लिवर की बीमारियों का बड़ा कारण है हेपेटाइटिस, 90 फीसदी लोगों को पता नहीं चलता
लिवर में सूजन आ जाती है
दि इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित हैं। करीब सवा करोड़ लोग हेपेटाइटिस-सी से ग्रसित है।
जयपुर। भारत में बीमारियों से मृत्यु का एक बड़ा कारण लिवर है। लिवर की बीमारियों में कारण हेपेटाइटिस है। दि इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित हैं। करीब सवा करोड़ लोग हेपेटाइटिस-सी से ग्रसित है। गंभीर बात यह है कि 90 फीसदी लोगों को पता ही नहीं चलता है कि वे हेपेटाइटिस बी या सी से संक्रमित हैं। हेपेटाइटिस एक ऐसा संक्रमण है, जिससे लिवर में सूजन आ जाती है। यह चार वायरस ए,बी,सी और ई से होता है। हेपेटाइटिस बी या सी वायरस के संक्रमण से लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है, जो लिवर सिरोसिस से लिवर फेलियर और यहां तक कि कुछ मामलों में लिवर कैंसर का रूप ले सकता है। लीवर ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प है।
2 प्रकार से होता है इंफेक्शन
नारायणा हॉस्पिटल के लिवर रोग व लिवर ट्रांसप्लांट फिजीशियन डॉ. राहुल राय ने बताया कि इन वायरस से लिवर में इन्फेक्शन दो प्रकार से होता है। एक एक्यूट यानी कि अल्पकालिक और एक क्रॉनिक यानी दीर्घकालिक। ज्यादातर लोग क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित होते हैं। जब तक लक्षण दिखने लगते हैं, तब तक लिवर काफी खराब हो चुका होता हैं। इसके लक्षण में पेट में पानी आ जाना, पीलिया हो जाना आदि शामिल हैं। यह लक्षण लिवर फैलियर की स्थिति को दर्शाते हैं। कुछ लोगों को इलाज से राहत मिलती है, लेकिन कुछ में ट्रांसप्लांट करना पड़ता है। पेट, आंत और लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित सांघी ने बताया कि लिवर कैंसर के 80 प्रतिशत से ज्यादा केस क्रोनिक हेपेटाइटिस के कारण होते हैं।
टीकारण से बचाव संभव
टीकाकरण से बचाव संभव डॉ. अभिनव गुप्ता ने बताया कि जन्म के बाद बच्चों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना जरूरी है। हेपटाइटिस सी और बी हेपेटोट्रोपिक वायरस है। हेपटाइटिस-सी मां से बच्चे में हो सकता है। डिलिवरी से पहले जांच के दौरान महिलाओं की वायरोलॉजिकल जांच करके और जरूरत पड़ने पर उसके अनुसार इलाज करके हेपेटाइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है।
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