बजरी की काला बाजारी से माफिया कूट रहा चांदी

मानसूनी सीजन को बनाया जेब भरने का जरिया

बजरी की काला बाजारी से माफिया कूट रहा चांदी

बारिश का मौसम बजरी माफियाओं के लिए अच्छी कमाई का जरिया बन गया है। शहर में बारिश से पहले ही विभिन्न स्थानों पर बजरी का स्टॉक कर लिया था। अब लोगों से मनमाने दाम वसूलकर बजरी माफिया अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।

कोटा। बारिश का मौसम बजरी माफियाओं के लिए अच्छी कमाई का जरिया बन गया है। शहर में बारिश से पहले ही विभिन्न स्थानों पर बजरी का स्टॉक कर लिया था। अब लोगों से मनमाने दाम वसूलकर बजरी माफिया अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। बजरी अवैध होने के बावजूद जिम्मेदार विभाग इस सम्बंध में गम्भीर नहीं है।बारिश के मौसम को देखते हुए बजरी माफिया भरपूर कमाई करने के लिए पहले से तैयारी कर लेते हैं। केशवरायपाटन क्षेत्र में चंबल नदी के घाटों से बजरी निकालने में पूरा अमला जुट जाता है। यहां से बजरी निकालकर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से चम्बल नदी के किनारे स्थित गांवों में स्टॉक कर लिया जाता है। बारिश के चार महीने तक चंबल नदी का जलस्तर बढ़ा रहता है। ऐसे में यहां होने वाला अवैध बजरी उत्खनन काफी हद तक बंद हो जाता है, लेकिन अवैध उत्खनन बंद होने का यह मतलब नहीं है कि बजरी का अवैध कारोबार बंद हो जाए। बजरी माफिया इतने शातिर और बेखौफ होते हैं कि वह बारिश के चार महीने तक बजरी की सप्लाई करने के लिए चंबल नदी के आसपास बीहड़ों में काफी मात्रा में स्टॉक कर लेते हैं। उसके बाद पूरे मानसून सीजन में मुंहमांगे दाम पर बजरी बेचकर भरपूर कमाई करते हैं।

बजरी तस्करी का तरीका निराला
बारिश के मौसम को बजरी माफिया अच्छा मुनाफा कमाने का समय मानते हैं। इसलिए स्टॉक से लेकर शहर में बजरी पहुंचाने के लिए काफी सतर्कता बरतते हैं, ताकि मानसूनी सीजन में किसी भी तरह से कमाई का नुकसान नहीं हो पाए। पहले तो नदियों से बजरी को निकालकर समीप के गांवों में स्टॉक कर लिया जाता है। उसके बाद मांग के अनुरूप शहर में डम्परों व ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से बजरी को पहुंचाया जाता है। पुलिस और खनन विभाग की नजर से बचने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते है। बजरी से भरे वाहन को शहर में प्रवेश कराने के लिए बकायदा एस्कार्ट किया जाता है। इसके लिए बजरी माफिया के लोग कार से आगे चलते हैं और पुलिस व खनन विभाग की मौजूदगी का पता लगाते है। इसके बाद किसी तरह का कोई खतरा नहीं होने पर बजरी से भरे वाहन को गतंव्य तक पहुंचा देते हैं।

बजरी के दाम में मनमर्जी
निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदार भगवान सिंह ने बताया कि बारिश के मौसम में बजरी काफी महंगी मिलती है। आमतौर पर पांच से छह हजार रुपए में आने वाली बजरी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को ब्लैक में आठ से नौ हजार रुपए में बेचा जाता है। अधिकांश निर्माण कार्य इसी मौसम में होते हैं। ऐसे में लोगों को मजबूरी में अधिक दाम देकर बजरी खरीदनी पड़ती है। इससे मकान निर्माण की लागत भी बढ़ जाती है।

स्टॉक करने में भी बाजीगरी
जानकारी के अनुसार पुलिस व खनन विभाग की कार्रवाई से बचने के लिए बजरी माफिया सतर्कता बरतते हैं। वैसे तो शहर में बूंदी रोड, नांता, संजयनगर पुलिया और बोरखेड़ा क्षेत्र में बजरी के स्टॉक किए जाते हैं। बजरी अवैध होने व कार्रवाई से बचने के लिए माफिया इन स्थानों पर कम मात्रा में बजरी का स्टॉक करके रखते हैं। यदि कभी कार्रवाई हो जाए तो ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़े। ज्यादा मात्रा में बजरी गुप्त स्थान पर स्टॉक कर रखी जाती है। जिसे मांग के अनुसार स्टॉक से बाहर निकाला जाता है।

इनका कहना है
खनिज विभाग की ओर से अवैध बजरी परिवहन के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। शहर मेें बजरी स्टॉक की जानकारी मिलने पर दबिश भी देते हैं। पूर्व में बनास नदी से बजरी की तस्करी करने के मामलों में वाहनों को जब्त कर जुर्माना भी किया गया था।
- देवीलाल, खनिज अभियंता

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