अब 10 हजार वर्गमीटर से बड़े भवन में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होने पर ही मिलेगा जल कनेक्शन
2500 वर्गमीटर से बड़े भवन में नल कनेक्शन के लिए करनी होगी जल शुद्धिकरण की व्यवस्था
शुद्ध पेयजल की उपलब्धता को बनाएं रखना लक्ष्य: विभाग की ओर से जारी नए परिपत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि प्रदेश में भू जल की स्थिति बहुत खराब स्थिति में पहुंचती जा रही है।
कोटा । जलदाय विभाग व भूजल विभाग ने नगरीय विकास तथा स्वायत्त शासन विभाग के साथ मिलकर पानी की बचत और इसके संवर्धन के लिए नए नियम जारी किए गए हैं। जिनके तहत अब 2500 वर्गमीटर या इससे अधिक के नए भवनों में बाथरूम, रसोईघर और अन्य तरह के अपशिष्ट पानी के शुद्धिकरण और इसकी रिसाइकलिंग के लिए व्यवस्था होने के बाद ही जल कनेक्शन लिया जा सकेगा। साथ ही भू जल के लिए ट्यूबवेल लगाने की स्वीकृति इसके बाद ही मिलेगी। वहीं 10 हजार वर्गमीटर से अधिक के भवनों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होना जरूरी होगा। गौरतलब है कि राजस्थान के 302 ब्लॉक में से 216 ब्लॉक खतरे के निशान पर पहुंच चुके हैं जहां क्षमता से 148 फीसदी ज्यादा जल दोहन हो रहा है। शुद्ध पेयजल की उपलब्धता को बनाएं रखना लक्ष्य: विभाग की ओर से जारी नए परिपत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि प्रदेश में भू जल की स्थिति बहुत खराब स्थिति में पहुंचती जा रही है। ऐसे में प्रदेश के कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत देखने को मिलती है। इसी से निपटने के लिए विभाग की ओर से भवन निर्माण के लिए नए नियमों को जारी किया गया है। परिपत्र के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए भवन विनियम 2020 के विनियम 10.11.2 में अपशिष्ट जल शुद्धिकरण एवं रिसाईकिलिंग के आवश्यक प्रावधान किए गए हैं। अपशिष्ट जल के परिशोधन की प्राथमिक जिम्मेदारी स्थानीय निकाय की है। वहीं शहर स्तरीय समिति एवं पर्यावरण समिति के पास राज्य सीवरेज एवं वेस्ट वॉटर नीति 2016 में निर्धारित दरों पर परिशोधित जल के फिर से उपयोग के लिए वास्तविक उपयोगकर्ता की सलाह पर निर्णय करने का प्रावधान है।
अभियंता के प्रमाणीकरण के बाद ही पेयजल कनेक्शन जारी होगा
परिपत्र के अनुसार 2500 वर्ग मीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भवनों में पेयजल कनेक्शन स्वीकृति की प्रक्रिया में रसोई के अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण एवं रिसाईकिलिंग एवं पुन: उपयोग प्रणाली का निर्माण एवं कार्यात्मक होना अनिवार्य है। योजना क्षेत्र अथवा एकल भू खंड पर 10 हजार वर्ग मीटर से अधिक निर्मित क्षेत्र होने पर अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट कार्यात्मक होना आवश्यक है। इसके लिए विभागीय अभियंता के प्रमाणीकरण के बाद ही पेयजल कनेक्शन जारी होगा। जिसके तहत कनिष्ठ अभियंता द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में 100 प्रतिशत निरीक्षण कर प्रमाणीकरण किया जाएगा। सहायक अभियंता अपने क्षेत्राधिकार में 40 प्रतिशत, अधिशाषी अभियंता अपने क्षेत्राधिकार में 5 प्रतिशत एवं अधीक्षण अभियंता अपने क्षेत्राधिकार में 2 प्रतिशत पेयजल कनेक्शन आवेदनों पर निरीक्षण कर प्रमाणीकरण सुनिश्चित करेंगे।
10 हजार वर्गमीटर के भवनों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होना आवश्यक
विभाग की ओर से बहुमंजिला भवनों में पेयजल कनेक्शन जारी किए जाने की नीति के बिन्दु संख्या 24 के अनुसार राजस्थान भवन विनियम 2020 के प्रावधानों के अनुसार अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण एवं पुन: उपयोग प्रणाली, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण एवं कार्यात्मक किया जाना आवश्यक है। ऐसा नहीं होने पर पेजयल कनेक्शन जारी नहीं किए जाने का प्रावधान है। ऐसे में 10 हजार वर्गमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल या बहुमंजिला भवनों और इमारतों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होना आवश्यक है। ऐसा नहीं होने पर जलदाय विभाग की ओर से उक्त भवनों को पेयजल कनेक्शन नहीं दिया जाएगा।
इन कामों में होगा परिशोधित अपशिष्ट जल का उपयोग
परिपत्र के अनुसार परिशोधित अपशिष्ट जल का उपयोग राज्य सीवरेज एवं वेस्ट वॉटर नीति 2016 के अनुसार विभिन्न कार्यों में किया जा सकेगा। परिशोधित अपशिष्ट जल का उपयोग कृषि, उद्यान एवं सिंचाई, पार्क में बागवानी, सड़क की धुलाई एवं छिड़काव के कार्य, उद्योग एवं खनन कार्य, सामाजिक वानिकी, निर्माण कार्य गतिविधियों, अग्निशमन एवं अन्य नगर निकाय कार्य, रेलवे, थर्मल पॉवर प्लांट, छावनी क्षेत्र में किया जा सकेगा।
विभाग की ओर से जारी परिपत्र में भवन में जल कनेक्शन लेने के लिए अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण की व्यवस्था और 10 हजार वर्गमीटर से ज्यादा के लिए सीवरेज प्लांट होना आवश्यक है। इसके लिए अभियंता द्वारा व्यवस्था का प्रमाणीकरण किया जाएगा।
-भरत भूषण मिगलानी, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग, कोटा
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