सुधार की पहल
रिजर्व बैंक ने छोटे निवेशकों और वित्त क्षेत्र के ग्र्राहकों के लिए दो बड़ी योजनाओं की शुरूआत की घोषणा की है।
अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए छोटे निवेशकों को बढ़ावा देना जरूरी है, इसलिए इन निवेशकों के लिए नए विकल्प रखने की पहल की गई है। रिजर्व बैंक ने छोटे निवेशकों और वित्त क्षेत्र के ग्र्राहकों के लिए दो बड़ी योजनाओं की शुरूआत की घोषणा की है। इसके तहत अब खुदरा निवेशकों को भी सीधे सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की इजाजत दे दी गई है। हालांकि खुदरा प्रत्यक्ष योजना का ऐलान रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी में अपनी मौद्रिक नीति में ही कर दिया था। अब शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने इसका शुभारंभ किया। अब न केवल बांड बाजार का दायरा बढ़ेगा, बल्कि निवेशकों को भी एक नया विकल्प मिलेगा। अर्थव्यवस्था में संस्थागत सुधार की लंबे समय से मांग की जा रही है। बांड बाजार को खुदरा निवेशकों के लिए खोलना इन्हीं प्रयासों की दिशा में बड़ा कदम है। छोटे निवेशकों की बाजार तक पहुंच बढ़ने से बाजार में पैसे का प्रवाह बनेगा। अब तक यह देखा गया है कि छोटे निवेशक शेयर बाजार, म्यूचुअल फण्ड, सोना कंपनियों और बैंकों की सावधि योजनाओं, डाकखानों की बचत योजनाओं तक ही सीमित रहती है। पहले जमीन-जायदाद में निवेश किया जाता था, लेकिन अब इसमें मंदी का दौर चल रहा है। ब्याज व बचत योजनाएं भी ज्यादा लाभदायक नहीं रही हैं। सरकार ने ब्याज लाभ में कटौती कर दी है। हालांकि बांडों में निवेश को सुरक्षित समझा जाता है, लेकिन प्रतिफल दूसरे विकल्पों की तुलना में कम रहता है तो निवेशक इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाते। अब सरकारी बांडों में प्रतिफल कैसा रहता है, यह देखने की बात होगी। यदि प्रतिफल आकर्षक नहीं रहा तो निवेशक शायद उत्साह न दिखाएं। फिर बांड योजनाओं में निवेंश की अवधि लंबी होने से भी निवेशक हिचकिचाते हैं। इसलिए सरकार जो बांड जारी करें, उसमें निवेशकों की इस मंशा को ध्यान में रखना होगा। बांड बाजार को शेयर बाजार से बेहतर बनाया जाएगा तभी निवेशक निवेश को ज्यादा आगे आएंगे। योजनाएं जो भी बने वे निवेशकों के अनुकूल मानी गई तो उन्हें स्वीकार होंगी और अर्थव्यवस्था को गति भी मिलेगी।
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