भाजपा के अब तक 14 प्रदेशाध्यक्ष : पार्टी को ‘कमल’ देने वाले माथुर का बेटा पार्षद भी नहीं बन सका

दिवंगत 6 अध्यक्षों के परिजनों का मुकाम अभी दूर

भाजपा के अब तक 14 प्रदेशाध्यक्ष : पार्टी को ‘कमल’ देने वाले माथुर का बेटा पार्षद भी नहीं बन सका

प्रदेशाध्यक्षों में सबसे ज्यादा समय का कार्यकाल रामदास अग्रवाल का रहा। वे लगातार दो बार 1990-97  तक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रहे। हालांकि सबसे ज्यादा बार अध्यक्ष बनने वालों में स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा हैं।

जयपुर। जनसंघ से भाजपा का गठन 1980 में हुए था। तब से अब तक 14 अध्यक्ष पार्टी में बन चुके हैं। जिनमें से पहले  6 अध्यक्ष अब दिवंगत हो चुके हैं। 8 वर्तमान में मौजूद हैं। जिनमें से हरिशंकर भाभड़ा सबसे उम्रदराज 94 साल के हैं। वे सक्रिय राजनीति से बहुत दूर हैं।  शेष 7 अध्यक्ष अभी सक्रिय राजनीति में हैं। लेकिन दिवंगत छह अध्यक्षों व समेत भाभड़ा के परिवार में एक का भी परिजन राजनीति में कहीं कोई बड़ा चेहरा बनना तो दूर की बात पार्षद भी नहीं बन पाया है। हालांकि इनमें से अधिकांश के परिजनों ने पार्षद, विधायक का टिकट मांगा, लेकिन मायूसी ही हाथ लगी। हालांकि कईयों के परिजन राजनीतिक पहचान के लिए संघर्षरत हैं। लेकिन पार्टी में मुकाम फिलहाल दूर है। पहले अध्यक्ष जगदीश प्रसाद माथुर जो जनसंघ के संविधान बनाने में दीनदयाल उपाध्याय के सहयोगी रहे थे। फिर भाजपा को चुनावी सिंबल कमल का फूल का चिन्ह् देने में उनकी बड़ी भूमिका रही। उनके बेटे को तो पार्षद का भी टिकट नहीं मिल सका। कमोबेश यही स्थिति अन्य अध्यक्षों के परिजनों की है। प्रदेशाध्यक्ष रहे आधे चेहरे राजनीति के दिग्गज हैं। इनमें मात्र पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां से चार बार से लगातार सांसद हैं।  बाकी 6 के परिजन फिलहाल राजनीति से दूर हैं। तीन बार अध्यक्ष रहे भंवरलाल शर्मा की बेटी मंजू शर्मा को हवामहल से एक बार टिकट मिला था, लेकिन वे जीत नहीं सकीं। लेकिन राजनीतिक रुप से संघर्षरत हीं है। जबकि हरिशंकर भाभड़ा के बेटे सुरेन्द्र भाभड़ा, ललित किशोर चतुर्वेदी के बेटे लोकेश चतुर्वेदी और रघुवीर सिंह कौशल के पोता प्रखर कौशल आगामी चुनावों में दावेदारी जता रहे हैं।

रामदास का सबसे लंबा कार्यकाल, भंवरलाल सबसे ज्यादा बार अध्यक्ष बने
प्रदेशाध्यक्षों में सबसे ज्यादा समय का कार्यकाल रामदास अग्रवाल का रहा। वे लगातार दो बार 1990-97  तक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रहे। हालांकि सबसे ज्यादा बार अध्यक्ष बनने वालों में स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा हैं। वे कुल पांच साल तीन बार 1986-88, 1989-90, 2000-2002 में पार्टी के अध्यक्ष बनें। हरिशंकर भाभड़ा दो बार लगातार (1981-86) पांच साल, वसुन्धरा राजे दो बार (2002-02, 2013-2014 )दो साल अध्यक्ष रहीं। 

कांग्रेस दिवंगतों को याद करती है, भाजपा ऑफिस से तो फोटो भी हटे
जगदीश माथुर का परिवार जयपुर में हवा सड़क पर रहता है। बेटे हिमांशु माथुर रियल एस्टेट का काम करते हैं। शहर भाजपा कार्यकारिणी में दो बार सदस्य रहे। वार्ड 58 से पार्षद का टिकट मांगा लेकिन पार्टी ने नहीं दिया। हिमांशु बताते हैं कि भाजपा पार्टी विद डिफरेंस है, लेकिन कांग्रेस की विशेषता है कि दिवंगत नेताओं को पूरा सम्मान देती है। दिवंगतों की जयंती-पुण्यतिथि पर याद करती है। भाजपा आॅफिस में तो पूर्व प्रदेशाध्यक्षों के लगे फोटो भी अब उतार दिए गए हैं। कहा कि हाल ही में जयपुर में हुई राष्टÑीय पदाधिकारियों की बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी का वर्चुअल संबोधन था, उन्होंने पिताजी को याद किया, सम्मान पर गर्व हुआ। इसलिए शायद मोदी लोकप्रिय नेता हैं। लेकिन मलाल है कि प्रदेश में पार्टी याद नहीं करती।

भाभड़ा की बेटी-दामाद कांग्रेस से जनप्रतिनिधि रहे
हरिशंकर भाभड़ा की एक बेटी ऊषा देवी सुजानगढ़ में कांग्रेस से पार्षद रहीं हैं। उनके दामाद डॉ.विजयराज शर्मा सुजानगढ़ में एक बार कांग्रेस और फिर वसुन्धरा राजे की पहली सरकार के वक्त एक बार भाजपा से नगर परिषद के चैयरमैन रह चुके हैं। 

केवल वसुन्धरा पार्टी के साथ सत्ता की सिरमौर भी बनी
भाजपा के अब तक बने 14 प्रदेशाध्यक्ष पार्र्टी के चेहरे बने हैं। लेकिन इनमें से दो बार प्रदेशाध्यक्ष रही वसुन्धरा राजे ही ऐसा चेहरा हैं जो दो बार प्रदेश में मुख्यमंत्री भी रहीं। राजे ही एक मात्र भाजपा की अब तक की महिला प्रदेशाध्यक्ष भी हैं। राजे की ऐसी पहली अध्यक्ष है जिनके पहले कार्यकाल में 2003 में पूर्ण बहुमत की सरकार आई और 2013 में 160 सीटें जीत कर रिकॉर्ड बनाया।

चतुर्वेदी के बेटे कोटा में असफल हुए, अब करौली में जमीं तलाश रहे
हाड़ौती के दिग्गज नेता रहे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी के बेटे लोकेश चतुर्वेदी कोटा की लाड़पुरा सीट से पिछली बार चुनाव लड़ना चाहते थे। उनकी जगह कांग्रेस से भाजपा में लाकर वहां की पूर्व राजघराने की बहू कल्पना राजे की ताजपोशी कर दी गई। अब लोकेश कोटा से नाउम्मीद लिए करौली में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। वर्तमान में धौलपुर के भाजपा सहप्रभारी भी हैं। 

भाभड़ा, भंवरलाल, कौशल, रामदास के परिजन भी सक्रिय, उम्मीद बरकरार
भाभड़ा के दो बेटो-दो बेटियां हैं। एक बेटी दिवंगत हो चुकी है। जयुपर के मालवीय नगर में छोटे बेटे सुरेन्द्र भाभड़ा रहते हैं। एबीवीपी में 1992 में प्रचार मंत्री रहे। अभी रतनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। इस बार दावेदारी भी जताने के मूड में हैं। भंवरलाल शर्मा की बेटी मंजू शर्मा और बेटे मनोज शर्मा दोनों ही हवामहल विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय है, यहीं से टिकट की दावेदारी पिछले तीन चुनावों से रही है। रघुवीर सिंह कौशल के पोते प्रखर कौशल अंता से प्रधान हैं। वे अंता या आसपास की विधानसभा सीट से पार्टी से अब दावेदारी जताएंगे। रामदास अग्रवाल के बेटे अरुण अग्रवाल भी राजनीति में सक्रिय हैं। जयपुर में ही टिकट की दावेदारी है। 

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