भारत लगा रहा महाशक्तिशाली रूसी रेडार वोरोनेझ, 8 हजार किमी तक दुश्मन मिसाइल को पकड़ लेगा
उसका करारा जवाब देने की क्षमता से लैस है
यह रूसी रेडार बलिस्टिक मिसाइल, स्टील्थ एयरक्राफ्ट और विभिन्न तरह के हवाई खतरों का बहुत जल्दी पता लगाने और उसका करारा जवाब देने की क्षमता से लैस है।
नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच र-400 एयर डिफेंस सिस्टम के बाद एक और बड़ी डील हो रही है। यह रूस का महाशक्तिशाली रेडार वोरोनेझ है। इससे चीन और पाकिस्तान तक निगरानी करना संभव है। चीन और पाकिस्तान दोनों ही पड़ोसी देश बड़े पैमाने पर परमाणु मिसाइलों का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे में अब भारत भी सतर्क हो गया है। भारत कर्नाटक में चालकेरे के अंदर बने डीआरडीओ के कैंपस में रूस का महाशक्तिशाली रेडार वोरोनेझ लगा रहा है। इस रूसी रेडार वोरोनेझ की रेंज 8000 किमी तक है और इसे 10000 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। यह रूसी रेडार कर्नाटक में लगाए जाने के बाद भी पूरे पाकिस्तान और चीन तक निगरानी करने में माहिर है। यह रूसी रेडार बलिस्टिक मिसाइल, स्टील्थ एयरक्राफ्ट और विभिन्न तरह के हवाई खतरों का बहुत जल्दी पता लगाने और उसका करारा जवाब देने की क्षमता से लैस है।
दुश्मन की तरफ से आने वाली मिसाइलों को तबाह करने में सक्षम
कर्नाटक से चीन के बीच दूरी 1800 किमी है लेकिन यह रेडार अपनी 8 हजार किमी तक सूंघने की ताकत की वजह से वहां तक निगरानी करने में सक्षम है। यह रूसी रेडार विभिन्न वेबबैंड पर काम करने में सक्षम है। इस वजह से यह विभिन्न भूमिका में काम करने में सक्षम है। यह रूसी रेडॉर एक के बाद एक सैकड़ों लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है। भारत इसकी मदद से दुश्मन की आने वाली मिसाइलों का रियल टाइम पता लगा सकेगा और अपने एयर डिफेंस सिस्टम से उसे तबाह करने में सक्षम होगा। भारत इससे देश के लिए एक व्यापक सुरक्षा कवच तैयार कर सकेगा।
रडार का साठ फीसदी हिस्सा भारत में बन सकेगा
भारत को इस डील की मदद से रूस के बेजोड़ रेडार को बनाने की तकनीक के बारे में भी काफी जानकारी मिल सकेगी। इस रेडार का करीब 60 फीसदी हिस्सा भारत में ही बनाने का प्लान है। इससे भारत सीमा पर चौतरफा निगरानी कर सकेगा। भारत और रूस के बीच इस रेडार को लेकर 4 अरब डॉलर की डील हो रही है। अभी तक दुनिया में केवल रूस, चीन और अमेरिका के पास ही इतना शक्तिशाली रेडार सिस्टम है।
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