ग़ज़ल गायक पंकज उधास का 72 साल की उम्र में निधन

लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे

ग़ज़ल गायक पंकज उधास का 72 साल की उम्र में निधन

उनका जन्म 17 मई 1951 को हुआ था। 2006 में उन्हें पद्मश्री मिला था। उनके निधन की खबर से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके चाहने वाले सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। 

गायक पंकज उधास का निधन हो गया है। वह मशहूर ग़ज़ल गायक थे। 72 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। पंकज लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। उनकी बेटी ने निधन की जानकारी इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए दी। 2006 में उन्हें पद्मश्री मिला था। उनके निधन की खबर से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके चाहने वाले सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

 
 
 
 
 
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पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट के निकट जेटपुर में जमींदार गुजराती परिवार में हुआ। उनके बड़े भाई मनहर उधास जाने माने  है। घर में संगीत के माहौल से पंकाज उधास की भी रूचि संगीत की ओर हो गयी। महज सात वर्ष की उम्र से ही पंकज उधास गाना गाने लगे।उनके इस शौक को उनके बड़े भाई मनहर उधास ने पहचान लिया और उन्हें इस राह पर चलने के लिये प्रेरित किया। मनहर उधास अक्सर संगीत से जुड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया करते थे। उन्होंने पंकज उधास को भी अपने साथ शामिल कर लिया।एक बार पकंज को एक संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लेने का मौका मिला जहां उन्होंने .ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी (गीत गाया। इस गीत को सुनकर श्रोता भाव.विभोर हो उठे। उनमें से एक ने पंकज उधास को खुश होकर 51 रूपये दिये। इस बीच पंकज उधास राजकोट की संगीत नाट्य अकादमी से जुड़ गये और तबला बजाना सीखने लगे।

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कुछ साल के बाद पंकज उधास का परिवार बेहतर जिंदगी की तलाश में मुंबई आ गया । पंकज उधास ने अपनी स्नातक की पढ़ाई मुंबई के मशहूर सैंट जेवियर्स कॉलेज से हासिल की । इसके बाद उन्होंने स्नाकोत्तर पढ़ाई करने के लिये दाखिला ले लिया लेकिन बाद में उनकी रूचि संगीत की ओर हो गयी और उन्होंने उस्ताद नवरंग जी से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी।पंकज उधास के सिने कैरियर की शुरूआत 1972 में प्रदर्शित फिल्म (कामना) से हुई लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह असफल साबित हुई।

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इसके बाद गजल गायक बनने के उद्देश्य से पंकज उधास ने उर्दू की तालीम हासिल करनी शुरू कर दी । वर्ष 1976 में पंकज उधास को कनाडा जाने का अवसर मिला और वह अपने एक मित्र के यहां टोरंटो में रहने लगे। उन्हीं दिनों अपने दोस्त के जन्मदिन के समारोह में पंकज उधास को गाने का अवसर मिला। उसी समारोह में टोरंटो रेडियो में हिंदी के कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले एक सज्जन भी मौजूद थे उन्होंने पंकज उधास की प्रतिभा को पहचान लिया और उन्हें टोरंटो रेडियो और दूरदर्शन में गाने का मौका दे दिया ।लगभग दस महीने तक टोरंटो रेडियो और दूरदर्शन में गाने के बाद पंकज उधास का मन इस काम से उब गया।

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इस बीच कैसेट कंपनी के मालिक मीरचंदानी से उनकी मुलाकात हुयी और उन्हें अपनी नई एलबम आहट में पाश्र्वगायन का अवसर दिया। यह अलबम श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। साल 1986 में प्रदर्शित फिल्म नाम पंकज उधास के सिने कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है । यूं तो इस फिल्म के लगभग सभी गीत सुपरहिट साबित हुए लेकिन पंकज उधास की मखमली आवाज में चिट्ठी आई है वतन से चिटी आई है गीत..आज भी श्रोताओ की आंखो को नम कर देता है। इस फिल्म की सफलता के बाद पंकज उधास को कई फिल्मों में पाश्र्ववगायन का अवसर मिला।

इन फिल्मों में गंगा जमुना सरस्वती,बहार आने तक, थानेदार, साजन, दिल आशना है, फिर तेरी कहानी याद आई, ये दिल्लगी, मोहरा, मै खिलाड़ी तू अनाड़ी, मंझधार, घात, और ये है जलवा, प्रमुख है। पंकज उधास के गाये गीतों की संवदेनशीलता उनकी निजी जिन्दगी में भी दिखाई देती थी। वह एक सरल हृदय के संवदेशनशील इंसान भी है जो दूसरों के दुख.दर्द को अपना समझकर उसे दूर करने का प्रयास करते है। दूसरों के प्रति हमदर्दी और संवेदनशीलता की इस भावना को प्रदर्शित करने वाला एक वाकया है।

एक बार मुंबई के नानावती अस्पताल से एक डाक्टर ने पंकज उधास को फोन किया कि एक व्यक्ति के गले के कैंसर का आपरेशन हुआ है और उसकी उनसे मिलने की तमन्ना है। इस बात को सुनकर पंकज उधास तुरंत उस शख्स से मिलने अस्पताल गए और न सिर्फ उसे गाना गाकर सुनाया बल्कि अपने गाये गाने का कैसेट भी दिया। बाद में पंकज उधास को जब इस बात का पता चला कि उसके गले का ऑपेरशन कामयाब रहा है और उसकी बीमारी धीरे-धीरे ठीक हो रही है तो पंकज उधास काफी खुश हुए। 

पंकज उधास को अपने कैरियर में मान सम्मान भी खूब मिला।इनमें सर्वश्रेष्ठ गजल गायक .के.एल.सहगल अवार्ड, रेडियो लोटस अवार्ड ,इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी अवार्ड,दादाभाई नौरोजी मिलेनियम अवार्ड और कलाकार अवार्ड जैसे कई पुरस्कार शामिल है। साथ ही गायकी के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें 2006 में पदमश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। पंकज उधास के एलबम के लिेए पाश्र्वगायन किया, इनमें नशा, हसरत, महक, घूंघट, नशा 2, अफसाना, आफरीन, नशीला, हमसफर, खूशबू और टुगेदर, प्रमुख है। 


पंकज उधास के कुछ प्रमुख गाने
ना कजरे की धार, चांदी जैसा रंग है तेरा, मत कर इतना गुरुर, चिट्ठी आई है, आज फिर तुम पर प्यार आया है, और भला क्या मांगू और दिल देता है रो रोके दुहाई, एक तरफ उसका घर, और आहिस्ता कीजिए बातें, आदमी खिलोना है और थोड़ी-थोड़ी पिया करो पंकज के वो गाने थे जिन्हें लोग आज भी पसंद करते है।

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