लक्सन के सामने आर्थिक स्थिति से निपटने की चुनौती

कंजर्वेटिव एवं पूर्व कारोबारी क्रिस्टोफर लक्सन अब न्यूजीलैंड के नए प्रधानमंत्री हो गए हैं

लक्सन के सामने आर्थिक स्थिति से निपटने की चुनौती

गायिका टेलर स्विफ्ट के प्रशंसक लक्सन बहुत कम नींद लेने के लिए जाने जाते हैं। केवल पांच घंटे सोते हैं। अपने काम खुद करना पसंद करते हैं।

कंजर्वेटिव एवं पूर्व कारोबारी क्रिस्टोफर लक्सन अब न्यूजीलैंड के नए प्रधानमंत्री हो गए हैं। इसके लिए उन्हें सत्ता तक पहुंचने  के लिए उनकी सेंटर-राइट नेशनल पार्टी को दो छोटी दक्षिण पंथी पार्टियों-एसीटी न्यूजीलैंड और न्यूजीलैंड पार्टी पॉपुलिस्ट से गठबंधन भी करना पड़ा। यह देश में वामपंथी से दक्षिणपंथी सत्ता के बदलाव का प्रतीक बना। सत्ता की बागडोर संभालते ही तुरंत उन्होंने सौ दिनी कार्य योजना का ऐलान भी कर दिया। चुनावी नतीजों में भले ही उनकी नेशनल पार्टी ने सबसे अधिक 39 फीसदी मत प्राप्त किए। लेकिन सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए उन्हें 11 फीसदी से अधिक मतों की दरकार थी। ऐसे में उनके दल को दो छोटे दक्षिणपंथी दलों से गठबंधन करना पड़ा। लक्सन ने प्रधानमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण करने के बाद इसे अद्भुत जिम्मेदारी बताया। वहीं उन्होंने देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को सुधारने को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। छह साल पूर्व हुए चुनावों में प्रचंड मतों से जीतकर सत्ता पर काबिज हुई वामपंथी लेबर पार्टी को इस बार के चुनावों में आधे वोट 27 फीसदी ही मिले। लक्सन की नेशनल पार्टी को लगभग उनतालीस फीसदी मत मिले, जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त नहीं थे। ऐसे में नई सत्ता के गठन के लिए गठबंधन की स्थिति बनी। चुनाव अभियान दौरान लक्सन ने देश की वित्तीय स्थिति को सुधारने, नौकरशाही के आकार को कम करने का वादा किया था।

इसके अलावा उनके वादों में सार्वजनिक सेवा की संख्या में 6.5 फीसदी की कटौती, मध्यम वर्ग के लिए आयकर में कटौती करने, अपराधों पर नियंत्रण पाने के साथ देश में कानून का शासन स्थापित करने और गर्भपात कानून को वापस लेने की घोषणाएं भी की गईं थीं। देश में पूरे छह सप्ताह तक चले चुनाव अभियान के बाद गत चौदह अक्टूबर को मतदान हुआ था। इन चुनावों में तत्कालीन प्रधानमंत्री क्रिस हिप्किंस के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी को 26.9 फीसदी मत ही मिले थे। वहीं ग्रीन पार्टी को 10.8, एक्ट को 9 फीसदी, एनजेडएफ  को 6.5, टीपीएम को 2.6, टीओपी को 2.1 एनजेडएल को 1.1 फीसदी मत मिले। संसद में नेशनल पार्टी को 50, लेबर को 34, ग्रीन को 14, एक्ट को 11, एनजेडएफ को 8 और टीपीएम को 4 सीटें मिलीं। यहां बता दें कि पिछले एक-दो वर्षों से यूरोप और दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना में पिछले कुछ अर्से से दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों की ओर मतदाताओं का झुकाव होने लगा है। चुनाव दौरान लक्सन की ओर से दिया गया नारा-‘बैक आॅन ट्रैक’ काफी लोकप्रिय रहा। 19 जुलाई 1970 को क्राइस्ट चर्च में रोमन कैथोलिक परिवार में जन्में लक्सन, ईस्ट आॅकलैंड के होविक क्षेत्र में पले-बढ़े। केंटबरी विश्वविद्यालय से वाणिज्य की पढ़ाई की।

वर्ष 1993 में उन्होंने यूनीलिवर में काम किया। बाद में वे वर्ष 2008 तक कनाडा में इसी कंपनी के मुख्य कार्यकारी भी रहे। इस कंपनी से जुड़ाव होने की वजह से उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में भी काम किया। उन्हें सेल्स-ब्रांडिंग का काफी अच्छा तर्जुबा रहा है। घाटे वाली कंपनियों के उत्पादों को लाभकारी बनाने में लोकप्रियता हासिल की। वर्ष 2012 से 2019 तक एयर न्यूजीलैंड के मुख्य कार्यकारी रहते हुए कंपनी को मुनाफे में लाए।

वर्ष 2021 से उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन किया। वे देश के बॉटनी निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2020 में सांसद चुने गए थे। जुडिथ कोलिन को हटाने के बाद नेशनल पार्टी का नेतृत्व उनके पास आया। पूर्व प्रधानमंत्री जॉन ने उनकी प्रतिभा को तब पहचाना जब वे एअर न्यूजीलैंड के मुख्य कार्यकारी थे। जॉन ने तब कहा था वे ना सिर्फ  सफल राजनेता होंगे बल्कि वे भविष्य में प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं। यहां बता दें कि जॉन वर्ष 2008 से 16 तक न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री रहे थे।

गायिका टेलर स्विफ्ट के प्रशंसक लक्सन बहुत कम नींद लेने के लिए जाने जाते हैं। केवल पांच घंटे सोते हैं। अपने काम खुद करना पसंद करते हैं। अनुशासन उनकी कार्यशैली का अभिन्न अंग है। उनकी पत्नी का नाम असांडा और बच्चे विलियम और ओलिविया हैं। इस बार के चुनावों में उनकी नेशनल पार्टी को 39 फीसदी वोट मिले थे।

निवर्तमान प्रधानमंत्री क्रिस हिप्किंस ने समर्थकों से कहा कि वह यह परिणाम नहीं चाहते थे। इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न के अचानक पद छोड़ने के बाद क्रिस इस शीर्ष पद पर सिर्फ नौ महीने ही रहे। उन्हें समर्थकों से कहा कि मैं चाहता हूं कि पिछले 6 वर्षों में हमने जो हासिल किया उस पर आपको गर्व है। अपने चुनाव अभियान में उन्होंने दंत-चिकित्सा नि:शुल्क करने और फल एवं शक पर बिक्रीकर हटाने का चुनावी वादा किया था। अपने अल्प समय के शासन दौरान उन्हें देश में आई भीषण बाढ़ एवं प्राकृतिक आपदाओं से उपजे हालात से निपटना पड़ा था। अर्डर्न सरकार में शिक्षा मंत्री पद पर रहे हिप्किंस ने अर्डर्न सरकार की अधिकांश नीतियों पर भी काम जारी रखा था। 

-महेश चन्द्र शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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