खाली प्लॉटों में जमा पानी और कचरा बना जी का जंजाल
कई संक्रमित बीमारियों के वाहक है प्लॉट, चिकित्सकों ने कहा विभाग ध्यान दे तो लोगों को अस्पताल आने की जरुरत ही नहीं पड़े
कॉलोनियों में खाली पड़े भूखन्डों में हर बार बारिश के दौरान पानी भरता है जो सालभर वहीं जमा रहता है। वहीं रही सही कसर इन इलाकों मे मकान बना चुके लोग कर देते हैं जो अपना कूड़ा करकट इन प्लॉटों में फैंक जाते है।
कोटा। कोटा में रहने वाले लोग बीते कुछ सालों से संक्रमित बीमारियों से लगातार जूझ रहे हैं लेकिन इन संक्रमित बीमारियों को फैलाने में अपनी महत्तपवूर्ण भूमिका निभाने वाले शहर की कॉलोनियों में खाला पड़े प्लॉटों की ओर प्रशासन का ध्यान कम ही गया है। शहर की बाहरी और आन्तरिक कॉलोनियों में खाली पड़ें इन प्लॉटों में बारिश के दौरान जमा होने वाला पानी और लोगों का फैंका गया कचरा दूसरे लोगों के लिए भारी परेशानी का कारण बना हुआ है और यहीं जमा पानी और उसमें फैंका गया कचरा संक्रमित बीमारियों को फैलाने में अपनी महत्तवपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लोगों की इस समस्या की ओर ना तो इन प्लॉटों के मालिकों का और ना ही संबंधित विभाग का ध्यान गया है। ज्ञातव्य है कि शहर के बाहरी इलाकों में यूआईटी और कॉलोनाइजर की ओर से लोगों को भूखन्ड दिए गए थे। इनमें से कई भूखन्डों पर तो लोगों ने निर्माण करवा लिया लेकिन आज भी कई भूखन्ड खाली पड़े हैं। भूखन्ड मालिकों ने इन पर या तो चार दीवारी करवा दी है या यूं ही रख छोड़ा है। इन इलाकों में पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर, स्टेशन क्षेत्र, मुकुन्दरा, मोहनलाल सुखाड़िया, रानी लक्ष्मी बाई, रानपुर तथा सूरसागर आदि कॉलोनियां है। इन कॉलोनियों में खाली पड़े भूखन्डों में हर बार बारिश के दौरान पानी भरता है जो सालभर वहीं जमा रहता है। वहीं रही सही कसर इन इलाकों मे मकान बना चुके लोग कर देते हैं जो अपना कूड़ा करकट इन प्लॉटों में फैंक जाते है।
ऐसा नहीं है कि इस बारे में संबंधित विभाग को जानकारी नहीं है लेकिन अधिकारी केवल कुछ मौकों पर ही इन भूखन्ड मालिकों को नोटिस आदि देने की कार्यवाही करते हैं, भूखन्ड मालिक इन नोटिसों का जवाब देते हैं लेकिन स्थिति वहीं ढ़ाक के तीन पात। इन इलाकों के रहने वाले लोग बताते हैं कि इन प्लॉटों के मालिक तो साल में कभी कभार आकर देखते हैं और जब उनकों इस समस्या के बारे में बताया जाता है तो वे सुनकर भी अनसुना कर देते हैं, अगर प्रशासन इस मामले को लेकर कुद सख्ती दिखाए तो हमें इस समस्या से निजात मिल सकती है। लोग बताते हैं कि इन भूखन्डों में पड़े कचरे में दिनभर सुअर आदि आवारा जानवर पड़े रहते हैं। इस बारें में कुछ चिकित्सकों का कहना है कि वाकई शहर में संक्रमित बीमारियों के फैलाने में इन खला पड़े भूखन्डों का भी विशेष योगदान है। इन प्लॉटों में जमा पानी से मच्छर पैदा होते है तो कई संक्रमित बीमारियों के जनक होते हैं। चिकित्सक बताते हैं कि संंबंधित विभाग अगर शहर में सफाई व्यवस्था पर पूरा ध्यान दे तो शायद लोगों को अस्पताल तक आने की जरुरत ही ना पड़ें। खासकर गर्मियों के दौरान संक्रमित बीमारियां ज्यादा फैलती हैं क्यों कि आज भी कई लोग गर्मियों में छतों पर सोना पसन्द करते हैं और जब इन प्लॉटों में पनपे मच्छर उनको काट लेते हैं तो उन्हे संक्रमित बीमारियों का शिकार होना ही पड़ता है।
इनका कहना हैं...
गर्मियों में मलेरिया, डेंगू तथा आंत्रशोध यानि टाइफाइड के रोगी ज्यादा सामने आते हैं। खाली प्लॉटों में जमा पानी जमीन में जाता है और बोरिंग के माध्यम से घरों में पहुंचता है। जिसकी वजह से पेट तथा लीवर से जुड़ी बीमारियों का जन्म होता है। लीवर फेलियर तक की स्थिति पैदा हो जाती है।
- डॉ. राकेश उपाध्याय, डिप्टी डायरेक्टर, मेडिसिन विभाग।
खाली पड़े प्लॉटों की समस्या आज या कल की नहीं है। ये सालों से चली आ रही समस्या है। संबंधित विभाग को इन भूखन्डों के मालिकों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। वैसे ही बीते कुछ सालों से पूरा क्षेत्र कई बीमारियों से जूझ रहा है ऐसे में जो दिखता दिखाता कारण है उसे तो हटाया ही जा सकता है।
- ओम महावर, स्टेशन क्षेत्र निवासी।
वाकई शहर के कई स्थानों पर खाली पड़ें भूखन्डों में जमा पानी और कचरा लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। लोग इन प्लॉटों को डस्टबिन के रूप में काम लेते है। कुछ लोगों ने इन प्लॉटों को खुला शौचालय भी बनाया हुआ है। इन भूखन्डों के मालिक इनकी सुध ही नहीं लेते हैं। इसको लेकर कुछ कठोर नियम होने चाहिए तभी इस समस्या को समाप्त किया जा सकेगा।
- लव शर्मा, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम दक्षिण।
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