रंग बिरंगे छाते लुभा रहे, स्टाइलिश रेनकोट की मांग बढ़ी

छाते और रेनकोट की खरीदारी शुरू

रंग बिरंगे छाते लुभा रहे, स्टाइलिश रेनकोट की मांग बढ़ी

कोटा में मानसून ने दस्तक दे दी है। मानसून की शुरूआत और कुछ दिनों से हो रही रुक-रुककर बारिश ने अंब्रेला और रेनकोट ने बाजार की रौनक बढ़ा दी है।

कोटा। कोटा में मानसून ने दस्तक दे दी है। मानसून की शुरूआत और कुछ दिनों से हो रही रुक-रुककर बारिश ने अंब्रेला और रेनकोट ने बाजार की रौनक बढ़ा दी है। बारिश से बचने के लिए लोगों ने छाते और रेनकोट की खरीदारी शुरू कर दी है। लोगों की डिमांड को देखते हुए बाजारों में अलग-अलग स्टाइलिश कलरफुल अंब्रेला और प्रिंटेड रेनकोट दुकानों पर सज गए हैं। बाजार में एक से बढ़कर एक डिजाइनर अंब्रेला आ रहे है। इन दिनों डिजाइनर अंब्रेला युवतियों की एसेसरी से जुड़ गए है। प्रिंटेड अंब्रेला के साथ ही रेनकोट बाजार में आकर्षण का केंद्र बने हुए है।

कॉर्टून थीम से लेकर फ्लावर प्रिंट तक छाते
बाजार में मानसून के लिए कई वेरायटी में छाते आ रहे हैं, जिसमें बच्चों के लिए कॉर्टून थीम में डोरेमोन, पोकिमोन, निंजा हथौड़ी, मोटू-पतलू, आॅगी एंड कॉक्रोच, छोटा भीम सहित कई तरह के प्रिंट में छाते व रेनकोट मिल रहे हैं। लड़कियों को बार्बी थीम के छाते और लड़कों को बेन-10 के छाते खूब लुभा रहे हैं। इसके साथ नए ट्रेंड में ट्रिपल फोल्डिंग में लेस, फ्रिल वाले छाते आए हैं। इन छातों के साथ इसी डिजाइन के कवर भी हैं।

चीन के फोल्डिंग छातों की भारी मांग
बाजार में चीन के फोल्डिंग छातों की भी भारी मांग है। यह छाते फोल्ड होने के बाद बेहद छोटे आकार में सिमट जाते हैं। इन्हें आसानी से युवतियां अपने पर्स में रख सकती हैं। प्रिंटेड और चैक में 300 से 600 रुपए तक की रेंज में यह बाजार में उपलब्ध हैं।

रेनकोट बने पहली पसंद
मानसून में छाते की जितनी डिमाड है, उतनी ही रेनकोट की भी है। स्कूली बच्चों से लेकर आॅफिस जाने वाले लोगों तक रेनकोट खरीद रहे हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक कई तरह के रेनकोट बाजार में लोगों को लुभा रही है। पैराशूट के कपड़े से बने रेनकोट कई डिजाइन व कई रंगों में उपलब्ध है। बच्चों के लिए कार्टून थीम और बड़ों के लिए प्रिंटेड रेनकोट भी उपलब्ध हैं। छोटे बच्चों द्वारा रेनकोट को काफी पसंद किया जा रहा है। तरह-तरह की वेरायटी लोगों को आकर्षित कर रही है।

प्लास्टिक तिरपाल की बिक्री तेज
मानसून की बरसात शुरू होते ही झुग्गी बस्तियों की छतों को ढ़कने व पशुओं के बाड़ों में लगाए जाने वाले प्लास्टिक तिरपाल की बिक्री भी इन दिनों तेज हो गई है। यह तिरपाल कच्चे व आशियानों को ढ़कने के काम भी आती है। आजकल बाजार में प्लास्टिक के फलैक्स का चलन बढ़ा है। बाजार में यह प्लास्टिक का तिरपाल एक सौ  रुपए किलो से लेकर दो सौ रुपए प्रतिकिलो के दर से बिकता है। इनमें भी अलग-अलग क्वालिटी होती है। यह तिरपाल 4 से 5 साल तक चल जाता है। प्लास्टिक के तिरपाल पर आकर्षक डिजाइनिंग होती है, जो ग्राहकों को अपनी और आकर्षित करती है।

इनका है कहना
मानसून आने के बाद छातों और रैनकोट की डिमांड बढ़ी है। बच्चों से लेकर बड़ों तक कलरफुल छातों की मांग कर रहे है। वहीं प्रिंटेड रैनकोट की ज्यादा डिमांड है। महिलाएं व युवतियों में कलरफुल और फोल्ड वाले छाते को क्रेज है। क्योंकि इन्हें फोल्ड कर बैग में भी रखा जा सकता है। रोजाना 40 से 50 छाते बिक जाते है।
-गोविंद, छाता विक्रेता

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