World Alzheimer's Day: ऐसे मरीजों को अपनेपन और स्नेह की सख्त जरूरत
डिमेंशिया का सबसे आम न्यूरोडीजेनेरेटिव कारण है अल्जाइमर रोग
60 वर्ष के बाद बुजुर्गों की याददाश्त, सोच और व्यवहार में बदलाव अल्जाइमर के लक्षण
जयपुर। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम न्यूरोडीजेनेरेटिव कारण है जो आमतौर पर 60 वर्ष की आयु के बाद बुजुर्गों में देखा जाता है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप एसिटाइलकोलाइन नाम के ब्रेन केमिकल की कमी हो जाती है। ये एक ऐसा सिंड्रोम है जिसमें पीड़ित की याददाश्त, सोचने की क्षमता एवं व्यवहार में क्रमिक गिरावट के साथ साथ दैनिक कार्यों को करने की क्षमता कम हो जाती है।
आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में दुनिया भर में करीब साढ़े पांच करोड़ लोग डिमेंशिया से ग्रसित हैं और हमारे देश में इस रोग से पीड़ितों की संख्या करीब 88 लाख है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि अल्जाइमर से पीड़ित मरीज से जुड़ाव लगातार बनाए रखें और मरीज को अपनी बात पूरी तरह बोलने का वक्त दें। बातचीत के दौरान सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें। ऐसे मरीजों को परिजनों से स्रेह, अपनेपन और सकारात्मकता की अपेक्षा होती है।
ये हो सकते हैं अल्जाइमर होने के कारण
बढ़ती उम्र, मोटपा, ह्दय रोग, सिर में चोट, धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, हाई बीपी, डायबिटीज, फिजिकल एक्टिविटी से दूरी।
ये आते हैं लक्षण
हाल ही की घटनाओं को भूल जाना। याददाश्त और फोकस में कमी। परिचित व्यक्ति को पहचान भी नहीं पाना। चीजों और घटनाओं को बारबार भूल जाना। रूचि में कमी। व्यवहार में बदलाव आदि।
ये हैं अल्जाइमर से जुड़े तथ्य
दुनिया भर में डिमेंशिया के मामलों की अनुमानित संख्या लगभग 5.5 करोड़ है। भारत में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इस रोग के पीड़ितों की संख्या करीब 88 लाख है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 60 से अधिक आयु वर्ग के 7.4 प्रतिशत लोग डिमेंशिया से ग्रसित हो जाते हैं। प्रत्येक वर्ष डिमेंशिया के एक करोड़ नए मामले सामने आते हैं। 60-70 प्रतिशत मामलों में डिमेंशिया का सबसे सामान्य रूप अल्जाइमर रोग है। महिलाओं में इसकी संभावना पुरुषों के अपेक्षा अधिक होती है।
आधुनिक दवाओं से उपचार संभव
जयपुर के कंसल्टेंट नयूरोलॉजिस्ट डॉ. स्वप्निल जैन ने बताया कि अब तक इसका इलाज एसिटाइलकोलाइन के स्तर को बढ़ाने वाली दवाओं के साथ लक्षणों के उपचार पर केंद्रित था, लेकिन हाल ही में एफडीए द्वारा दो एंटी एमाइलॉयड दवाओं को मंजूरी दिए जाने के साथ अल्जाइमर के उपचार में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है। साथ ही जीवनशैली में बदलाव, उचित नींद, स्वस्थ आहार, धूम्रपान या शराब न पीना, नियमित व्यायाम से भी कुछ हद तक काबू संभव है।
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