प्रशासन शहरों के संग अभियान की हकीकत : राजधानी की 3300 कॉलोनियों के 1.17 लाख बाशिंदों को अभी पट्टे का इंतजार

प्रशासन शहरों के संग अभियान की हकीकत : राजधानी की 3300 कॉलोनियों के 1.17 लाख बाशिंदों को अभी पट्टे का इंतजार

रियायतें भी बेअसर, अभियान में भी पट्टे की आस अधूरी : जेडीए, हेरिटेज और ग्रेटर निगम नहीं दे पा रहे अभियान को रफ्तार

जयपुर। राजधानी जयपुर शहर में काफी लंबे से अपने आसियाने के पट्टे का इंतजार कर रहे लोगों को सरकार की भारी रियायतों के बाद भी मकान-भूखण्ड का पट्टा नहीं मिल पा रहा है। प्रशासन शहरों के संग अभियान से पहले की गई सभी तैयारियां अब विफल होती नजर आ रही है।


करीब 3300 कॉलोनियों में 1.17 लाख बाशिंदों को पट्टे देने की तैयार की गई कार्य योजना धरातल पर नहीं आ पा रही है। गृह निर्माण सहकारी समितियों के दस्तावेजों की वैद्यता खत्म करने के बाद भी कॉलोनियों के नियमन की रफ्तार धीमी नजर आ रही है। शहर में पृथ्वीराज नगर सहित करीब 1400 से अधिक ऐसी कॉलोनियां है, जिनमें 90ए और 90बी पहले ही हो चुकी है, लेकिन कॉलोनियों का ले-आउट प्लान स्वीकृत नहीं होने के कारण नियमन शिविर नहीं लगाया जा सका। अकेली इन कॉलोनियों में करीब 45 हजार से अधिक भूखण्डधारी है।

जेडीए ने 11578 से अधिक पट्टे बांटे, जादुई धारा-69ए भी नहीं दे पा रही राहत
हेरिटेज निगम : परकोटे की प्लानिंग भी धरातल पर नहीं

परकोटे में लंबे समय से लोग पट्टों का इंतजार कर रहे है। सालों से काबिज लोगों को पट्टे देने के लिए धारा 69-ए का भी प्रावधान किया गया, लेकिन इसके बाद भी परकोटे में हैरिटेज नगर निगम अपने चारों जोन में पट्टे देने की मुहिम को गति नहीं दे पा रही है। क्षेत्र में कराए गए सर्वे के अनुसार करीब 10 हजार पट्टे देने का निगम ने लक्ष्य तय किया, लेकिन इस टारगेट के मुताबिक निगम पट्टे नहीं बांट पा रही है। पट्टे नहीं बांट पाने के निगम अधिकारी कई बहाने भी बना रहे है। मौटे तौर पर बताया जा रहा है कि एक ही मकान में कई परिवारों के निवास के कारण पट्टे के टाइटल में भी कई लीगल अड़चने सामने आती है, जिसके कारण आवेदन भी कम आ रहे हैं।

ग्रेटर निगम : जादुई धारा में
अब तक आठ पट्टे बांटे

अभियान के दौरान नगर निगम ग्रेटर की ओर से भी काम को गति नहीं दी जा रही है। सरकार ने सालों से काबिज जिन लोगों के लिए धारा 69ए का प्रावधान किया और उसे जादुई धारा बताया, उसमें ग्रेटर ने अब तक आठ पट्टे जारी किए है, जबकि 74 आवेदनों को निरस्त कर दिया गया। इसके अलावा 356 आवेदन अभी लंबित है। इसी तरह अपने क्षेत्राधिकार में कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में 120 पट्टे दिए गए है, जबकि 95 को निरस्त कर दिया गया। इस तरह के 354 आवेदन भी लंबित है। ग्रेटर ने कच्ची बस्ती नियमन के पट्टे देने में भी रफ्तार नहीं ली है, अब तक केवल 19 पट्टे जारी किए गए है। इसी तरह स्टेट ग्रांट एक्ट के पट्टे देने में भी निगम ने अब तक 33 पट्टे जारी किए है, जबकि 783 आवेदन अभी लंबित है।

जेडीए : अप्रुव्वड कॉलोनियों
में भी नहीं दे सके पट्टे

शहर की जिन कॉलोनियों का नियमन हो चुका है, उन कॉलोनियों में भी करीब 1950 कॉलोनी ऐसी है, जिनमें कई लोगों ने पट्टे नहीं लिए है। जेडीए के अनुसार अपु्रव्वड कॉलोनियों में करीब 86 हजार से अधिक भूखण्डधारी ऐसे है, जिन्होंने पट्टे नहीं लिए है। अभियान में पिछली बार भी कई कॉलोनियों में पट्टे देने के शिविर लगाए गए, लेकिन उसके बाद भी भूखण्डधारियों को जेड़ीए पट्टे नहीं दे सका। शहर के आगरा रोड पर जामडोली, पालड़ी मीणा, खो-नागोरियान, गोनेर रोड, टोंक रोड पर वाटिका रोड, सांगानेर, पृथ्वीराज नगर दक्षिण और उत्तर, निवारू रोड, अजमेर रोड, सिरसी रोड, जयपुर-दिल्ली रोड, सीकर रोड, बढ़ारना आदि ऐसे इलाके है, जिनमें गृह निर्माण सहकारी समितियों की ओर से कृषि भूमि पर कॉलोनियां काटी गई है, जिनका नियमन होना बाकी है। जेडीए ने आठ नवंबर तक 11400 से अधिक पट्टे बांटे है, जिनमें कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियां, पुरानी अपु्रव्वड स्कीम और कच्ची बस्ती के पट्टे भी शामिल है।

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