राजस्थान की सरजमीं पर आज भी जल रहे हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू की यादों के चिराग

जवाहरलाल नेहरू और कमला का विवाह जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित अटलजी की हवेली में तय हुआ था

राजस्थान की सरजमीं पर आज भी जल रहे हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू की यादों के चिराग

पंडित नेहरू ने 1945 में प्रजा परिषद के उदयपुर अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर में ही संयुक्त राजस्थान उद्घाटन में भी वे आएए जब महाराणा भूपाल सिंह को राजप्रमुख बनाया गया।

जयपुर। क्या आप जानते हैं कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का ससुराल जयपुर था? जी हाँ, उनकी पत्नी कमला नेहरू जयपुर रियासत के अर्थ मंत्री मोतीलाल अटल की प्रपौत्री थीं। उनका विवाह जवाहरलाल से दिल्ली में हुआ था। कमला चौड़ा रास्ता में परिवार के साथ रहती थीं और उन दिनों लड़कियों के शहर में निकलने पर बंदिशें थीं तो वे लड़कों का वेश धारकर जयपुर में घूमती थीं। 

जवाहरलाल नेहरू और कमला का विवाह जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित अटलजी की हवेली में ही तय हुआ था। उनकी साली स्वरूपरानी काटजू आजीवन जयपुर ही रहीं। इनके घर इंदिरा गांधी 1943 में 15 दिन जयपुर रही थी। चौड़ा रास्ता स्थिति इस हवेली को बाद में धामानी परिवार ने खरीद लिया था। काटजू परिवार के साथ आज भी नेहरू परिवार के रिश्ते जीवंत हैं। 

पहली बार पिलानी और पुष्कर आए
वरिष्ठ पत्रकार सीताराम झालानी बताते हैं कि पंडित नेहरू पहली बार 1929 में पिता मोतीलाल नेहरू के साथ पिलानी और पुष्कर आए थे। वे अंतिम बार 1963 में प्रधानमंत्री रहते हुए ब्रह्मांड किरण सम्मेलन का उद्घाटन करने जयपुर आए।  

डाकुओं का सामना हुआ तो नेहरू बोले, मैं जवाहरलाल!
पंडित नेहरू ने 1937 में चंबल इलाके का दौरा किया तो उनकी जीप को डाकुओं ने घेर लिया था। उन्होंने सोचा कि कोई बड़ा सेठ है। उन दिनों जीप किसी बड़े धनवान के पास होती थी। इस पर डाकुओं के सरदार से वे मुखातिब हुए तो बोले, मैं जवाहरलाल नेहरू! जल्दी बताओ मुझे क्या करना है? इस पर डाकुओं के सरदार ने उनके हाथ पर रुपयों की पोटली रख दी।

आजादी के आंदोलन में कई बार राजस्थान आए नेहरू
पंडित नेहरू ने 1945 में प्रजा परिषद के उदयपुर अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर में ही संयुक्त राजस्थान उद्घाटन में भी वे आएए जब महाराणा भूपाल सिंह को राजप्रमुख बनाया गया।

पंचायती राज नेहरू ही राजस्थान लाए
उन्होंने 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज की शुरुआत नागौर से की थी। नागौर से ही देश के पहले पंचायतीराज मंत्री एसके डे को बनाया था। 

नेहरू की रगों में माली माँ का लहू!
मोतीलाल नेहरू का भी प्रदेश से लगाव रहा। उनके बड़े भाई नंदलाल खेतड़ी नरेश के सचिव थे। दुधमुंहे मोतीलाल की मां का निधन हो गया तो उन्हें वहां धाय मां (लिछमाराम माली की पत्नी) ने उन्हें दूध पिलाया था। जवाहरलाल के घुड़सवारी के शौक को पूरा करने लिए ही खेतड़ी नरेश ने इलाहाबाद के आनंद भवन (इलाहाबाद) में शाही घोड़े भिजवाए थे।

काश! मैं भी छोटी लड़की होता!
नेहरू 1945 में वनस्थली आए तो उनके मुंह से निकल गयाकाश! मैं भी लड़की होता! मैं भी पढ़ता! एक बार उन्होंने कहा, मन में आता है, संपूर्ण अणुशक्ति को एक पेटी में बंदकर राजस्थान के रेगिस्तान में बिखेर दूं ताकि वो नखलिस्तान बन सके!

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