
चिकनगुनिया संक्रमण से उबरने के दौरान एंटीबॉडी अधिक प्रभावी: लांसेट अध्ययन
खुलासा लांसेट के दक्षिण पूर्व क्षेत्रीय स्वास्थ्य जर्नल में प्रकाशित
चिकनगुनिया संक्रमण, मच्छरों द्वारा प्रसारित चिकनगुनिया वायरस से होता है, जिसमें बुखार और जोड़ों का दर्द होता है, और यह एक विश्वव्यापी स्वास्थ्य खतरा है।
नई दिल्ली। चिकनगुनिया से लड़ने के लिए शरीर में बनी एंटीबॉडी गंभीर संक्रमण से उबरने के दौर में कहीं अधिक प्रभावी होती है। यह खुलासा लांसेट के दक्षिण पूर्व क्षेत्रीय स्वास्थ्य जर्नल में प्रकाशितअध्ययन पत्र में हुआ है।
भुवनेश्वर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), कर्नाटक के मणिपाल विषाणु रोग विज्ञान संस्थान और नयी दिल्ली के ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी’ (आईसीजीईबी) सहित भारतीय संस्थानों के अध्ययन में कहा गया है कि किसी निश्चित समय में रोग की गतिशीलता को समझने में अध्ययन के ये नतीजे महत्वपूर्ण हैं।
लांसेट अध्ययन: इसमें कहा गया कि भले ही एंटीबॉडी वायरस से संक्रमण की वजह से उत्पन्न हुए लेकिन सीरोलॉजिकल विश्लेषण से पता चलाता है कि चिकनगुनिया के रोगियों के रक्त सीरम में मौजूद एंटीबॉडी की ताकत बीमारी से उबरने के दौरान अधिक होती है।
चिकनगुनिया: चिकनगुनिया संक्रमण, मच्छरों द्वारा प्रसारित चिकनगुनिया वायरस से होता है, जिसमें बुखार और जोड़ों का दर्द होता है, और यह एक विश्वव्यापी स्वास्थ्य खतरा है। इस दौरान, रोगियों को सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन या दाने की दुष्प्रभाव का भी अनुभव हो सकता है।
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