डिग्री से पहले ही हाथ में नौकरी दे रहा आरटीयू

हर साल 35 फीसदी स्टूडेंट्स को दिला रहा रोजगार

डिग्री से पहले ही हाथ में नौकरी दे रहा आरटीयू

छात्रों की शिक्षा को रोजगारपरख एवं गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में आरटीयू लगातार नवाचार कर रहा है।

कोटा। इंजीनियरिंग की दुनिया में नवाचार से गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पहचान बना चुका आरटीयू अब रोजगार के क्षेत्र में भी अपना प्रभुत्व स्थापित करने में जुटा है। पढ़ाई पूरी होने से पहले ही भावी इंजीनियरों के हाथ में रोजगार थमा रहा है। दरअसल, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय   हर साल 30 से 35 फीसदी बीटेक स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट कैम्प के जरिए  मल्टीनेशनल कम्पनियों में नौकरी दिला रहा है।  जबकि, आरटीयू द्वारा सालाना 60 फीसदी प्लेसमेंट देने का दावा किया जा रहा है। 

8 साल में 1862 स्टूडेंट्स को मिली नौकरी
आरटीयू में वर्ष 2016 से 2023 तक कई प्लेसमेंट कैम्प लगाए गए। इसमें बीटेक इंजीनियरिंग की सभी 11 ब्रांचों से कुल 2 हजार 908  पात्र विद्यार्थियों ने भाग लिया। जिसमें से 1862 स्टूडेंटस का मल्टीनेशनल कम्पनियों में चयन हुआ और मौके पर ही जॉब आॅफर लेटर दिए गए। डिग्री पूरी होने से पहले ही भावी इंजीनियरों को लाखों के पैकेज पर नौकरी मिली।  

सबसे ज्यादा कम्प्यूटर साइंस के विद्यार्थी का हुआ चयन 
गत 8 वर्षों में आयोजित हुए प्लेसमेंट कैम्पों में सबसे ज्यादा बीटेक कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का चयन हुआ। वर्ष 2016 से 2023 तक कुल नामांकित विद्यार्थियों में से 168 विद्यार्थियों को रोजगार मिला। यदि, वर्षवार आंकड़ों पर नजर डाले तो वर्ष 2022 में सर्वाधिक 78 स्टूडेंट्स को मल्टीनेशनल कम्पनियों में नौकरी मिली।  

पेट्रोकैमिकल व पेट्रोलियम पिछड़ा
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में संचालित बीटेक पेट्रोकैमिकल व पेट्रोलियम इंजीनियरिंग ब्रांच का प्लेसमेंट रिकॉर्ड सबसे कम है। आरटीयू से मिले आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोकैमिकल इंजीनियरिंग में 8 वर्षों  में 40 बच्चों का ही प्लेसमेंट हुआ है। वहीं, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के 48 विद्यार्थियों को रोजगार मिला। हालांकि, इन क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। क्योंकि, यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, जिससे स्टूडेंटस वाकिफ नहीं हो रहे। वहीं, दोनों ब्रांच में सबसे ज्यादा प्लेसमेंट वर्ष 2023 में  11-11 विद्यार्थियों को अच्छे पैकेज पर नौकरी मिली है। विशेषज्ञ बताते हैं, छात्र ब्रांच को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसकी वजह से अपेक्षाकृत कमजोर कॉलेज का चुनाव कर बैठते हैं। जिससे बेरोजगारी की समस्या पैदा होती है। 

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6 से 45 लाख तक का मिला पैकेज
छात्रों की शिक्षा को रोजगारपरख एवं गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में आरटीयू लगातार नवाचार कर रहा है। गत वर्ष यूनिवर्सिटी कैम्पस में 150 से ज्यादा कम्पनियों को आमंत्रित कर प्लेसमेंट कैम्प लगाए गए। जिसमें 250 से ज्यादा स्टूडेंटस को जॉब के अवसर मिले। इनमें न्यूनतम 6 लाख से अधिकतम 44 लाख तक के पैकेज पर विद्यार्थियों को नौकरी मिली। वहीं, गत वर्ष 37 विद्यार्थियों की जलदाय विभाग में जेईएन के पद पर सरकारी नौकरी लगी है।  

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इन ब्रांचों में रोजगार अपार फिर भी बेरूखी
आरटीयू से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं, प्रोडक्शन एंड इनडस्ट्रियल, पेट्रोकैमिकल व पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। पिछले साल जयपुर की मयूर कॉटर्स कम्पनी आई थी। उन्हें 8 प्रोडक्शनल इंजीनियर चाहिए थे लेकिन यहां बच्चे भी ऐसे नहीं मिले, जिनके डाटा कम्पनी को भेज सके। आखिरकार 4 बच्चों का इंटरव्यू करवाया, जिसमें 2 स्टूडेंटस का सलेक्शन हुआ। इधर, एशिया की एचएलएस कम्पनी आरटीयू आई थी और पेट्रोलियम ब्रांच के विद्यार्थियों को शुरूआती 7.50 लाख का पैकेज आॅफर किया था। इन क्षेत्रों में रोजगार होते हुए भी विद्यार्थी भेड़चाल में फंसे हैं। जबकि, देश-विदेश की मल्टीनेशनल कम्पनियों को इन ब्रांचों के इंजीनियरों की जरूरत रहती है। 

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यूं समझें 60 फीसदी का गणित
आरटीयू में प्लेसमेंट के लिए आने वाली हर कम्पनी का अपना-अपना  क्राइट एरिया होता है। मान लीजिए एक ब्रांच में 100 स्टूडेंट हैं। कंपनी के क्राइटेरिया में 60 ही स्टूडेंट आ रहे हैं, तो 60 विद्यार्थी ही प्लेसमेन्ट के लिए एपीयर होंगे। 60 में से यदि 36 का सलेक्शन हो जाता है तो आरटीयू इसे करीब 60 प्रतिशत प्लेसमेंट मानता है। वास्तविकता में देखा जाए तो यह प्लेसमेंट 36 फीसदी ही होता है। 

कुलपति एसके सिंह ने दिए सवालों के जवाब 
सवाल :  1 हजार 46 बच्चों का प्लेसमेंट क्यों नहीं हो सका, क्या कारण मानते हैं?
जवाब : सभी विद्यार्थियों को शत-प्रतिशत रोजगार दिलाना सभी के समक्ष कड़ी चुनौती है। रोजगार के परिदृश्य में कड़ी प्रतिस्पर्धा है। नियोक्ता कंपनियों के भी कठोर चयन मापदंड है। रोजगार को लेकर विद्यार्थी की अपेक्षाएं, मनोवांछित वेतन, पसंदीदा कार्यक्षेत्र, कार्य की दशा, विद्यार्थी एवं रोजगार प्रदाता में आपसी समन्वय का आभाव और म्यूचुअल अंडरस्टेंडिंग जैसे कई कारक है, जो रोजागार और चयन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। 

सवाल :
वंचित विद्यार्थियों को किस तरह से रोजगार से जोड़ेंगे?
जवाब : वंचित रहने वाले विद्यार्थियों को फिर से रोजगार में नियोजित करने के लिए भविष्य में और अधिक रोजगार मेलों का आयोजन व प्लेसमेंट कंपनियों से निरंतर संपर्क स्थापित कर रहे हैं। ताकि, उन्हें रोजगार में नियोजित कर मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। आरटीयू अपने हितधारक विद्यार्थियों के सर्वागींण विकास के लिए संकल्पित है। 

सवाल :
पेट्रोकैमिकल व पेट्रोलियम ब्रांच में विद्यार्थियों का रूझान सबसे कम क्यों हैं?
जवाब : तकनीकी शिक्षा के बदलते परिदृश्य के साथ विद्यार्थी ब्रांच चयन के अन्य विकल्पों को तलाशने लगे हैं। इंजीनियरिंग की परंपरागत ब्रांचों लेकर विद्यार्थियों का झुकाव ज्यादा रहता है। वहीं, जागरूकता का आभाव, ब्रांच चयन के साथ ही भविष्य में रोजगार की स्थानीय संभावनाओं को तलाशना,रोजगार के सीमित और असीमित अवसर सहित कई कारण हैं जो ब्रांचों में प्रवेश की स्थिति को प्रभावित करते हैं। हालांकि पेट्रोकैमिकल व पेट्रोलियम इंजीनियरिंग ब्रांच में छात्रों का रूझान है। 

सवाल :
 प्लेसमेंट नहीं होने वाले स्टूडेंट्स को रोजगार दिलाने की कोई कार्ययोजना है?
जवाब : हर विद्यार्थी विश्वविद्यालय परिवार का अभिन्न अंग है। रोजगार से वंचित रहे विद्यार्थियों को पुन: मुख्यधारा में लाने के लिए विवि का प्लेसमेंट विभाग विस्तृत कार्ययोजना पर कार्य कर रहा है। इसके तहत हम विभिन्न प्लेसमेंट कंपनियों, रोजगार प्रदाताओं से संपर्क स्थापित कर उनके नियोजन के समुचित प्रयास कर रहे है।

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