हाड़ौती के दो धुरंधर, कल तक जो दोस्त थे, आज सबसे बड़े धुर विरोधी

भाजपा का गढ़ रही है कोटा-बून्दी लोकसभा सीट

हाड़ौती के दो धुरंधर, कल तक जो दोस्त थे, आज सबसे बड़े धुर विरोधी

कोटा में लड़ रहे लोकसभा अध्यक्ष : कांग्रेस ने सामने उतारा प्रहलाद गुंजल को, अब चुनाव मैदान में दिलचस्प नजारा

कोटा। कहते हैं राजनीति में ना स्थायी दोस्ती होती है और ना ही स्थायी दुश्मनी। जब जिसको मौका मिले वह वैसी रीत निभा लेता है।  कोटा संसदीय क्षेत्र के चुनावी रण में यही सब देखने को मिल रहा है। कभी एक दूसरे के धुर विरोधी, विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले प्रहलाद गुंजल(भाजपा से) व शांति धारीवाल (कांग्रेस से) अब एक दूसरे के दोस्त हो गए हैं तो 5 वर्ष तक एक ही पार्टी भाजपा में रहकर कार्य करने वाले वर्तमान लोकसभाध्यक्ष व सांसद ओम बिरला व पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल  एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार दोनों तरफ से व्यक्तिगत आरोपों के तीर चल रहे हैं।  लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद अचानक प्रहलाद गुंजल भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उन्हें हाथों हाथ टिकट भी दे दिया। अब इस चुनाव में कभी एक दूसरे के दोस्त रहे दोनों नेता बयानों के तीर छोड़ रहे हैं। लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला की प्रतिष्ठा से जुड़े इस चुनावी रण में साम,दाम,दण्ड भेद की नीति दोनों पक्ष अपना रहे हैं। दोनों पक्षों ने सोशल मीडिया को अपना मुख्य हथियार बना रखा है। कांग्रेस के प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल सीधे ओम बिरला पर संसदीय क्षेत्र में कोई काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए दस वर्ष का हिसाब मांग रहे हैं तो भाजपा प्रत्याशी सीधे वार नहीं कर विधायकों के माध्यम से वार करवा रहे हैं। चुनावी घमासान में जीत का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन पिछले कई वर्षोंं बाद चुनावी रण में ऐसा घमासान देखने को मिल रहा है। 

एयरपोर्ट सबसे बड़ा मद्दा
पिछले पांच वर्ष से कोटा में एयरपोर्ट बनने का मुद्दे उछाल मार रहा है। दोनों ही पार्टियां इस मुद्द्े पर एक दूसरे पर काम रोकने के आरोप लगाती रही हैं। दस वर्ष पहले की गई ओम बिरला की घोषणा इस बार उनके लिए फांस बन गई है, जो ना निगलते बन रही ना उतरते। एयरपोर्ट को लेकर मूर्त रूप में कोई काम नहीं होने से कांग्रेस इस मुद्दे पर जमकर घेर रही है। कहीं खिलौना हवाई जहाज उड़ाए जा रहे हैं तो कहीं लकड़ी के तांगे जैसे खिलौनों से लोगों को जताया जा रहा है। उधर, भाजपा होर्डिंग बैनर में बिना नाम लिए प्रहलाद गुंजल के कांग्रेस में जाने पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है। जबकि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ केंद्र सरकार की योजनाएं और भाजपा प्रत्याशी के सामाजिक कार्यों को जन जन तक पहुंचा रही हैं। हाड़ौती के दो धुरंधर ओम बिरला और प्रहलाद गुंजल के एक साथ चुनाव मैदान में होने से एकतरफा समझी जाने वाली यह सीट अब हॉट सीट बन गई हैं। इस सीट के शहर शहर गांव-गांव की गलियों, चौराहों तथा चाय पान की दुकानों पर आमजन में कौन जीतेगा, बिरला या गुंजल, यहीं चर्चाएं जोरों पर हैं।

भाजपा का गढ़ रही है कोटा-बून्दी लोकसभा सीट
कोटा बून्दी लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़  कहा जाता है। इस सीट से 7 बार भाजपा और 3 बार भारतीय जनसंघ के प्रत्याशियों ने विजयश्री प्राप्त कर लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया हैं।  कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास में अब तक कुल 17 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 4 बार ही जीत दर्ज कर पाई है, एक-एक बार जनता पार्टी, भारतीय लोकदल और निर्दलीय प्रत्याशी इस सीट पर जीता हैं।

यह हैं जातीय समीकरण
कोटा बून्दी लोकसभा सीट पर कुल 20.62 लाख मतदाता देश की सबसे बड़ी पंचायत के लिए अपने प्रतिनधि का चुनाव करेंगे। इस सीट पर जातीय समकरणों की बात करें तो यहां 2 लाख गुर्जर मतदाता, 2 से 2.5 लाख मीणा मतदाता, 2.5 लाख मुस्लिम मतदाता, 1.25 लाख ब्राह्मण मतदाता, 1.25 लाख माली मतदाता, 1 से 1.25 लाख वैश्य मतदाता, 1 से 1.25 लाख राजपूत मतदाता, साढ़े तीन लाख अनुसूचित जाति मतदाता, 1 लाख ओबीसी मतदाता हैं। इस सीट पर 9.93 लाख ग्रामीण तथा 9.39 शहरी मतदाता हैं।

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4-4 विधानसभाओं में भाजपा व कांग्रेस विधायक
कोटा बूंदी लोकसभा सीट पर कोटा व बूंदी जिले की 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिनमें बूंदी जिले की बूंदी व केशोरायपाटन और कोटा की कोटा जिले की कोटा उत्तर, कोटा  दक्षिण, लाडपुरा, सांगोद, पीपल्दा, रामगंजमंडी विधानसभाएं हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में यहां से 4-4 सीटों पर भाजपा व कांग्रेस के विधायक काबिज हैं। बूंदी से हरिमोहन शर्मा, के.पाटन से सीएल प्रेमी, पीपल्दा से चेतन पटेल तथा कोटा उत्तर से शांति धारीवाल कांग्रेस के विधायक हैं, वहीं भाजपा के पास कोटा दक्षिण से संदीप शर्मा, लाडपुरा से कल्पना देवी, सांगोद से हीरालाल नागर और रामगंजमंडी से मदन दिलावर विधायक हैं। इनमें से हीरालाल नागर व मदन दिलावर राजस्थान सरकार में मंत्री भी हैं।
 

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