॉम करते हैं। इस तरह उन्हें करोड़ों का नुकसान होगा। एआईएफयूसीपीओ संगठन सेमेस्टर प्रणाली का पुरजोर विरोध कर रहा है।
एमएससी पाठयक्रम में पहले से ही चल रहा सेमेस्टर सिस्टम
डॉ. परिहार ने बताया कि गवर्नमेंट साइंस कॉलेज में एमएससी पाठ्यक्रम में पहले से ही सेमेस्टर सिस्टम चल रहा है। लेकिन उच्च विभाग इस बार एमए, एमकॉम में भी यह सेमेस्टर प्रणाली लागू करने जा रहा है, जो छात्रों के साथ कुठाराघात है। उन्होंने बताया कि कॉलेजों में साल में एक बार परीक्षाएं करवाने में ही तीन माह का समय लग जाता है, ऐसे में दो बार परीक्षाएं होने से विद्यार्थियों का अत्यधिक समय खराब होगा।
सेमेस्टर प्रणाली के फायदे और नुकसान
रजिस्ट्रार उपाध्याय ने बताया कि समेस्टर सिस्टर लागू होने से स्टूडेंट्स को जितने फायदे होंगे उतने ही नुकसान भी हैं। हर साल हाड़ौती के कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ जिलों से करीब सवा लाख विद्यार्थी यूनिवर्सिटी से जुड़ते हैं जो ग्रेज्युशन के बाद पोस्टग्रेज्युशन तक पहुंचते हैं। इस तरह एमए, एमएससी और एमकॉम में लाखों विद्यार्थी होते हैं, जिन्हें अब साल में दो बार परीक्षा फॉर्म भरना पड़ेगा। जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होगा।
ये होंगे फायदे
- कॉलेज और यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ेगी।
- सेमेस्टर सिस्टम से पेपर बढ़ेंगे तो स्टूडेंट्स की नॉलेज बढ़ोत्तरी होगी।
- परीक्षा में पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत भी बढ़ जाएगा।
- विद्यार्थियों की स्कील डवलप होगी।
- बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या कम होगी।
ये होंगे नुकसान
- 2 साल की डिग्री करने के लिए अब विद्यार्थियों को 4 बार परीक्षा फॉर्म भरने होंगे। जबकि, पहले 2 बार ही फॉर्म भरने होते थे।
- पहले परीक्षा फॉर्म की फीस करीब 2 हजार होती थी लेकिन सेमेस्टर सिस्टम लागू होते ही 4 हजार हो जाएगी। ऐसे में दो साल में लाखों विद्यार्थियों को 8 हजार रुपए का नुकसान भुगतना पड़ेगा।
- विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में जब दो-दो बार एग्जाम होंगे तो शेष अन्य विषयों के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो जाएगी।
- यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में एक साल में 2 माह का समय समर वैकेशन का होता है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी।
- साल में दो बार परीक्षा से शिक्षकों की ड्यूटी एग्जाम में लगेगी, जिससे विद्यार्थियों की क्लासें बंद हो जाएगी।
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