सड़क हादसों में शाम का समय अधिक नुकसानदायक, घर पहुंचने की जल्दी में लोग हादसों का हो रहे है शिकार

सड़क हादसों में शाम का समय लोगों के लिए अधिक नुकसानदायक सिद्ध हुआ है

 सड़क हादसों में शाम का समय अधिक नुकसानदायक, घर पहुंचने की जल्दी में लोग हादसों का हो रहे है शिकार

सड़क हादसों में हर साल दस हजार 500 से ज्यादा मौंतें होती हैं। हादसों के पीछे खराब सड़कें, सड़कें बनाने में तकनीकी खांमियां और लोगों की स्वयं की अनियमितता, गलत समय पर यात्रा करना जैसे कई कारण सामने आए हैं। विभाग के कई तरह के प्रयासों के बावजूद आंकडेÞ नियंत्रण में नहीं आ पा रहे। 

जयपुर। सड़क हादसों को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है। परिवहन विभाग के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि सड़क हादसों में शाम का समय लोगों के लिए अधिक नुकसानदायक सिद्ध हुआ है। राजस्थान में सबसे ज्यादा सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या शाम 6 से रात 9 बजे तक है। आंकड़ों में खास बात यह है कि अधिकांश सड़क हादसे मृतकों के घर के पास हुए है यानि घर जल्दी पहुंचने के चक्कर में लोग हादसों के शिकार हुए। राजस्थान में सड़क हादसों में हर साल दस हजार 500 से ज्यादा मौंतें होती हैं। हादसों के पीछे खराब सड़कें, सड़कें बनाने में तकनीकी खांमियां और लोगों की स्वयं की अनियमितता, गलत समय पर यात्रा करना जैसे कई कारण सामने आए हैं। विभाग के कई तरह के प्रयासों के बावजूद आंकडेÞ नियंत्रण में नहीं आ पा रहे। 

रोड सेफ्टी के आंकड़ों में सामने आया

रोड सेफ्टी को लेकर एकत्रित किए गए आंकड़ों पर अध्ययन के आधार पर परिवहन मंत्री बृजेन्द्र ओला ने बताया कि जनवरी से जून तक प्रदेश में 39 हजार से अधिक हादसे हुए है, जिसमें करीब 50 हजार लोग प्रभावित हुए। डाटा अध्ययन से मालूम चला कि सबसे अधिक हादसे शाम छह से रात नौ बजे के बीच हुए हैं, जिसमें 8 हजार 900 से अधिक हादसे हुए। आंकड़ों के मुताबिक 7 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं, साथ ही तीन हजार से अधिक मौतें हुई हैं। इन सड़क् हादसों में हुई मौतें घर से 5 से 15 किमी दायरे में हुई हैं। एसीएस परिवहन अभय कुमार ने बताया कि घर जल्दी पहुंचने के चक्कर में ज्यादा सड़क हादसे होना सामने आया है। 

एक साल में बढ़े 30 फीसदी मामले 
सड़क हादसों में एक साल में करीब 30 फीसद मामले बढ़े है। सबसे अधिक हादसे नेशनल हाईवे पर हो रहे हैं। सड़क हादसों पर नियंत्रण के लिए विभाग ने कई तरह के उपाय और नवाचार किए। परिवहन, पुलिस, चिकित्सा, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई के सहयोग से रोड सेफ्टी पर काम किया जा रहा है, लेकिन अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिल पा रही। सड़क हादसों में जयपुर सबसे आगे नंबर पर है। आंकड़ों से पता चला है कि 42 फीसदी हादसे दुपहिया वाहनों से और 24 फीसदी हादसे ओवर स्पीड की वजह से हो रहे है। हादसों की संख्या में बढ़ोतरी देखे, तो धौलपुर में 77 प्रतिशत और चित्तौड़गढ़ में 67 प्रतिशत संख्या बढ़ी है। 

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