ई रिक्शा बढ़ने से कम हुआ टैक्सी-गाड़ियों का काम
ट्रैक्सी मालिक अपने वाहनों का टैक्स भी जमा नहीं करा पा रहे हैं
ई-रिक्शा बढ़ने के चलते टैक्सी गाड़ियों का काम कम हो गया। इसके चलते ट्रैक्सी मालिक अपने वाहनों का टैक्स भी जमा नहीं करा पा रहे हैं। अब वाहन मालिकों द्वारा अपनी टैक्सी का प्राइवेट नंबर लिए जा रहे हैं।
जयपुर। ई-रिक्शा बढ़ने के चलते टैक्सी गाड़ियों का काम कम हो गया। इसके चलते ट्रैक्सी मालिक अपने वाहनों का टैक्स भी जमा नहीं करा पा रहे हैं। अब वाहन मालिकों द्वारा अपनी टैक्सी का प्राइवेट नंबर लिए जा रहे हैं। जयपुर आरटीओ रीजन में 38 हजार 52 टैक्सी वाहन (मैजिक सहित) रजिस्ट्रर्ड है। जयपुर में करीब 30 हजार से अधिक ई-रिक्शा चल रहे है। इसके चलते टैक्सी वाहनों का काम कम हो गया। टैक्सी वाहन मालिक किश्त और टैक्स जमा भी नहीं करवा पा रहे।
प्राइवेट नंबर लेने के लिए आवेदन शुरू
जयपुर आरटीओ कार्यालयों में इन दिनों टैक्सी वाहनों के प्राइवेट नंबर लेने के लिए आवेदन किए जा रहे हैं। पिछले तीन माह में करीब 1200 टैक्सी वाहनों के प्राइवेट नंबर जारी किए जा चुके हैं। इनमें 15 साल पुराने टैक्सी वाहन भी शामिल है।
शहर में बढ़ते ई-रिक्शा के कारण टैक्सी वाहनों का काम कम हो गया, जिस कारण समय पर किश्त व टैक्स भी जमा नहीं हो पा रहा है। इसलिए गाड़ियों के प्राइवेट नंबर लिए जा रहे हैं।
- दिलीप सिंह महरौली, अध्यक्ष ऑल राजस्थान टूरिस्ट कार एसोसिएशन
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