चुनावी आचार संहिता का पालन नहीं करने पर हो सकती है जेल

आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है

 चुनावी आचार संहिता का पालन नहीं करने पर हो सकती है जेल

उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, यदि जरूरत पड़े तो आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है, वहीं नियमों के उल्लंघन पर जेल भी जाना पड़ सकता है।

जयपुर। देश में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने 16 मार्च को कार्यक्रम की घोषणा कर दी है, जिसके तहत सात चरणों में चुनाव होने हैं। राजस्थान में दो चरणों में चुनाव होगा। चुनावी घोषणा होने के साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। इसके लागू होने पर इन चुनावी राज्यों में राजनीतिक दलों को इसका पालन करना अनिवार्य है। आचार संहिता का पालन नहीं करने पर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। यदि कोई राजनीतिक दल या फिर राजनीतिक दल का कोई प्रत्याशी आदर्श आचार संहिता का पालन नहीं करता है, तो उस पर चुनाव आयोग की ओर से कार्रवाई की जाती है। उदाहरण के तौर पर उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, यदि जरूरत पड़े तो आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है, वहीं नियमों के उल्लंघन पर जेल भी जाना पड़ सकता है।

64 साल पहले  शुरू हुई थी आचार संहिता
आचार संहिता की शुरुआत 1960 में केरल आम चुनाव से हुई थी। उस समय राजनीतिक दलों से बातचीत कर इसका दस्तावेज तैयार किया गया था। 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी आचार संहिता का पालन किया गया था। बाद में अलग-अलग नियमों को जोड़ा गया।

आचार संहिता के ये हैं प्रमुख नियम
एक बार चुनाव की घोषणा हो जाती है, तो आचार संहिता के तहत कोई भी सत्ताधारी दल सरकारी योजनाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमि पूजन भी नहीं कर सकता है। इसके साथ ही सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रसार के लिए नहीं किया जा सकता है। यदि कोई राजनीतिक पार्टी चुनावी रैली या जुलूस निकालना चाहती है, तो उसे सबसे पहले पुलिस से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता है और न ही इस तरह की गतिविधि में शामिल होगा। चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी व्यक्ति की जमीन या घर या कार्यालय की दीवार पर उसकी अनुमति के बिना पोस्टर, बैनर या झंडा नहीं लगाया जा सकता है। मतदान के दिन शराब की दुकानों को बंद रखा जाता है। चुनाव में शराब और रुपयों को बांटना भी मना है। यह भी ध्यान रखा जाता है कि मतदान शिविर साधारण हो और वहां किसी भी तरह की प्रचार सामाग्री मौजूद न हो। सभी राजनीतिक दल इस तरह से गतिविधि से दूर रहेंगे, जो कि गलत आचरण में आते हैं। राजनीतिक दल मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए अपनी गाड़ी की सुविधा भी नहीं दे सकते हैं। राजनीतिक दल किसी भी मतदाता को अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए डरा या धमका नहीं सकते हैं।

ये होती है आचार संहिता
जब भी चुनाव आयोग की ओर से चुनाव का आयोजन किया जाता है, तो इससे पहले से ही आदर्श चुनाव संहिता को लागू किया जाता है, जिसकी मदद से चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से हो सके। इसके तहत कुछ नियमों को तय किया जाता है, जिसका चुनावी प्रक्रिया के दौरान संबंधित राजनीतिक पार्टियों को पालन करना होता है। चुनाव आचार संहिता को चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू कर दिया जाता है और यह चुनाव समापन तक जारी रहती है।

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