आंदोलन पर सवाल

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सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के दौरान रास्ते जाम बनाए रखने के मुद्दे पर गहरी नाराजगी और चिंता व्यक्त की

सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के दौरान रास्ते जाम बनाए रखने के मुद्दे पर गहरी नाराजगी और चिंता व्यक्त की है, जो स्वाभाविक और उचित है। साथ ही अदालत ने केन्द्र व राज्यों की सरकारों के प्रति भी नाराजगी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट किसानों के संगठन किसान महापंचायत और उसके अध्यक्ष की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘सत्याग्र्रह’ करने की अनुमति मांगी गई है और इसके बारे में अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। दो सदस्यीय पीठ के न्यायाधीशों ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आम लोगों ने पहले से ही पूरे दिल्ली शहर को पंगु बना रखा है और शहर के भीतर आकर क्या करने का इरादा है? अदालत ने कहा कि आपको विरोध का अधिकार है, लेकिन नागरिकों को भी स्वतंत्र रूप से और बिना किसी भय के आने-जाने का समान अधिकार है। रास्तों को अवरुद्ध करने का अधिकार तो किसी को भी नहीं होना चाहिए। कई महीनों से आम नागरिकों को इसका नतीजा भुगतना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकारों को रास्ते खुलवाने का निर्देश पहले ही दे चुकी हैं, लेकिन सरकारें कोई प्रयास नहीं कर रही हैं। सरकारें दोष मढ़ने के अलावा कोई सार्थक प्रयास नहीं कर रही है। सरकारें कह रही हैं कि किसान बातचीत करने को तैयार नहीं हैं। सरकारों के इस रुख से भी अदालत खासा नाराज है। ज्ञातव्य है कि किसानों ने पिछले दस महीनों से सीमाओं के रास्ते जाम कर रखे हैं और सड़कों पर अपने ठिकाने बना लिए यह स्थिति लगातार आज तक बनी हुई है। आम नागरिकों, नौकरीपेशा लोगों व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित छोटे-बड़े उद्योगों को इसका भारी खामियाजा उठाना पड़ रहा है। काफी लंबे रास्तों को पार पर आवाजाही करनी पड़ रही है। किसान आंदोलन से काफी लोग प्रभावित हैं, लेकिन किसान और सरकारें कोई सकारात्मक रुख दिखाने की जरूरत ही नहीं समझ रहे हैं। दोनों पक्षों ने अड़ियल रुख अपना रखा है। अदालत ने किसान संगठनों से पूछा है कि जब कृषि कानूनों को चुनौती देने के लिए आपने पहले याचिका दायर कर रखी है तो इस आंदोलन को जारी रखने का क्या औचित्य है? किसानों को फैसले का इंतजार करना चाहिए। रास्ते बंद रखने का काफी गंभीर मामला है। किसानों और सरकारों को इस पर गंभीरता से सोचना होगा।

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