चिकित्सा विभाग अपने कार्यालय में ही नहीं रोक पा रहा तंबाकू

ऑफिस की पार्किंग में ही पड़े हैं गुटखे के सैकड़ों पाउच

चिकित्सा विभाग अपने कार्यालय में ही नहीं रोक पा रहा तंबाकू

शहर के लगभग हर सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के बाहर या ईद-गिर्द ही इन तंबाकू उत्पादों की बिक्री को प्रभावशाली तरीके से नहीं रोका जा सका है।

कोटा। एक कहावत है घर का पूत कुंवारा डोले पाड़ौसी के फेरा, वास्तव में तो ये कहावत चिकित्सा विभाग पर सही बैठती है। कारण उसका ये है कि विभाग की ओर से गत 25 मई से तंबाकू निषेध सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसके तहत रैलियों आदि के माध्यम से लोगों को तंबाकू और उससे बने उत्पादों का सेवन नहीं करने का संदेश दिया जा रहा है लेकिन मजेदार बात तो ये है कि वर्तमान समय में विभाग के ही कार्यालय की पार्किंग में गुटखे और उसके साथ खाये जाने वाले जर्दा के अनगिनत पाउच पड़े हुए है और शायद विभाग के किसी भी अधिकारी, कर्मचारी की नजर उन पर नहीं गई है। बात केवल विभाग के परिसर की ही नहीं है। इसके अलावा भी शहर के कई स्थान ऐसे हैं जहां पर गुटखा, जर्दा, सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पाद बेचना कानून के खिलाफ हैं लेकिन फिर भी वहां पर ये वस्तुएं खुलेआम बिक रही है। उदाहरण के रूप में शहर में कई स्थानों पर संचालित होने वाले डेयरी बूथों पर सरस के उत्पाद कम और ऐसी ही अन्य वस्तुएं ज्यादा मात्रा में बिकती है। इस बारे में जब विभागीय अधिकारियों को पूछा जाता है तो उनका टका सा जवाब होता है कि हम इसके बारे में निगम या संबंधित विभाग को अवगत करवा देते हैं या चालान की कार्यवाही कर आगे के लिए उनको बता दिया जाता है।अभी हाल ही में विभाग की ओर से जानकारी दी गई थी कि विभाग ने कोटपा एक्ट के तहत कार्यवाही से 3 लाख का जुर्माना वसूला हैं। तम्बाकू नियंत्रण के लिए विभागीय स्तर से कई जनजागरुकता गविविधियां चलाई जा रही है। सरस बूथ पार्लर संचालकों से भी समझाइश की जा रही है कि वे सरस बूथ पर तम्बाकू उत्पादों को नही बेचें। यहां तक कि तम्बाकू मुक्तसप्ताह के तहत जिले में 31 मई को सभी विभागों के कार्यालयों में कर्मचारियों को तम्बाकू मुक्तिकी सामूहिक शपथ दिलवाने के निर्देश भी दिए गए है लेकिन हकीकत के धरातल पर ये सब महज एक कागजी खानापूर्ति या कुछ घंटों की ही बातें होती हैं। वर्तमान समय में लगभग हर सरकारी कार्यालय के बाहर, स्कूलों, कॉलेजों के बाहर या आसपास तंबाकू और उससे बनने वाले उत्पाद खुलेआम धड़ल्ले से बिक रहे हैं। छात्र या अन्य दूसरे व्यक्ति तो बाद की बात है, इस शिक्षण संस्थाओं में पढ़ाने वाले टीचर्स की इन केबिनों या हाथठेलों से लेकर तंबाकू और जर्दा चबाकर, सिगरेट का धुंआ उड़ाते नजर आ जाएंगे। अब इन पर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की क्यों नजरे इनायत है ये तो वे ही जाने। पर इस सच्चाई से विभागीय अधिकारी भी परिचित है। दूसरे विभाग या कार्यालय तो दूर की बात है। इस शहर के लगभग हर सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के बाहर या ईद-गिर्द ही इन तंबाकू उत्पादों की बिक्री को प्रभावशाली तरीके से नहीं रोका जा सका है। 

इनका कहना है 
कानून और नियमों के बनाने से ही कुछ नहीं होता है। उनकी सख्ती से पालना भी करवानी चाहिए। आज हर स्कूल या दूसरे सरकारी, गैर सरकारी दफ्तर के बाहर खुले में गुटखा, जर्दा तथा सिगरेट आदि बेचे जा रहे है। ऐसे में कोटपा एक्ट की पालना कहा हो रही है मेरे तो समझ से बाहर है। 
- गुरमीत सिंह 

विभाग को कार्यवाही से पहले इन स्थानों पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। अगर किसी डेयरी बूथ पर तंबाकू उत्पाद बेचा जा रहा है तो उसका लाइसेंस की निरस्त कर देना चाहिए। तभी कुछ रोक लग पाएगी। 
- ओमप्रकाश

कार्यालय के अधिकतर अधिकारियों और कर्मचारियों को गुटखा, जर्दा तथा अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन बंद करवा दिया गया हैं। कार्यालय में 1 या 2 अभी बचे है उन्होंने भी वादा किया है कि वो इन वस्तुओं का सेवन नहीं करेंगे। कार्यालय में बाहर के भी कई आदमी आते-जाते है। 
- डॉ. जगदीश सोनी, सीएमएचओ, कोटा। 

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