
राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित होगा मानगढ़ धाम
विश्व आदिवासी दिवस पर की गई थी घोषणा
गहलोत ने विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त, 2023) पर मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित कराने और 100 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य करवाने की घोषणा की थी।
जयपुर। बांसवाड़ा के प्रसिद्ध स्मारक एवं समाज सुधारक गोविंद गुरू की साधना स्थली मानगढ़ धाम को राज्य सरकार राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित कराएगी। इसके लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने डीपीआर बनाने के लिए 1 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।
गहलोत ने विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त, 2023) पर मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित कराने और 100 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य करवाने की घोषणा की थी।
मानगढ़ धाम में अंग्रेजों ने दिया था बड़े हत्याकांड को अंजाम
बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम पर जलियांवाला बाग से भी बड़े हत्याकांड को अंग्रेजों की सरकार ने अंजाम दिया था, जहां मेले में मौजूद हजारों वनवासियों पर अंग्रेजी सरकार ने जमकर गोलियां बरसाई और पंद्रह सौ से अधिक वनवासी शहीद हो गए। बांसवाड़ा जिले में मध्यप्रदेश और गुजरात सीमा से सटा मानगढ़ धाम अमर बलिदान का साक्षी है, जहां 17 नवंबर 1913 को वार्षिक मेले का आयोजन होने जा रहा था। वनवासियों के नेता गोविन्द गुरु के आह्वान पर उस कालखंड में पड़े अकाल से प्रभावित हजारों वनवासी खेती पर लिए जा रहे कर को घटाने, धार्मिक परम्पराओं का पालना की छूट के साथ बेगार के नाम पर परेशान किए जाने के खिलाफ एकजुट हुए थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उनकी सुनवाई करने के बजाय मानगढ़ धाम को चारों ओर से घेर लिया और मशीनगन और तोपें तैनात कर दी।अंग्रेजी सरकार ने गोविन्द गुरु तथा वनवासियों को पहाड़ी छोड़ने के आदेश दिए लेकिन वे अपनी मांग पर अड़े रहे। जिस पर अंग्रेजी शासन की ओर से कर्नल शटन ने वनवासियों पर गोलीबारी के आदेश दिए और एकाएक हुई फायरिंग में हजारों वनवासी मारे गए। अलग-अलग पुस्तकों में शहीद वनवासियों की संख्या पंद्रह सौ से दो हजार तक बताई जाती है।
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