भाजपा की जीत का नया प्रयोग: 24 सीटों पर बाहरी चेहरे, चट से ज्वाइनिंग-पट से टिकट

भाजपा की जीत का नया प्रयोग:  24 सीटों पर बाहरी चेहरे, चट से ज्वाइनिंग-पट से टिकट

बीजेपी ने कुछ घंटों पहले बाहरी की ज्वाईनिंग करवाई और टिकट दे दिया। इनमें 15 से अधिक ऐसे नेता भी हैं जो पिछली बार भाजपा को इतनी ही सीटों पर चुनावी हार का बड़ा कारण बने थे।

ब्यूरो/नवज्योति,जयपुर। राजस्थान में भाजपा ने इस बार टिकट वितरण में नया प्रयोग किया, जीताऊ चेहरे मिले तो बाहरी को टिकट देने में नहीं चूकी। चट से उनकी ज्वाईनिंग करवाई और पट से उनको टिकट देकर प्रत्याशी बना दिया। हालांकि कई सीटों पर पार्टी के लोकल कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया, लेकिन भाजपा बहुमत के जादुई नंबर के लिए अपनी इस रणनीति को नामांकन के आखिरी दिन तक फोलो करती रही। कुछ घंटों पहले बाहरी की ज्वाईनिंग करवाई और टिकट दे दिया। इनमें 15 से अधिक ऐसे नेता भी हैं जो पिछली बार भाजपा को इतनी ही सीटों पर चुनावी हार का बड़ा कारण बने थे। कई गत चुनावों में बागी भी हो गए थे, लेकिन भाजपा जोड-तोड़ और गठजोड़ में काफी हद तक कामयाब हुई। हालांकि भाजपा इस काम में पिछले चार-पांच माह से लगी थी, लेकिन नामांकन से पूर्व अंतिम दस दिनों में मजबूत को साथ लाकर जीत का दांव खेला है। कुल 25 बाहरी को अंदर लाकर टिकट दिया गया है। देखना यह है कि इनमें से कितने चेहरे जीतकर आते हैं और पार्टी को इसका कितना फायदा मिलता है। 

कुछ दिनों-घंटों पहले आए, मैदान में उतारा
करौली- दर्शन सिंह गुर्जर। बसपा से विधायक रहे, कांग्रेस से लाए गए।

टोडाभीम- रामनिवास मीणा। ईआरसीपी पर पूर्वी राजस्थान में भाजपा को घेरा। 

खंडेला- सुभाष मील। कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे, निर्दलीय महादेव सिंह को मिला तो भाजपा में लाकर टिकट दे दिया। 

वल्लभनगर- उदयलाल डांगी। उपचुनावों में भाजपा से बागी हो गए थे, अच्छे वोट लिए तो फिर पार्टी में लौट आए। 

नागौर- ज्योति मिर्धा। पूरा परिवार कांग्रेस में खास जगह रखता है। पिछली बार नागौर से सांसद लड़ी। इस बार भाजपा में आ गईं। 

बाडी- गिर्राज मलिंगा। बाडी से बसपा से जीते, फिर कांग्रेस में शामिल हुए। विधायक रहते टिकट नहीं मिला तो भाजपा में लाकर टिकट दिया।  

गंगानगर- जयदीप बिहाणी। पिछली बार चुनाव में भाजपा की विनिता आहूजा की हार का बड़ा कारण, इस बार उन्हें ही चेहरा बनाया। 

सुजानगढ़- संतोष मेघवाल। पिछली बार भाजपा के खेमाराम की जीत पर बे्रक लगाए, भाजपा ने उतार दिया। 

झुंझुनूं- बबलू चौधरी। कांग्रेस का गढ़ है। भाजपा के उम्मीदवार गत बार नहीं जीते। तीन नंबर निर्दलीय रहे को अपने साथ ले आए। 

नवलगढ़- विक्रम सिंह जाखल। कांग्रेस के राजकुमार के जीत के तिलिस्म में भाजपा हारती रही है। जाखल निर्दलीय 39 हजार वोट लाए तो इनसे उम्मीद बंधी।

कोटपूतली- हंसराज पटेल गुर्जर। यादव-गुर्जर क्षेत्र में अदद चेहरा नहीं मिला। निर्दलीय लड़कर 24 हजार वोट लाए। उन्हें अब अपना सिंबल दे दिया। 

बानसूर- देवी सिंह शेखावत। पिछली बार बागी हो गए। भाजपा उम्मीदवार से ज्यादा वोट लाए। वापस लौटे, टिकट दिया। 

सपोटरा- हंसराज मीणा। कांग्रेस के रमेश मीणा मजबूत दिख रहे थे, पिछली बार दिग्गज किरोड़ी की पत्नि गोलमा को हराया। तीन नंबर पर रहे बसपा के हंसराज को लाकर जीत की आस। 

बांदीकुई- भागचंद टांकड़ा। गुर्जर-सैनी बाहुल्य एरिया। पायलट के खास विधायक गजराज खटाणा को हराने के लिए बसपा से 44 हजार से ज्यादा वोट लेने वाले को साथ लाए, मैदान में उतारा।  

सहाड़ा- लादूलाल पितलिया। कांग्रेस उपचुनाव में भी यहां से जीती। लादूलाल की वजह से पिछला चुनाव भाजपा हारी। उन्हें इस बार मैदान में लाए। 

विराटनगर- कुलदीप धनखड़। भाजपा से बागी होकर लड़े थे। पार्टी प्रत्याशी के हार का कारण बने। चालीस हजार से ज्यादा वोट लिए थे। फिर पार्टी में लौटे। चेहरा बन गए।

राजगढ़-लक्ष्मणगढ़: बन्नाराम मीणा। बसपा से प्रत्याशी थे। भाजपा की गणित बिगाड़ दी, सुधारने के लिए अब भाजपा ने अपने गले लगाया। टिकट दिया। 

कठूमर- रमेश खींची। दलित चेहरा चाहिए था, पिछले चुनाव से दमदार बन उभरे निर्दलीय रमेश खींची को अपना प्रत्याशी बनाया। 

बसेड़ी- सुखराम कोली। कांग्रेस से लड़ने के लिए पिछली बार 18593 वोट लेने वाले उम्मीदवार को अपना प्रत्याशी बनाया। 

शाहपुरा- उपेन यादव। बेरोजगारी को पार्टी मुद्दा बना रही। उपेन पेपरलीक, बेरोजगारी के मुद्दे उठाकर बेरोजगारो के सरपरस्त बन गए। भाजपा उन्हें ले आई, राव राजेन्द्र को हटा उन्हें टिकट दिया। 

लक्ष्मणगढ़- सुभाष महरिया। भाजपा सांसद रहे। फिर बागी हुए। कांग्रेस में सांसद लडे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा के जीत के तिलस्म को तोड़ने के लिए महरिया मजबूत चेहरा लगा, ले आए और उतार दिया।

कोलायत- अंशुमान सिंह भाटी। केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल की खिलाफत करने वाले देवी सिंह भाटी भाजपा से निकाल दिए गए। अब वापस लाए। कोलायत में लगातार जीत रहे भंवर सिंह भाटी का तोड़ भाटी परिवार में दिखा। पोते को उम्मीदवार बनाया। 

मांडल- उदयलाल भडाणा। जाट-गुर्जर जीत में अहम। पिछली बार मंत्री रहते कालूलाल हारे। तब चौथे नंबर पर हे भडाणा 23 हजार से ज्यादा मत लाए थे, उन्हें साथ लाए और चेहरा बनाया। 


इनको सीटों पर चेहरा बनाकर चौंकाया
बस्सी : चन्द्रमोहन मीणा। रिटायर्ड आईएएस हैं। चेहरा मिल नहीं रहा था। कुछ दिनों पहले ज्वाईनिंग करवाई। अब टिकट दिया। 

दातांरामगढ़- गजानंद कुमावत। कुमावत जीत में अहम। नया चेहरा चाहते थे। गजानंद यहां सक्रिय थे। भाजपा ने अपने खेमे में खींचा। कुछ दिन पहले सदस्यता ली, बड़ो को दरकिनार कर टिकट दिया।
 
हवामहल: बालमुकन्दाचार्य। किसी जमाने में एबीवीपी में थे। फिर संत बन गए। राजनीति से दूर थे। चंद दिनों पहले एक्टिव किया। प्रत्याशी बना दिया।

कामा: नौक्षम चौधरी। हरियाणा में पुन्हावा सीट से लड़ी थी। राजस्थान की राजनीति से दूर तक लेना-देना नहीं। प्रदेश की सर्वाधिक मुस्लिम बाहुल्य सीट से चेहरा बनाया।

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