किसानों पर छाए संकट के बादल, बारिश ने बढ़ाई चिंता

आंधी के साथ ही छाए बादल, रूक रूककर बारिश से फसलें नष्ट होने की कगार पर

किसानों पर छाए संकट के बादल, बारिश ने बढ़ाई चिंता

सुल्तानपुर क्षेत्र के खेतों में अब भी 40% फसलें खेतों पर ही है, कई स्थानों पर खड़ी फसल है तो कई स्थानों पर कटी हुई फसल सूखने के लिए पड़ी हुई है, लेकिन बुधवार को दोपहर के समय हुई तेज बारिश के कारण किसानों को फसलों में और नुकसान झेलना पड़ा है।

सुल्तानपुर। नगर व क्षेत्र में शुक्रवार को तड़के से ही अचानक मौसम बदल गया। इस दौरान रुक-रुक कर बारिश का दौर शुरू हुआ जो सुबह 8 बजे तक चलता रहा। दिनभर बादल छाए रहे। सूर्य देव की लुकाछिपी चलती रही, दिनभर बादल छाए रहने और मामूली बूंदाबांदी होने से किसानों को खुले में पड़ी हुई फसलों को लेकर चिंता सताने लगी। तेज हवा चलने के कारण लोग घरों में घुस गए। नगर व क्षेत्र में किसानों की फसलें तैयार होकर घरों पर आ चुकी है, लेकिन इस साल फसलों का भंडारण नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते अब तक फसलें खुले में ही पड़ी हुई है, जिसके कारण मौसम बिगड़ने पर किसानों को फसलें खराब होने की चिंता सता रही है। किसानों को चिंता सता रही है कि अगर बारिश हो जाती है तो फसलें खराब हो सकती है। पूर्व में बारिश होने के कारण पहले ही पैदावार घट चुकी है और ऐसे में अगर अब बारिश हो जाती है तो किसानों का तो मनोबल ही टूट जाएगा, क्योंकि उनकी रही सही उम्मीद भी खत्म हो जाएगी। 

40 फीसदी फसलें खेतों में कटी पड़ी है, बरसात से भीगी
सुल्तानपुर क्षेत्र के खेतों में अब भी 40% फसलें खेतों में ही है। कई स्थानों पर खड़ी फसल है तो कई स्थानों पर कटी हुई फसल सूखने के लिए पड़ी हुई है, लेकिन बुधवार को दोपहर के समय हुई तेज बारिश के कारण किसानों को फसलों में और नुकसान झेलना पड़ा है। पूर्व में भी अतिवृष्टि के चलते पैदावार पर असर पड़ गया था। कटने के समय बारिश आने से किसानों की रही सही उम्मीदों पर भी पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है। क्षेत्र के किसान अतिवृष्टि के कारण फिर बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। रात दिन मेहनत और गाढी कमाई लगाने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि बढ़िया बारिश होने से खेत सोना उगलेंगे लेकिन प्राकृतिक आपदा के चलते खेतों में पानी भरने से सोयाबीन और उड़द की फसलों में नुकसान अधिक हुआ है। पिछले तीन-चार सालों से लगातार किसान दोहरी मार झेल रहा है। इस वर्ष रबी की फसल की एकदम से गर्मी पड़ने के कारण पैदावार कम हो गई थी जहां गेहूं की पैदावार कम हुई वहीं लहसुन के भाव ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी। भाव कम होने के कारण किसान लहसुन को बेच भी नहीं सका और घरों पर ही लहसुन सड़ने लग गया है। किसान अभी तक लहसुन की फसल के नुकसान से भी नहीं उभर पाया था कि तेज बारिश व नदियों में आए उफान के कारण खेत लबालब हो गए जिसके चलते खेतों में पानी भर गया था। उसके बाद अब कीचड़ ही कीचड़ खेतों में नजर आ रहा है, जिससे फसल खराब होने लगी है। ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहीं होने के कारण भी किसानों के खेतों में अधिक पानी भरा है जिससे अधिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के आटोन गांव में अतिवृष्टि के चलते नदियों का पानी खेतों में भर जाने के कारण फसलों में कीचड़ ही कीचड़ दिखाई दे रहा है जिससे किसानों की फसलें खराब हो गई है।

किसान पुष्पेंद्र मीणा, ओम प्रकाश मीणा, पुष्प दयाल मीणा, सोहन लाल मीणा, सीता राम भील, रूप चंद मीणा ने बताया कि करीब 200 बीघा की सोयाबीन, मूंगफली, उड़द की फसल पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी है। उन्होंने मुआवजा दिलाने की मांग की। क्षेत्र के अमरपुरा, किशोरपुरा, नयागांव, नापाहेड़ा, जाखडौंद आदि गांव में भी खेतों में पानी भरने से फसलें पीली पड़ चुकी है जिससे किसानों को फसलें खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। किसान धन्नालाल यादव, युवराज नागर, नितेश शर्मा आदि ने बताया कि लगातार हुई बारिश के चलते और नदियों में आए उफान से चारों ओर पानी ही पानी हो जाने से खेतों में अधिक मात्रा में पानी भर गया। जिसमें फसलें डूब गई। अधिक समय तक फसल डूबी रहने के कारण फसलें गलने के कगार तक पहुंच चुकी है जिससे फसल खराब होने का खतरा मंडरा रहा है, किसानों ने उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है।

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