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टूटी सड़कें और फैली रेत, दुर्घटनाओं की ही नहीं स्वास्थ्य बिगड़ने की भी आशंका
शहर के चौराहों पर टूटी सड़कें बनी लोगों के लिए परेशानी का सबब
जिन चौराहों पर निर्माण कार्य चलते हैं वहां अपनी सुविधानुसार ठेकेदार सड़क तो खोद देता है लेकिन वो इस टूटी सड़क को वापस ठीक करना भूल जाता है। शहर की कई ऐसी सड़कें है जहां निर्माण कार्य तो हुआ लेकिन आज भी वहां गिट्टी या रेत बिखरी हुई है जो दुर्घटना का कारण बनी हुई है।
कोटा। शहर में कई स्थानों पर सड़कों पर बने गड्ढें लोगों के लिए भारी परेशानी का कारण बने हुए हैं। गलियों और मौहल्लों में बने गड्ढ़े तो फिर भी इस शहर का नागरिक जैसे-तैसे झेल लेता है लेकिन शहर के प्रमुख चौराहों पर बने गड्ढेंÞ कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। कारण उसका ये हैं कि जिन चौराहों पर निर्माण कार्य चलते हैं वहां अपनी सुविधानुसार ठेकेदार सड़क तो खोद देता है लेकिन वो इस टूटी सड़क को वापस ठीक करना भूल जाता है। शहर के सीएडी चौराहा की ही बात करें तो बीते कुछ दिनों में इस चौराहा पर इतने गड्ढेंÞ बन चुके हैं। सड़क इतनी क्षतिग्रस्त हो चुकी है कि इस चौराहा से निकलने से पहले लोगों को डर सा लगने लगा हैं। कारण उसका ये है कि चौराहा के घुमाव के चारो ओर से टूटी सड़क के कारण लोगों को अचानक ब्रेक लगाने होते हैं और जल्दबाजी में अगर दुपहियां वाहन चालकों ने आगे के ब्रेक लगा दिया तो उसे लेने के देने भी पड़ सकते हैं।
सीएडी चौराहा पर बने इन गड्ढ़ों से बचने के लिए आगे वाला वाहन चालक गाड़ी के ब्रेक लगाएगा या तो उसे पीछे चल रहा वाहन चालक टक्कर मार देगा या जैसे ही उसने घुमाव पर गड्ढेÞ से बचने के लिए बे्रक लगा दिए तो दूसरी ओर से आ रहा वाहन उसे टक्कर मार देगा। बात यही पर खत्म नहीं होती है। इसी चौराहा पर यातायात पुलिसकर्मी भी बिना हेलमेट वाले वाहन चालकों की धरपकड़ के लिए खड़े रहते हैं, कई वाहन चालक जिन्होंने हेलमेट नहीं लगाया हुआ है वो इनसे बचने के लिए चौराहा से ही अचानक तेज रफ्तार से गाड़ी को घुमाते है अब या तो वे गड्ढ़े में उलझकर गिरेंगे या पीछे आ रहे वाहन को अपने लपेटे में ले लेंगे।
पीछे से टकराती हैं गाड़ियां
बात केवल एक्सीडेंट या सीएडी चौराहा की ही नहीं है। इसके अलावा भी शहर की कई ऐसी सड़कें है जहां निर्माण कार्य तो हुआ लेकिन आज भी वहां गिट्टी या रेत बिखरी हुई है जो दुर्घटना का कारण बनी हुई है। इतना ही नहीं सड़कों के किनारे फैली रेत हवा के साथ उड़कर वाहन चालकों की आंखों में भी जाती है और अचानक उसे ब्रेक लगाने पड़ते है परिणाम स्वरूप पीछे रफ्तार से आ रही गाड़ी उसे ठोक देगी। वहीं सड़कों के किनारों पर फैली रेत हवा के साथ उड़कर मुंह और नाक के माध्यम से इंसानों के फेफड़ों तक पहुंचकर उसे फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां भी दे रही है।
गिरते गिरते बची
एक तो सड़क टूटी हुई है। ऊपर से यातायात कर्मी खड़े रहते हैं। बिना हेलमेट वाले इनसे बचने के लिए या तो रफ्तार से गाड़ी निकालते हैं या उल्टा घुमते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही मैं गिरती-गिरती बची हंू।
- स्वाति शर्मा
जानलेवा बन सकती हैं टूटी सड़कें
शहर में ना जाने कैसे निर्माण कार्य चल रहे हैं। ठेकेदार सड़कें खोदता है और काम निपटते ही रवाना हो जाता है। ये टूटी हुई सड़कें कभी भी जानलेवा साबित हो सकती है। कई बार लोग अचानक ब्रेक लगा देते हैं। मैं खुद अभी परसों ही गिरता-गिरता बचा हूं। क्योंकि मेरी गाड़ी की रफ्तार बहुत कम थी। यातायात कर्मी तो अपना काम करेंगे ही। अगर चालान से बचना है तो हेलमेट लगाना चाहिए।
- सुखविन्दर सिंह
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