पंजाब में चुनाव

पंजाब में चुनाव

पंजाब में होने वाले विधानसभा का चुनावी मैदान में जैसी हलचल चल रही है, उससे प्रतीत होता है कि राज्य में किसी एक दल की सरकार का गठन मुश्किल होगा।

पंजाब में होने वाले विधानसभा का चुनावी मैदान में जैसी हलचल चल रही है, उससे प्रतीत होता है कि राज्य में किसी एक दल की सरकार का गठन मुश्किल होगा। राज्य में चुनाव से पूर्व नए-नए गठबंधन बन रहे हैं, तो नए-नए दलों का गठन भी हो रहा है। इस तरह यदि पांच-छह दल चुनावी मैदान में डटे, तो इससे अस्थायित्व की संभावना ही रहेगी। वर्तमान में राज्य में कांग्रेस पार्टी की 117 सदस्यीय विधानसभा में 80 से अधिक विधायकों वाली सरकार है। पंजाब देश का सीमान्त राज्य है जिसकी सीमाएं पाकिस्तान से मिलती है अत: इस राज्य के मतदाताओं की भूमिका अहम बन जाती है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़कर अपनी पंजाब लोक कांग्रेस बना ली है और पहली बार भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। इसी बीच पंजाब में 32 से अधिक किसान यूनियनों ने किसान आंदोलन को समर्थन देकर एक जन आंदोलन खड़ा कर दिया था। अंतत: किसानों ने अपनी सभी मांगें मनवाने के बाद ही आंदोलन खत्म किया था। अब इन्हीं किसान नेताओं में से एक गुरुनानक सिंह चठूनी अपनी अलग किसान संघर्ष पार्टी गठित करने की घोषणा की है। चठूनी का कहना है कि उनकी पार्टी सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। किसान आंदोलन को कांग्रेस व अकाली दल का पूर्ण समर्थन रहा लेकिन किसान संगठनों ने कभी राजनीतिक दलों को अपना हिस्सा नहीं बनने दिया। लेकिन अब किसान अपनी पार्टी बनाकर चुनावी राजनीति में उतरना चाहते हैं, तो यह कोई समझदारी का कदम नहीं है। नई पार्टी का गठन कर राजनीतिक दिशा बदलना आसान नहीं है। इस बार अकाली दल भाजपा की बजाए बसपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है। पंजाब के किसान अब तक अकाली दल का भी समर्थन करते रहे हैं, लेकिन अब किसानों की पार्टी परोक्ष रूप से अकाली दल के मतों में ही सेंध लगाएगी। बहरहाल नए-नए गठबंधन व नए दलों के गठन के बाद पंजाब के चुनाव काफी रोचक हो गए हैं। इसके अलावा जैसी चुनावी चौसर बैठाई जा रही है उससे कांग्रेस को कड़ा संघर्ष करना होगा। पंजाब के भाग्य का फैसला अब मतदाताओं को ही करना है, जो काफी परिपक्व माने जाते हैं।
 

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