सरकारी 2 घंटे तो निजी अस्पताल पूरी तरह बंद

लालसोट में महिला डॉक्टर के सुसाइड पर विरोध प्रदर्शन, आईपीडी, ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं का बहिष्कार ,दोषी अधिकारियों पर करवाई की मांग, संभागीय आयुक्त को दिया ज्ञापन

सरकारी 2 घंटे तो निजी अस्पताल पूरी तरह बंद

लालसोट में प्रसूता की मौत के बाद महिला डॉक्टर के सुसाइड मामले में चिकित्सकों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कोटा जिले में चिकित्सकों ने चिकित्सकीय सेवाओं का बहिष्कार किया। सभी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी दो घन्टे सुबह 9 बजे से 11 बजे तक बन्द रखी गई।

कोटा। लालसोट में प्रसूता की मौत के बाद महिला डॉक्टर के सुसाइड मामले में चिकित्सकों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कोटा जिले में चिकित्सकों ने चिकित्सकीय सेवाओं का बहिष्कार किया। सभी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी दो घन्टे सुबह 9 बजे से 11 बजे तक बन्द रखी गई। जबकि निजी अस्पताल पूरी तरह बंद रखे। इनमें तो आईपीडी, इमरजेंसी और ओटी तक संचालन नही हुआ। मेडिकल कॉलेज के सम्बद्ध अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और निजी अस्पतालों के बाहर चिकित्सा कर्मी एकत्रित होकर अपना रोष प्रकट किया। उधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जिलाध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल के नेतृत्व में संभागीय आयुक्त कार्यालय पहुंचकर आयुक्त दीपक नन्दी को ज्ञापन दिया। साथ ही दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की गई। 24 घंटे की भीतर आरोपियों की गिरफ्तारी नही करने पर अनिश्चित काल के लिए चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार की चेतावनी दी है।

150 से अधिक अस्पतालों में सेवाएं प्रभावित
कोटा जिले में करीब 150 से अधिक अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित रही है, जिसमें कोटा शहर के 100 से अधिक निजी अस्पताल और  62 सीएचसी और पीएचसी शामिल इसके अलावा न्यू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सुपर स्पेशिलिटी,नवीन चिकित्सालय, जेके लोन, एमबीएस, रामपुरा जिला अस्पताल,महावीर नगर डिस्पेंसरी, सुल्तानपुर और दीगोद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार किया है।

इधर उधर भटकते रहे मरीज
निजी और सरकारी अस्पतालों में ओपीडी के बहिष्कार से मरीजों को काफी परेशानी हुई। उपचार के लिए यहां से वहां भटकते रहे। निजी अस्पतालों ने तो साफ मना कर दिया। सरकारी अस्पतालों में भी केवल इमरजेंसी सेवाएं मरीजों को दी गई। इनमें रेगुलर चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार किया। इनके स्थान पर रेजिडेंट ने मोर्चा संभालाए लेकिन संख्या कम होने से उनको काफी परेशानी हुई। एमबीएसए जेकेलोन और मेडिकल कॉलेज में मरीजों की भीड़ लगी।

टालने पड़े इमरजेंसी सर्जरी
चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार से इमरजेंसी आॅपरेशन तक टालने पड़े। करीब 100 से अधिक आॅपरेशन होने थे। इनकी तारीख आगे बढ़ा दी गई। मरीजों ने चिकित्सकों से अनुनय विनय भी कियाए लेकिन एक नही सुनी। क्योंकि, ये प्रदेश स्तरीय आह्वान था। निजी अस्पतालों संचालकों ने आईपीडी, ओपीडीए इमरजेंसी और ओटी सेवाएं बन्द रखी थीए लेकिन अस्पताल में भर्ती मरीजों का उपचार किया।

इनका कहना है।
डॉक्टर को मौत के लिए उकसाया गया है। इसमें दोषी अधिकारी है। जबकिए धारा 302 में मामला दर्ज नही होता। ऐसे में कठोर कार्रवाई की मांग करते है।
-डॉ दुर्गा शंकर सैनी, प्रदेश महासचिव, सेवारत चिकित्सक संघ

डॉक्टर के सुसाइड मामले में सभी निजी चिकित्सा संस्थान बन्द रखे है। साथ ही 24 घण्टे के भीतर आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की गई है। ऐसा नही होने पर अनिश्चित काल के लिए चिकित्सा सेवाएं बन्द कर देंगे।
- डॉ संजय जायसवाल, जिलाध्यक्ष, इंडियन मेडिकल असोसिएशन, कोटा

सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहे है। जयपुर ही हूं। पदाधिकारियों से बात कर आगे का निर्णय लेंगे।
- डॉ अशोक शारदा, प्रदेशाध्यक्ष, इंडियन मेडिकल असोसिएशन

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