15 अगस्त जितनी खुशियां नहीं मनाई थीं ‘गणतंत्र दिवस’ पर

26 जनवरी पर भारतीय संविधान को किया गया था लागू  

15 अगस्त जितनी खुशियां नहीं मनाई थीं ‘गणतंत्र दिवस’ पर

राजनीति विज्ञानी प्रो.शशि सहाय बताती हैं कि 26 जनवरी को भारत गणतंत्र बना, देश में भारतीयों की ओर से निर्मित संविधान लागू हुआ था, उस दिन का जयपुरवासियों ने उत्साह से स्वागत नहीं किया, लेकिन भारत के इतिहास में इस दिन का अहम महत्व है। 26 जनवरी को प्रभात फेरी, झण्डारोहण और मिष्ठान बांटे थे।

ब्यूरो/ नवज्योति, जयपुर। 26 जनवरी, 1950 को जब पहली बार देश में गणतंत्र दिवस मनाया गया तो जयपुर में 15 अगस्त, 1947 जैसा उत्साह, उमंग और रोशनी नहीं थी। हालांकि, 26 जनवरी को ही भारत गणतंत्र बना, भारतीय संविधान लागू हुआ, अस्पृश्यता को कानूनन समाप्त किया, देश में समानता, स्वतंत्रता सहित अन्य मौलिक अधिकार लागू हुए, लेकिन उस समय अशिक्षा के चलते लोगों ने उस ऐतिहासिक दिन की उस तरह खुशियां नहीं मनाई, जिस तरह उन्होंने 15 अगस्त की मनाई थी। पत्रकार मिलाप चन्द डांड़िया उस ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए बताते हैं कि उस दिन उतना अधिक उत्साह नहीं था, जितना 15 अगस्त, 1947 को था। हालांकि, पढ़े-लिखे लोगों को इस बात का अहसास था कि अब देशी रियासतों के अलग-अलग कानून होने के बजाय देश का एक ही कानून होगा। उस कानून का सभी को पालन करना होगा। राजनीति विज्ञानी डॉ.जनक सिंह मीणा बताते हैं कि ‘आजादी से पहले देशी रियासतों में रानी के पेट से जन्म लेने वाला लड़का ही राजा बनता था, लेकिन संविधान के लागू होने से मतपेटी में सबसे अधिक वोट लेने वाला व्यक्ति के हाथों में सत्ता के सूत्र आने थे।’ जयपुर में झण्डारोहण के बाद लोग गोविन्ददेवजी के दर्शन करने गए थे। वरिष्ठ पत्रकार सीताराम झालानी बताते हैं कि 26 जनवरी को वे अपने गांव बगरू में थे। जब जयपुर आए तो उन्हें बताया गया कि सरकारी इमारतों पर झण्डारोहण करने के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खुशियां मनाई थी। राजनीति विज्ञानी प्रो.शशि सहाय बताती हैं कि 26 जनवरी को भारत गणतंत्र बना, देश में भारतीयों की ओर से निर्मित संविधान लागू हुआ था, उस दिन का जयपुरवासियों ने उत्साह से स्वागत नहीं किया, लेकिन भारत के इतिहास में इस दिन का अहम महत्व है। 26 जनवरी को प्रभात फेरी, झण्डारोहण और मिष्ठान बांटे थे।

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