जिनके पास राजनीतिक आका, उनकी भर गई ‘झोली’, दरी पट्टी बिछाने वाले दशकों बाद भी खाली हाथ
राजनीतिक नियुक्ति सूचियों में कांग्रेस के आम कार्यकर्ता बरसों बाद भी छलावे का शिकार हुए।
राजनीतिक आकाओं के सिर पर हाथ वालों की झोली भर गई और बरसों से दरी पट्टी बिछाने और पार्टी झंडा बुलंद करने वाले दशकों बाद भी खाली हाथ हैं।
जयपुर। राजनीतिक नियुक्ति सूचियों में कांग्रेस के आम कार्यकर्ता बरसों बाद भी छलावे का शिकार हुए। राजनीतिक आकाओं के सिर पर हाथ वालों की झोली भर गई और बरसों से दरी पट्टी बिछाने और पार्टी झंडा बुलंद करने वाले दशकों बाद भी खाली हाथ हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो हाल ही में 58 और 74 की सूची में शामिल नामों में बड़े खेमों से जुड़े लोग ही जगह हासिल कर पाए। सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और दिल्ली नेताओं की नजदीकियों वालों को खूब तोहफा मिला। कई दशकों से पार्टी का झंडा बुलंद करने और दरी पट्टी बिछाने वाले ऐसे कई कांग्रेसियों को आज तक सरकार में भागीदारी नहीं मिली। दर्जनों कांग्रेसी तो सरकार में तोहफा मिलने की आस में ही दुनिया से अलविदा हो गए।
प्रदेशभर में ऐसे दर्जनों कांग्रेसी
इकरामुद्दीन खान पहलवान जयपुर, आरआर तिवाड़ी जयपुर, हफीज जयपुरी जयपुर, दिनेश शर्मा जयपुर, बृजमोहन खत्री जयपुर, क्रांति तिवाड़ी कोटा, भुवनेश शर्मा कोटा, अनिल टाटिया जोधपुर, श्याम खींचड लूणी, भरत आमेटा उदयपुर, बिशनाराम सिहाग बीकानेर, संजीव सहारण गंगानगर, नेतराम झुंझुनूं, समशेर खोकर नागौर, रवि पटेल लाडनू, महेश जोशी पाली, कन्हैयालाल शर्मा करौली, अनिल पोरवाल झालावाड़ आदि।
बड़े नेताओं से नजदीकी और बैकग्राउंड की कमी
पार्टी के लिए खून पसीना बहाने वाले इन कांग्रेसियों के पास बड़े नेताओं की नजदीकी और मजबूत पॉलिटिकल बैकग्राउंड की कमी खल रही है। कई तो कांग्रेस के लिए 30 साल से ज्यादा समय से कार्य कर रहे हैं। ये कार्यकर्ता मानते हैं कि ऊपरी सिफारिश और धनबल की कमी जैसे कारणों के चलते उन्हें तवज्जो नहीं मिलती। ऐसे धरातल वाले कार्यकर्ताओं की पहचान के लिए पार्टी को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, नहीं तो समर्पित कांग्रेसियों का मनोबल टूट जाने से पार्टी को ही नुकसान होगा।
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