हादसे के बाद 150 शहरों की परेशानी, घनी आबादी से गुजरते गैस, पेट्रोल-डीजल से भरे सैकड़ों टैंकर
नियमों को ताक में रखकर इन हाइवे पर कट बने हुए हैं
घनी आबादी से एनएच को बाहरी क्षेत्रों में शिफ्टिंग नियमों के फेर में नहीं हो पाती हैं। मौटे तौर पर राज्य से गुजरने वाले 10,618 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे 300 शहर-कस्बों से होकर निकलते हैं।
जयपुर। अजमेर नेशनल हाइवे पर भांकरोटा में हुए गैस-टैंकर हादसे के बाद राज्य के 150 शहरों की परेशानी बढ़ गई है, जिनकी घनी आबादी से रोज गैस, पेट्रोल-डीजल जैसे कई ज्वलनशील पदार्थों से भरे सैकड़ों टैंकर रोज गुजर रहे हैं। साथ ही नियमों को ताक में रखकर इन हाइवे पर कट बने हुए हैं, जिनसे भारी वाहन मन मुताबिक यू-टर्न लेते रहते हैं। इससे हर समय हादसे का अंदेशा बने रहने के साथ ही लंबा जाम सहित लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता हैं। घनी आबादी से एनएच को बाहरी क्षेत्रों में शिफ्टिंग नियमों के फेर में नहीं हो पाती हैं। मौटे तौर पर राज्य से गुजरने वाले 10,618 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे 300 शहर-कस्बों से होकर निकलते हैं।
जयपुर के चारों तरफ से गुजरते एनएच
राजधानी जयपुर के चारों तरफ नेशनल हाइवे गुजर रहे हैं। पहले ये हाइवे उन क्षेत्रों में बने थे, जहां पर आबादी नहीं थी, लेकिन अब ये घनी आबादी के बीच आ गए हैं। एनएच-आठ जो रोड नम्बर 14 वीकेआई से भांकरोटा होते हुए आगे निकलता हैं। इस हाइवे की ऊंचाई तो जमीन से ऊपर हैं, लेकिन इसके दोनों ओर बनी स्लीप रोड भी हाइवे की तरह की चलती हैं अर्थात स्लीप रोड पर हैवी व्हीकल चलते हैं, आए दिन लोग हादसों के भी शिकार होते हैं। अभी कुछ दिन पहले एक ट्रक इस हाइवे से स्लीप लेन पर एक गाड़ी पर आ गिरा था। टोंक रोड और आगरा रोड भी हालात ऐसे ही है।
बिना क्लोअर लीफ बने रिंग रोड शुरू
एक्सपर्ट की माने तो एनएच से जब तक दूसरे रोड की नियमों के अनुसार कनेक्टिविटी नहीं हो जाती, तब तक उसे शुरू नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन जयपुर शहर में तीन एनएच को जोड़ने वाले 47 किमी लंबे रिंग रोड को टोल के फेर में बिना क्लोअर लीफ बने शुरू कर दिया गया, जिसका खामियाजा भांकरोटा हादसे में लोगों को भुगतना पड़ा हैं। रिंग रोड नवंबर 2020 में शुरू हुई थी, पहले 2021 में फिर 2023 में वापस टैंडर किया। अब मार्च 2026 तक काम पूरा होना हैं। रिंग रोड पर अभी भारी वाहनों के लिए अनिवार्य नहीं किया गया है अर्थात ज्यादातर ट्रैफिक आगरा रोड से बी-टू बाइपास, न्यू सांगानेर रोड होते हुए एक्सप्रेस हाइवे पर जाता हैं। यह एक तरह से आधे शहर को चीरता हुआ निकलता हैं।
इन राज्यों में नई पहल
वैसे तो आबादी में आने के बाद नेशनल हाइवे को शहर से बाहरी इलाकों में नया रूट तैयार कर शिफ्ट कर दिया जाता हैं। इसका उदाहरण हैदराबाद में रिंगरोड, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में एनएच को बाहर शिफ्ट करते हुए उन्हें जिला रोड में तब्दील कर दिया गया। अब उन पर शहरी ट्रैफिक का संचालन हो रहा हैं।
तय समय में नहीं हुआ पूरा काम
एनएचएआई जयपुर से अजमेर के बीच में एनएच पर दस फ्लाईओवर का निर्माण कर रहा है। इसमें से आठ का काम पूरा होने के बाद शुरू कर दिया गया, लेकिन कमला नेहरू नगर और भांकरोटा अभी बाकी है। बताया जा रहा है कि कमला नेहरू नगर फ्लाईओवर को शीघ्र ही शुरू करने की बात है, लेकिन भांकरोटा फ्लाईओवर मार्च 2026 तक शुरू हो सकेगा। इसका काम छह माह देरी से चल रहा है। ऐसे में एक भी फ्लाईओवर का निर्माण तय समय पर पूरा नहीं हो सका।
मौजूदा स्थिति को लेकर एनएच की शिफ्टिंग के लिए स्टडी होती हैं, उसके बाद निर्णय लिया जाता है।
डी.के. चतुर्वेदी, रीजनल ऑफिसर, एनएचएआई
Comment List