सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र: लगातार पांच बार जीत दर्ज कर चुके सीएम गहलोत को हराना असम्भव
वर्ष 1998 में गहलोत पहली बार बने मुख्यमंत्री
राजस्थान की राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले दो विधानसभा क्षेत्र जो पिछले 25 वर्षों से राज्य को उसका मुखिया दे रहे हैं।
जोधपुर। राजस्थान की राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले दो विधानसभा क्षेत्र जो पिछले 25 वर्षों से राज्य को उसका मुखिया दे रहे हैं। इनमें से एक विधान सभा क्षेत्र है सरदारपुरा। यहां से पिछले 25 साल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं और जीत भी रहे हैं। माना जाता है कि अशोक गहलोत इस विधानसभा क्षेत्र से अजेय हैं, उन्हें कोई भी हरा नहीं सकता। जब 2014 में मोदी लहर थी और जोधपुर की 10 विधानसभा क्षेत्र में से 9 पर बीजेपी ने फतह हासिल की तब भी अशोक गहलोत 18 हजार से ज्यादा वोटों से सरदारपुरा सीट से चुनाव जीत गए थे।
सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र राज्य का एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है। इस बार इस सीट से कांग्रेस से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा के महेंद्र सिंह राठौड़ चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गहरा प्रभाव है। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर इसी सीट से शुरू किया था। यह कहा जाता है कि गहलोत अपने नामांकन भरने के बाद चुनाव से मात्र 2 दिन पहले इस विधानसभा क्षेत्र में जनता से वोट मांगने की अपील करते हैं। इस क्षेत्र की जनता उनकी अपील को स्वीकार कर लेती है और जादूगर का जादू चल जाता है।
जेडीए अध्यक्ष रह चुके राठौड़
भारतीय जनता पार्टी ने सरदारपुरा सीट से महेंद्र सिंह राठौड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है। महेंद्र सिंह राठौड़ जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के पूर्व अध्यक्ष हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाने वाले राठौड़ ने कांग्रेस सरकार आने के बाद जेडीए से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा के महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारने के पीछे राजपूत वोट को साधना है। महेंद्र सिंह राठौड़ ने इस्तीफे के बाद जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर सेवाएं फिर से शुरू कर दी थीं। इस दौरान उन्होंने कहा था कि उन्होंने जेडीए का कर्जा उतारा और अब 40 करोड़ जमा छोड़ कर जा रहे हैं।
सरदारपुरा में किसके हैं ज्यादा वोट
दरअसल सरदारपुरा में मालियों के वोट सबसे ज्यादा हैं। पिछले चुनाव को देखें तो यहां पर माली उम्मीदवारों की जीत हुई है। इससे पहले बीजेपी भी मालियों पर दांव खेलती रही है, लेकिन समाज हमेशा मजबूत जातिगत प्रत्याशी होने के चलते गहलोत को वोट करता रहा। इस बार राजपूत समाज से राठौड़ को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया। महेंद्र सिंह राठौड़ को टिकट दिए जाने के पीछे यही तर्क था कि परिसीमन के बाद सरदारपुरा अब राजपूत बहुल हो गया है।
वर्ष 1998 में गहलोत पहली बार बने मुख्यमंत्री
कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर वर्ष 1998 में गहलोत पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, लेकिन तब गहलोत विधायक नहीं थे। उनके लिए मानसिंह देवड़ा ने सरदारपुरा सीट खाली की थी। फिर गहलोत ने उपचुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद से वे सरदारपुर विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि 2013 के चुनाव से पहले कांग्रेस सत्ता में थी। लेकिन कांग्रेस जब ऐतिहासिक हार के साथ केवल 21 सीटों पर सिमट गई तब भी अशोक गहलोत सरदारपुरा से चुनाव जीत गए थे। अशोक गहलोत 1998, 2008 और 2018 में तीन बार मुख्यमंत्री बने। उनका सपना होगा कि वो इस बार भी खुद जीतें और पार्टी को बहुमत दिलाएं, ताकि उनके चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो सके।
यह रहा पिछले चुनावों का गणित
2018 चुनाव में 97081 ने कांग्रेस उम्मीदवार अशोक गहलोत को वोट देकर विजेता बनाया, जबकि 51484 वोट पाकर बीजेपी प्रत्याशी शंभू सिंह खेतासर चुनाव हार गए। 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार अशोक गहलोत ने जीत हासिल की थी उन्हें 77835 मतदाताओं का समर्थन मिला था। विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार शंभू सिंह खेतासर को 59357 वोट मिल पाए थे और वह 18478 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे। इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अशोक गहलोत को कुल 55516 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र गहलोत दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 40176 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था और वह 15340 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे।
जीत का गणित
जातीय समीकरण की बात करें तो सरदारपुरा क्षेत्र में राजपूत और जाट, अल्पसंख्यक और ओबीसी वर्ग के लोग निर्णायक भूमिका निभाते हैं। जाट और माली ओबीसी वर्ग के वोटर भी काफी संख्या में हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी माली समाज से आते हैं। वोट प्रतिशत की बात करें तो 2018 के पिछले चुनाव में 64 प्रतिशत वोट कांग्रेस के पक्ष में रहे थे। देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा अशोक गहलोत का विजय रथ रोक पाती है या नहीं।
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