अवैध बजरी दोहन रोकने वालों पर जानलेवा हमला करने के दो आरोपियों को 10-10 साल कारावास
निजी खेत पर बजरी दोहन करने गए खेत मालिक के साथ की मारपीट
आरोपी प्रकाशचंद्र और गणेशलाल ने अवैध बजरी खनन का विरोध करने पर जगदीशचंद्र और मुकेश पर लाठी- डंडे व सरियों से जानलेवा हमला किया था।
राजसमंद। एससी-एसटी कोर्ट ने दो व्यक्तियों पर जानलेवा हमला करने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायाधीश अभिलाष शर्मा ने मामले में दो आरोपियों को 10-10 साल कारावास की सजा सुनाई है। एससी एसटी कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक राज किशोर बृजवासी ने बताया कि आरोपी प्रकाशचंद्र और गणेशलाल को 10-10 साल के कारावास की सजा के साथ 26,500 रुपए के आर्थिक जुर्माने से भी दंडित किया है। लोक अभियोजक राज किशोर बृजवासी ने बताया है कि यह पूरा मामला 4 अप्रैल 2017 कुंवारिया थाना क्षेत्र का है। जहां आरोपी प्रकाशचंद्र और गणेशलाल ने अवैध बजरी खनन का विरोध करने पर जगदीशचंद्र और मुकेश पर लाठी- डंडे व सरियों से जानलेवा हमला किया था। इस मामले में कोर्ट ने प्रकाशचंद्र व गणेशलाल को दोषी मानते हुए 10 -10 साल कारावास की सजा सुनाई है। प्राण घातक हमला करने के आरोपी प्रकाशचंद्र व गणेशलाल को एससी-एसटी कोर्ट राजसमंद की विशिष्ट न्यायाधीश अभिलाषा शर्मा द्वारा दस वर्ष के कारावास तथा 26,500 रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया गया।
यह है मामला
परिवादी पप्पू ने 4 अप्रैल 2017 को पुलिस थाना कुंवारिया में एक रिपोर्ट पेश की कि कल रात को सूचना मिलने पर परिवादी का निजी खेत, जो कि पटवार मंडल फियावड़ी के नाथुवास गांव के पास है, वहां पर किशन कुमावत, प्रकाश कुमावत व उसके पिता उनके खेत से अवैध रेती दोहन कर रहे थे। वहां पर परिवादी के पिता व परिवादी का भाई मुकेश पहुंचे। परिवादी के पिता जगदीशचंद्र ने उन्हें रेती निकालने से मना किया तो तीनों लोगों सरिया व लठ्ठ लेकर से पिता पर हमला कर दिया। प्रकाश के पिता ने उसके पिता के सिर में शरीर से मारी जिससे उसके पिता के सिर व आंख पर जबरदस्त चोट आई। उसके भाई मुकेश ने बीच बचाव किया तो उसके भाई के हाथों में पैरों में भी इन लोगों ने सरियों से मारपीट की जिससे वह भी घायल हो गया। ये लोग उस समय जातिगत गालियां भी दे रहे थे। उसके भाई ने यह सब उसे फोन पर बताया तो वह कुलदीप, कालूसिंह मोटरसाइकिल लेकर गए और उसके पिता को आरके हॉस्पिटल लेकर गए। जहां से सिर में ज्यादा रक्तस्राव होने एवं कोमा में होने से उनको उदयपुर रेफर किया गया। उसके भाई को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। इस रिपोर्ट पर प्रकरण पंजीबद्ध कर आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर एससी-एसटी न्यायालय राजसमंद में अभियुक्तगण के विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया गया।
13 गवाह तथा 20 दस्तावेज पेश किए
न्यायालय में विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी ने 13 गवाह तथा 20 दस्तावेज पेश किए। न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अभियुक्त प्रकाशचंद्र पुत्र गणेशलाल व गणेशलाल पुत्र चतुर्भुज निवासी गोवलिया को दोषसिद्ध घोषित करते हुए दस वर्ष का कारावास तथा 26,500 रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया गया।
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