नए मोर्चों पर चीन

नए मोर्चों पर चीन

चीन की नई मोर्चाबंधी पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तनाव पैदा करने के बाद अब चीन ने भारत के खिलाफ विवाद व तनाव बढ़ाने के लिए नए मोर्चों पर काम करना शुरू कर दिया है।

चीन की नई मोर्चाबंधी पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तनाव पैदा करने के बाद अब चीन ने भारत के खिलाफ विवाद व तनाव बढ़ाने के लिए नए मोर्चों पर काम करना शुरू कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा बताते हुए चीन काफी दिनों से अरुणाचल प्रदेश को अपना बताने की बयानबाजी करता चला आया है और अब तो उसने नियंत्रण रेखा पर अपनी सेना की तैनाती को बढ़ाने के लिए वहां पक्के निर्माणों की शुरुआत कर दी है। भारत के पास खबर पहले से ही है, लेकिन अब उसने सिक्किम की सीमा पर भी अपनी सेना की तैनाती बढ़ाना शुरू कर गश्त को ज्यादा बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीन की इस तरह की हरकतों का अर्थ यही निकलता है कि चीन भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है, लेकिन इसे हल्के में भी नहीं लिया जा सकता क्योंकि लद्दाख की गलवान घाटी में भी चीन ने ऐसी ही हरकतों से शुरुआत की थी और गलवान घाटी में आखिर दोनों देशों के जवानों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी जिसमें हमारे बीस जवान शहीद हो गए थे और तनाव का सिलसिला शुरू हो गया और आज दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं। अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में भी चीन ने पिछले दिनों गलवान जैसी घटना को दोहराने की हरकत की थी लेकिन  बातचीत के बाद चीन के घुसपैठिए अपनी सीमा में लौट गए। चीन ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया अच्छी तरह जानती है कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम दोनों राज्य भारत के अभिन्न अंग हैं और भारत के कड़े एतराज के बावजूद अरुणाचल प्रदेश पर अपनी सीनाजोरी दिखा रहा है। हालांकि चीन को जवाब देने के लिए भारत ने भी अपनी सैन्य मोर्चाबंदी को मजबूत करना शुरू कर दिया है। यह सही है कि हर देश को अपनी सीमाओं की रक्षा -सुरक्षा और चौकसी का अधिकार है और सेनाओं की तैनाती का भी, लेकिन एक लंबे समय बाद बेवजह चीन की ऐसी हरकत चिंता बढ़ाने वाली है। दोनों देशों के बीच दशकों से पुराना सीमा विवाद चल रहा है, जिसे चीन सुलझाने की बाचए सीमा विवादों को बढ़ाने की हरकतों पर तुला है। दरअसल, चीन भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही सामरिक रणनीति और गठबंधन से चीन बौखलाया हुआ है। लेकिन चीन को सोचना चाहिए कि पड़ोसी देशों के साथ ऐसे विवादों को जन्म देना उचित नहीं रहता जबकि चीन और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते भी हैं।

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