नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में वार्मर की होती है अहम भूमिका
शिशुओं के शरीर का तापमान 36.5 से 37.5 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए
नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में वार्मर की अहम भूमिका होती है। यह वार्मर नवजात बच्चों के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है।
जयपुर। नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में वार्मर की अहम भूमिका होती है। यह वार्मर नवजात बच्चों के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। विशेषज्ञों की मानें, तो नवजात शिशुओं के शरीर का तापमान 36.5 से 37.5 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। अगर तापमान इससे कम होता है तो शिशु का शरीर ठंडा पड़ जाता है। कई बार शरीर नीला पड़ने से उसकी मृत्यु भी हो जाती है। इस समस्या को हाइपोथर्मिया कहा जाता है। नवजात शिशुओं को हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए एनआईसीयू में वार्मर मशीन लगाई जाती है। वार्मर के बारे में कुछ ऐसी ही जानकारियां दी जयपुर में बच्चों के सबसे बड़े जेके लोन अस्पताल के पूर्व अधीक्षक और वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक गुप्ता ने। उन्होंने बताया कि वार्मर अगर अच्छी क्वालिटी का नहीं हो तो ये बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
क्या है वार्मर और कैसे करता है काम
डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि वार्मर एनआईसीयू में लगाया जाता है। यह ऐसे बच्चों के शरीर का तापमान नियंत्रित रखता है, जो कमजोर और समय से पहले जन्म लेने के कारण हाइपोथर्मिया के शिकार होते हैं। इसमें शरीर का तापमान कम होने से शरीर ठंडा या कभी नीला भी पड़ जाता है। वार्मर एक ऐसा मॉनिटर है, जिसमें सेंसर लगे होते हैं। इसकी मदद से शिशु के शरीर में आॅक्सीजन की मात्रा, उसकी घड़कन, उसकी सांस की रफ्तार आदि पर नियंत्रण रखा जाता है। तय सीमा से कम या ज्यादा होने पर इसमें लगा अलार्म उपस्थित नर्सिंग स्टाफ को अलर्ट कर देता है।
वार्मर को लेकर सावधानी
डॉ. गुप्ता ने बताया कि जो उपकरण जीवन रक्षक होते हैं उनको खरीदने में पैसों और क्वालिटी को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहिए। वार्मर हमेशा अच्छी क्वालिटी स्टेंडर्ड का होना चाहिए। इसमें लगे स्विच और इलेक्ट्रिकल उपकरण अच्छी क्वालिटी के होने चाहिए। अधिकांश हादसे उपकरणों के फेलियर से होते हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि एक अच्छी क्वालिटी का स्टेंडर्ड वॉर्मर करीब 30 से 40 हजार के बीच आ जाता है। अगर वार्मर में गड़बड़ी हो तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
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