आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी: भारत के बिना क्या होगा क्रिकेट का भविष्य...?
1980 में अमेरिका और 65 देशों ने सोवियत संघ में होने वाले मास्को ओलंपिक का किया था बायकाट
भारत को हक है कि वह अपनी सुरक्षा और राजनीतिक चिंताओं का ध्यान रखे, लेकिन इस मामले में क्रिकेट के बृहत्तर भविष्य को ध्यान में रखकर भी फैसला किया जाना चाहिए।
साशा। पाकिस्तान में फरवरी से मार्च के मध्य 2025 में होने वाली आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी में यदि भारत खेलने नहीं जाता और पाकिस्तान भी इस टूर्नामेंट को हाइब्रिड न कराने की अपनी जिद पर अड़ा रहता है, तो न सिर्फ भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट जगत को अरबों डॉलर कर नुकसान होगा, बल्कि इससे क्रिकेट के वैश्विक भविष्य पर भी सवालिया निशान लग जायेगा। भारत को हक है कि वह अपनी सुरक्षा और राजनीतिक चिंताओं का ध्यान रखे, लेकिन इस मामले में क्रिकेट के बृहत्तर भविष्य को ध्यान में रखकर भी फैसला किया जाना चाहिए। अगर अंतत: इस टूर्नामेंट में किसी वजह से भारत हिस्सेदारी नहीं करता तो भविष्य में दूसरी टीमें भी अपनी राजनीतिक चिंताओं का हवाला देते हुए किसी टूर्नामेंट में हिस्सेदारी करने से मना कर सकती हैं, जिसका अंतत: असर क्रिकेट के वैश्विक भविष्य पर पड़ेगा।
1980 में अमेरिका और उसके 65 सहयोगी देशों ने सोवियत संघ में होने वाले मास्को ओलंपिक का बायकाट किया था। इसकी वजह थी सोवियत संघ का अफगानिस्तान पर आक्रामण। इससे मास्को ओलंपिक हुए तो, लेकिन उनकी साख जरा भी नहीं रही। ठीक इसी तरह जब 1984 में ओलंपिक अमेरिका के लॉस एंजिल्स पहुंचा तो सोवियत संघ और उसके सहयोगी देशों ने भी इसमें हिस्सा लेने से इंकार कर दिया। इसलिए ओलंपिक के इतिहास में 1980 और 1984 के ओलंपिक खेलों को कतई तव्वजो नहीं मिलती, क्योंकि इन ओलंपिक खेलों में ऐसी ऐसी टीमें और खिलाड़ी पदक जीतने में सफ ल रहे, जो ओलंपिक में भाग लेने वाले सभी देशों के खिलाड़ियों की मौजूदगी में शायद ऐसा नहीं कर पाते।
इसके पहले 1970 से 1991 तक दक्षिण अफ्रिका को ओलंपिक से प्रतिबंधित करके रखा गया था, जिससे वहां के तमाम खिलाड़ी इस दौरान अपना कौशल विश्व के सामने प्रस्तुत नहीं कर पाये। ऐसे में यदि यही हाल चैम्पियंस ट्रॉफी का भी होता है तो हमारी क्रिकेट डिप्लोमेसी कमजोर पड़ेगी, जिसका अभी तक डिप्लोमेसी की दुनिया में लोहा माना जाता रहा है। सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, भारत से जले भुने कई दूसरे देश भी हमारे साथ द्विपक्षीय सीरीज खेलने से मना कर सकते हैं। भारत के पास क्रिकेट के दुनिया के कई धुरंदर खिलाड़ी हैं- जैसे कोहली, रोहित और बुमराह। अगर भारत किसी भी वजह से चैम्पियंस ट्रॉफी में हिस्सा नहीं लेता, तो इन्हें इस बड़े वैश्विक टूर्नामेंट और वह भी उसमें जो कि पाकिस्तान में हो रहा है, अपना कौशल दिखाने का मौका नहीं मिलेगा और हो सकता है, अगली चैम्पियंस ट्रॉफी तक इनमें से कई खिलाड़ी मैदान में ही न रहें। कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि चैम्पियंस ट्रॉफी में अगर बाकी बचे 90 दिनों में कोई सकारात्मक फैसला नहीं होता तो क्रिकेट की दुनिया में गाज गिरनी तय है।
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