जख्मों की परवाह किए बगैर खेला हाईदोस
अंदरकोट में करबला की जंग का मंजर पेश
मोहर्रम के अवसर पर मंगलवार दोपहर अंदरकोट क्षेत्र में तलवारों से हाईदोस खेलते हुए डोला की सवारी निकाली गई।
अजमेर। मोहर्रम के अवसर पर मंगलवार दोपहर अंदरकोट क्षेत्र में तलवारों से हाईदोस खेलते हुए डोला की सवारी निकाली गई। इसके बाद चांदी के ताजिया सहित अन्य ताजिया के जुलूस निकाल कर उन्हें सैराब किया गया। तारागढ़ में स्थानीय लोगों ने मातम करते हुए ताजिया का जुलूस निकाला, जिसे करबला में मदफन किया गया।
मोहर्रम महीने की दस तारीख पर दरगाह परिसर सहित अनेक जगहों पर बयान-ए-शहादत और मर्सियाख्वानी हुई। अधिकांश मुस्लिमों ने रोजा रखा। दरगाह, अंदरकोट व तारागढ़ क्षेत्र की अधिकांश दुकानें बंद रहीं। जगह-जगह अकीदतमंद ने तबर्रुक वितरित किया गया। लंगरखाना के इमामगाह में रखा गया चांदी का ताजिया दरगाह के निजामगेट पर रखा गया। जिसकी जियारत करने के लिए अकीदतमंद का तांता लगा रहा।
कई लोग जख्मी, हाथों-हाथ उपचार
दोपहर असर की नमाज के बाद अंदरकोट की हताई से डोला की सवारी शुरू होते ही प्रशासन द्वारा आवंटित एक सौ तलवारों से क्षेत्रीय लोगों ने हाईदोस खेलकर करबला की जंग का मंजर दिखाना शुरू कर दिया। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने तलवारों से प्रदर्शन करने की परंपरा का निर्वहन किया। इस दौरान कई लोग चोटिल हुए। जिन्हें तत्काल उपचार दिया गया। पुलिस विभाग ने संपूर्ण कार्यक्रम को वीडियो कैमरे में कैद कराया। आयोजक दी सोसाइटी पंचायत अंदरकोटियान के कार्यक्रम कन्वीनियर एस.एम.अकबर के अनुसार जिला कलक्टर अंश दीप व पुलिस अधीक्षक चूनाराम सहित अनेक अधिकारीगण उपस्थित थे। हताई पर पंचायत के पदाधिकारियों ने पुरुषों की दस्तारबंदी कर तथा महिलाओं को दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया।
तारागढ़ पर मातम करते हुए निकाली ताजिया की सवारी
दरगाह हजरत मीरां साहब प्रबंध कमेटी के सदस्य मौहम्मद युनुस के अनुसार मंगलवार सुबह से तारागढ़ में कार्यक्रम शुरू हो गए। सुबह चार बजे हजरत अली असगर के झूले की जियारत कराई गई। सुबह फजर की नमाज के बाद हताई चौक पर रिवायत हुई। सुबह 9.30 बजे करबला में नमाज-ए-अमाले आशुरा हुई। इसके बाद मजलिस शुरू हो गई। दोपहर एक बजे जुलजुना व अलम की जियारत कराई गई। इसके बाद ही इमाम बारगाह से अकीदतमंद ने छाती पीटकर मातम करते हुए ताजिया की सवारी निकाली, जो विभिन्न रास्तों से होकर शाम साढ़े पांच बजे करबला पहुंची। वहां ताजिया को मदफन कर मौलाना नकी ने जियारते आशुरा पढ़ाई। इसके बाद शाम-ए-गरीबा की मजलिस हुई।
चांदी के अन्य ताजियों की सवारी निकली
इसके बाद फूल गली कमानी गेट, खादिम मोहल्ला के ताजिया का जुलूस निकलना शुरू हुआ। जो दरगाह के निजामगेट के सामने से होकर अंदरकोट पहुंचा। जहां ताजियों को मदफन किया गया। काजी मुनव्वर अली व काजी अनवर अली आदि की अगुवाई में दरगाह के निजामगेट पर अखाड़ा के शिष्यों ने पटेबाजी करते हुए हैरत अंगेज करतब दिखाए। इसके बाद चांदी के ताजिया की सवारी निकली, जिसे झालरा ले जाकर वहां के पानी के छींटे मारकर सैराब करने की परंपरा का निर्वहन किया गया।
नागफणी : ऑल इंडिया कौमी एकता कमेटी के अध्यक्ष बदरुद्दीन कुरैशी व मौहम्मद वसीम के अनुसार ताराशाह नगर नागफणी से ताजिया की सवारी निकाली गई। जो त्रिपोलिया गेट से होकर झालरे पहुंची। जुलूस में राजस्थान अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य प्रताप सिंह यादव, पूर्व पार्षद तारा देवी यादव, मतलूब मियां, मौहम्मद वसीम, आफताब, बिट्टू, सुरेश लद्दड़, मोईन शेख अली आदि अनेक लोग उपस्थित थे।
हटूण्डी : गांव के इमामबाड़ा से दोपहर में ताजिया की सवारी मर्सिया पढ़ते हुए शुरू हुई। जिसे जुलूस के रूप में बावड़ी स्थित करबला ले जाया गया। वहां ताजिया सैराब किया गया। जुलूस में पूर्व उप सरपंच हुसैन अली, मौहम्मद अफजल, मोहम्मद खां, पीर सादीर चिश्ती, इकबाल खां, कुलदीप गरवा आदि उपस्थित थे।
दौराई : शिया समुदाय के मुस्लिमों ने दौराई गांव करबला के शहीदों की याद में स्वयं की छाती पीटकर मातम किया। जिससे अनेक लोग रक्त रंजित हो गए। इससे पूर्व सुबह आठ बजे मौलाना जिशान हैदर जैदी ने विशेष नमाज पढ़ाई। इसके बाद मजलिस हुई और अकीदतमंद ने खूनी मातम करते हुए ताजिया का जुलूस निकाला। जिसे करबला में सैराब किया गया।
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