जैसलमेर : जयपुर के रिसर्चर ने धनवा गांव में खोजी 2200 साल पुरानी रंगकालीन सभ्यता
राजस्थान यूनिवर्सिटी में पुरातात्विक विषय पर शोध कर रहे
जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस महत्वपूर्ण स्थान को संरक्षित करने के संबंध आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
जैसलमेर। जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर पालीवाल ब्राह्मणों के परित्याग गांव धनवा के पास पुरातात्विकविदों की रिसर्चर टीम को करीब 2200 साल पुरानी रंगकालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। यह सभ्यता राजस्थान विश्वविद्यालय के शोधार्थी दिलीप कुमार माली एवं जैसलमेर के जाने माने इतिहासकार पार्थ जगाणी को मिली है जिसकी पुष्टि राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं पुरातत्वविद् डॉ. तमेघ पंवार एवं सुखाड़िया यूनिवर्सिटी उदयपुर के पुरातत्वविद् प्रोफेसर जीवन सिंह खरकवाल आदि अन्य विशेषज्ञों ने की है। द्वितीय शताब्दी ईस्वी पूर्व से लगाकर तृतीय शताब्दी ईस्वी पूर्व तक जिसमें मौर्यकालीन का पतन व कुषाण कालीन की शुरुआत के मृदभांड, मटकियों के टुकड़े, रसोई में काम आने वाले बर्तनों का अवशेष घटनास्थल से मिले हैं। शोधार्थी दिलीप कुमार माली ने बताया कि वे इन दिनों राजस्थान यूनिवर्सिटी में पुरातात्विक विषय पर शोध कर रहे हैं ।
घनवा गांव के पास लगभग 20 गुणा 5 मीटर का एक छोटा सा टीबा है जहां से द्वितीय शताब्दी ईस्वी पूर्व से लगाकर तृतीय शताब्दी ईस्वी पूर्व तक के मृदभांड एवं अन्य महत्वपूर्ण अवशेष चारो ओर बिखरे मिले हैं। जिसके संबंध में हाल ही में राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं पुरातत्वविद् डॉ तमेघ पंवार द्वारा इस टीले का दौरा किया गया एवं यहां से कुछ चयनित नमूने लेकर इस सभ्यता को प्रमाणित किया गया है जिसकी पुष्टि राजस्थान के जाने माने सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद प्रोफेसर जीवन सिंह खरकवाल ने की है। यहां से लोहे के अयस्क भी प्राप्त हुए हैं जो लोहे के व्यापार एवं उपलब्धता को दर्शाते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस महत्वपूर्ण स्थान को संरक्षित करने के संबंध आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
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