सावधान! आप किसी के शव को लेकर नहीं बैठ सकते, क्योंकि मुर्दे के भी हैं अधिकार
मानव शरीर बाजार में बिकने वाली कोई वस्तु नहीं
पिछले कुछ सालों से प्रदेश में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, जब लोगों ने शव को बीच सड़क पर रखकर कई दिनों तक प्रदर्शन किया और सरकार से अपनी मांगे मनवाई।
जयपुर। किसी दुर्घटना में मौत को कभी किसी आरोपी की एनकाउंटर, घटना के बाद कभी मुआवजे के लिए तो कभी मामले की जांच के लिए शव के साथ प्रदर्शन। पिछले कुछ सालों से प्रदेश में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, जब लोगों ने शव को बीच सड़क पर रखकर कई दिनों तक प्रदर्शन किया और सरकार से अपनी मांगे मनवाई। हालांकि ऐसे प्रदर्शन से प्रशासन तो हरकत में आ जाता है, लेकिन यह मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है। क्योंकि भले ही व्यक्ति की मौत हो गई हो, लेकिन उसके मानवाधिकार अंतिम संस्कार होने तक जिंदा रहते हैं।
शव का समय पर अंतिम संस्कार नहीं करने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग टिप्पणी कर चुका है कि
- मानव शरीर बाजार में बिकने वाली कोई वस्तु नहीं है। ऐस में अंतिम संस्कार के अतिरिक्त अन्य किसी कार्य के लिए मृत शरीर को नहीं रख जा सकता है।
- जिस तरह जीवित व्यक्ति को कानूनन बंधन नहीं बनाया जा सकता, उसी तरह मृतक का तत्काल अंतिम संस्कार नहीं करना व उसे कब्जे में रखना कानूनन और सामजिक मान्यता व शालीनता के खिलाफ है।
- कोख में आते ही मानव अधिकार जन्म ले लेते हैं तो मृत्यु के बाद भी मानवाधिकार रहता है। ऐसे में परिवारजन, सगे संबंधी या सामाजिक संस्था मृतक का अंतिम संस्कार करा सकती है। अन्यथा यह सरकार की जिम्मेदारी है।
यहां तक की शव की संपत्ति का दुर्विनियोग करने पर भी है सजा
मृत व्यक्ति की संपत्ति चल-अचल के अलावा शरीर की घड़ी-अंगूठी-चेन या चूड़ी, हार, पायल आदि उतार लेना गंभीर अपराध है। आईपीसी की धारा 404 में प्रावधान है कि किसी मृत व्यक्ति की देह या उसके कब्जे से बेईमानी से उसकी कोई चीज ले लगा तो उसे तीन साल तक की सजा से दंडित किया जाएगा। वहीं यदि व्यक्ति मृत्यु के समय संबंधित व्यक्ति के सेवक के रूप में था तो यह सजा बढकर सात साल तक हो सकती है।
कहां-कहां कब-कब मृतक की संपत्ति लूटी जाती है
अक्सर दुर्घटना हो जाने पर अगर कोई घायल हो जाए या उसकी जान चली जाए तो बहुत बार आते जाते लोग ही अंगूठी, गले की चेन, घड़ी, पर्स या अन्य सामान ले जाते हैं। इसी तरह कई बार शव परीक्षण के लिए बॉडी आती है तो भी यह शिकायत अक्सर मिलती है कि बॉडी से घड़ी, अंगूठी, चेन आदि उतार ली गई। यानी इस तरह के मामलों में अगर कोई ऐसा करता है तो यह गंभीर मामला है और अगर यह कोई कर्तव्यनिष्ठ या जिसके जिम्मे यह शरीर है तो यह भी तीन साल के बजाय सात साल तक की सजा वाला अपराध है।
युद्ध में हारे या मारे गए तो विजेता भी करता है सम्मान
अगर इतिहास पर निगाह डालें तो युद्ध में भी विजेता, चाहे वह कितना भी क्रूर क्यों न हो, मारे गए सैनिकों या शत्रुओं को सम्मान से उनके धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार करते रहे हैं। आज भी दुनिया के विभिन्न देशों में मृत व्यक्ति के प्रति गरिमापूर्ण व्यवहार पर बहुत ध्यान दिया जाता है। शवों को एक साथ जलाना या उनके प्रति गरिमा न रखने को बहुत बुरा माना जाता है।
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