वन विभाग की सुरक्षा दीवार चोरी, 150 हैक्टेयर प्लांटेशन फेल

रक्षक ही बने भक्षक : वन मंडल आगे-आगे बनवाता रहा दीवार और माफिया पीछे-पीछे करता रहा चोरी

वन विभाग की सुरक्षा दीवार चोरी, 150 हैक्टेयर प्लांटेशन फेल

अवैध खनन व माइनिंग से चढ़ी 30 हजार पौधों की बली।

कोटा। रावतभाटा रोड पर नगर वन से सटे आंवली-रोजड़ी प्लांटेशन की 5 किमी लंबी सुरक्षा दीवार चोरी हो गई। 4 फीट ऊंची यह दीवार गायब होते ही करोड़ों का प्लांटेशन भी फेल हो गया। माफियाओं के ट्रैक्टर-ट्रॉली दिनदहाड़े पौधों को रौंद वन सम्पदा लूटता रहा और वन अधिकारी चुप्पी साधे रहे। 150 हैक्टेयर में लगे 30 हजार पौधों में से 66 प्रतिशत से अधिक पौधे बर्बाद हो गए। वर्तमान में इस प्लांटेशन में पौधों की सरवाइल रेट मात्र 36 प्रतिशत ही रह गई। जब वन मंत्री के सामने मामला उठा तो अधिकारियों ने आपाधापी में रातोंरात रोड किनारे एक-एक फीट ऊंची दीवार चुनवा दी। लेकिन, प्लांटेशन के अंदर की दीवार के पत्थर गायब कर दिए। हैरानी की बात यह है, प्लांटेशन की सुरक्षा में रैंजर से नाका प्रभारी तक की तैनाती होने के बावजूद पत्थर चोरी हो गए। विशेषज्ञों का तर्क है, बिना मिलीभगत के चोरी संभव नहीं है। वनकर्मी व माफियाओं के गहरे गठजोड़ ने सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है।  

सरकार को 1.29 करोड़ का नुकसान 
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रत्येक 50 हैक्टेयर में प्लांटेशन के लिए सरकार की ओर से कोटा वन मंडल को चार किस्तों में 43 लाख रुपए का बजट मिला था। ऐसे में 50-50 हैक्टेयर के तीनों प्लांटेशन को मिलाकर कुल 1 करोड़ 29 लाख का रुपए मिले थे। इस राशि से 30 हजार पौधे लगाना, पत्थरों की दीवार बनाना, पानी की व्यवस्था करना सहित अन्य देखरेख के कार्य करने थे। गत पांच सालों में प्लांटेशन फेल हो गया। दीवार चोरी हो गई। वर्तमान में अधिकतर पौधे पानी के अभाव में सूखी झाड़ियों में तब्दील हो गए। ऐसे में वनकर्मियों की लापरवाही से सरकार को 1.29 करोड़ का नुकसान हो गया।

जांच में खुली भ्रष्टाचार की पोल 
गत 6 फरवरी 2024 को वन मंडल की 12 सदस्य टीम ने गश्ती दल रैंजर के नेतृत्व में आंवली रोजड़ी-2, 3 व 4 तीनों 50-50 हैक्टेयर में हुए के प्लांटेशन की दीवार की जांच की थी। इसमें 5 किमी की सुरक्षा दीवार गायब मिली। वहीं, टीम सदस्यों ने 4 ब्लॉक बनाकर पौधों की जांच की तो मौके पर 650 गड्ढ़े मिले। जिसमें 243 पौधे ही जीवित मिले। तीनों वृक्षारोपण में लगाए गए पौधों का सरवाइल रेट करीब 36 प्रतिशत मिला। इस पर तत्कालीन डीफओ ने तत्कालीन लाडपुरा रैंजर व नाका प्रभारी को नोटिस देकर मामले में स्पष्टीकरण मांगा। लेकिन, जांच नतीजे पर पहुंचती उससे पहले ही उनका ट्रांसफर हो गया और जांच ठप हो गई। 

फैक्ट फाइल
150 - हैक्टेयर में प्लांटेशन
50-50 - हैक्टे. के तीन ब्लॉक
30,000 - पौधे लगाए
243  - पौधे जीवित मिले

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वन अधिकारी कहिन
आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच करवाएंगे, जिसमें दोषी पाए जाने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई करेंगे। 
- रामकरन खैरवा, मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक

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आप से ही मामले की जानकारी मिली है। पहले मैं खुद मौके पर जाकर स्थिति देखूंगा, इसके बाद नियमानुसार अग्रिम कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
- अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव, उपवन संरक्षक

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खुद चोरी करवाकर खरीद रहे पत्थर
वन मंडल में भ्रष्टाचार लंबे अरसे से चल रहा है। वर्तमान में पुराने प्लांटेशन के आगे ही आंवली-रोजड़ी-12 नाम से नया प्लांटेशन चल रहा है। जिसमें बनी पत्थरों की दीवार में लगा अधिकतर पत्थर पुराने प्लांटेशन की दीवार से चोरी किया हुआ है। कुछ वनकर्मियों ने माफियाओं से मिलीभगत कर पहले पत्थर चोरी करवाया फिर नए प्लांटेशन की दीवार बनवाने के लिए उसे ही खरीद कर सरकार के लाखों रुपए डकार गए। दोषी कर्मचारियों से हो नुकसान की भरपाई।
- देवव्रत सिंह हाड़ा, अध्यक्ष, पगमार्क फाउंडेशन 

पहले 4 फीट थी अब नजर तक नहीं आती
वर्ष 2019-20 में वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्ट वर्क के सिलसिले में रावतभाटा आना-जाना होता था। तब, आंवली रोजड़ी प्लांटेशन की दीवार 4-4 फीट ऊंची नजर आती थी। हाल ही में गत 11 जनवरी, 23 व 26 फरवरी को यहां से गुजरा तो दीवार का नामो-निशान नहीं मिला। इसके बाद तीन दिन पहले 4 अप्रेल को इधर से गुजरा तो एक-एक फीट ऊंची बेतरतीब दीवार नजर आई। जब 27 फरवरी को वन मंत्री के सामने भ्रष्टाचार का मामला उठा तो वन मंडल ने रातों रात दीवार खड़ी कर दी। जबकि, जून 2022 में दीवार चोरी होने लगी जो जुलाई 2023 में पूरी तरह से गायब हो गई। सेटलाइट इमेज से स्पष्ट हो रहा है।  
- रवि नागर, वाइल्ड लाइफ रिसर्चर

माफिया से गठजोड़
दीवार चोरी वन कर्मियों की माफियाओं के साथ मजबूत गठजोड़ का उदारहण है। वनों को जो नुकसान हुआ और वन भूमि पर बनी पुरानी सुरक्षा दीवार चोरी होने की उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए। जिन वनकर्मियों व अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण सरकार को नुकसान हुआ है, उसकी तमाम भरपाई दोषी कर्मचारियों से की जानी चाहिए।
- बाबूलाल जाजू, पर्यावरणविद एवं प्रदेशाध्यक्ष, पीपुल्स फॉर एनिमल

गंभीर प्रकृति का अपराध
कोटा वन मंडल के आंवली-रोजड़ी वन क्षेत्र के ठीक सामने  मुकुंदरा टाइगर रिजर्व है। ऐसे में वन मंडल और मुकुंदरा के इको सेंसिटिव जोन में वन संपदा की चोरी, अवैध खनन और सरकारी राशि की अनियमितता गंभीर प्रकृति का अपराध है। जिसकी जांच राज्य सरकार को वरिष्ठ अफसरों से करानी चाहिए। वन अधिकारियों की अपराधिक गतिविधियों से वन की सुरक्षा के अतिरिक्त वन्य प्राणियों के लिए भी खतरा पैदा होता है।
- अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट, भोपाल

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