आयुर्वेदिक, यूनानी दवाओं के लिए भी अब प्रिस्क्रिप्शन जरूरी: बिना चिकित्सक की पर्ची के ऑनलाइन भी नहीं मंगा सकेंगे ये दवाई
बिना चिकित्सक की पर्ची के आयुर्वेदिक, यूनानी दवाएं नहीं बेच सकेंगे ऑनलाइन
नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों द्वारा पंजीकृत चिकित्सकों की पर्ची को उनके मंच पर अपलोड करने के बाद ही आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की बिक्री कर सकती हैं।
नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों द्वारा पंजीकृत चिकित्सकों की पर्ची को उनके मंच पर अपलोड करने के बाद ही आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की बिक्री कर सकती हैं।
यह नियम औषधि एवं प्रसाधन नियम, 1945 की अनुसूची ई (1) के तहत निर्दिष्ट दवाओं के लिए लागू होगा। अनुसूची ई में आयुर्वेद (सिद्ध सहित) और यूनानी चिकित्सा पद्धति के तहत ‘विषाक्त’ पदार्थों की सूची है। इस तरह की दवाओं को चिकित्सकीय देखरेख में लेने की जरूरत होती है। सीसीपीए ने एक बयान में कहा, ‘‘चिकित्सक की निगरानी के बिना ऐसी दवाओं का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ई-कॉमर्स मंचों को सलाह दी गई है कि ऐसी दवाओं की बिक्री या बिक्री की सुविधा केवल एक पंजीकृत आयुर्वेद, सिद्ध या यूनानी चिकित्सक के वैध नुस्खे के बाद ही की जाएगी। इन्हें मंच पर उपयोगकर्ता द्वारा अपलोड किया जाएगा।’’
इसके अलावा इस तरह की दवाओं के कंटेनर के लेबल पर 'सावधानी' शब्द अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में लिखा होना चाहिए। गौरतलब है कि आयुष मंत्रालय ने एक फरवरी, 2016 को हितधारकों को सूचित करते हुए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था कि ऐसी दवाओं को चिकित्सकीय देखरेख में लेने की आवश्यकता है और उन्हें बिना चिकित्सकीय परामर्श के इनकी ऑनलाइन खरीद से बचना चाहिए।
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