निगम में नहीं बनी समितियां, आमजन के काम हो रहे प्रभावित

डेढ़ साल से कर रहे इंतजार, राज्य सरकार के स्तर पर अटका है मामला

निगम में नहीं बनी समितियां, आमजन के काम हो रहे प्रभावित

नगर निगम कोटा में बोर्ड को बने हुए करीब डेढ़ साल का समये हो गया है। लेकिन अभी तक भी निगम में समितियों का गठन नहीं हुआ है। जिससे आमजन के कामों को गति नहीं मिल पा रही है। समितियों का मामला राज्य सरकार के स्तर पर अटका हुआ है।

कोटा। नगर निगम कोटा में बोर्ड को बने हुए करीब डेढ़ साल का समये हो गया है। लेकिन अभी तक भी निगम में समितियों का गठन नहीं हुआ है। जिससे आमजन के कामों को गति नहीं मिल पा रही है। समितियों का मामला राज्य सरकार के स्तर पर अटका हुआ है। कोटा में पहले जहां एक ही नगर निगम थी। उस समय कोटा में 65 वार्ड और भाजपा का बोर्ड था। लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही कांग्रेस सरकार बनी तो कोटा समेत तीन शहरों में वार्डों का परिसीमन कर दिया गया। कोटा में नगर निगम को कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण निगम में बांट दिया गया। साथ ही वार्डों की संख्या भी करीब ढाई गुना अधिक बढ़ाकर 150 कर दी गई। कोटा उत्तर निगम में 70 व कोटा दक्षिण निगम में 80 वार्ड बनाए गए हैं। वार्डों की संख्या अधिक होने से वार्ड पहले से काफी छोटे भी हो गए हैं। नगर निगम के पूर्व के सभी बोर्ड में निगम के कामकाज को सरल करने के लिए समितियों का गठन किया गया था। जिससे उन समितियों के माध्यम से आमजन के कामकाज को समय पर निस्तारण किया जा रहा था। लेकिन कोटा के दोनों निगमों में कांग्रेस के बोर्ड होने व राज्य सरकार भी कांग्रेस की होने के बाद भी निगम में डेढ़ साल बाद तक समितियों का गठन नहीं किया  गया है। वह भी उस स्थिति में जब स्वायत्त शासन मंत्री भी कोटा के ही हैं। कांग्रेस का उदयपुर व कोटा में चिंतन शिविर भी हो चुके हैं। निगम में निर्वाचित पार्षदों के अलावा सहवरित पार्षद भी मनोनीत हो चुके हैं। उसके बाद भी समितियां नहीं बन सकी हैं।

निगम में हैं दो दर्जन समितियां
नगर निगम में कामकाज की दृष्टि से दो दर्जन समितियां बनाई गई हैं। जिनमें कार्यकारी समिति, भवन निर्माण स्वीकृति समिति, सफाई व्यवस्था समिति, वित्तीय समिति, स्वास्थ्य समिति,कच्ची बस्ती सुधार समिति,राजस्व कर वसूली समिति,गैराज वाहन संचालन व्यवसथा समिति, स्वर्ण जयंती रोजगार प्रबंध समिति,गौशाला समिति, अतिक्रमण निरोधक समिति, निर्माण समिति,उद्यान समिति, मेला समिति, सुरक्षा समिति समेत कई अन्य समितियां बनी हुई थी।

दस सदस्यीय समिति मेंं एक अध्यक्ष
नगर निगम में पूर्व में बनी दो दर्जन समितियों में  अधिकतर पार्षदों को शामिल किया गया था। दस सदस्यीय हर समिति में एक अध्यक्ष होता है और शेष सदस्य। सभी समितियों में महापौर व उप महापौर तक को शामिल किया जाता है। महापौर जहां कार्यकारी व भवन निर्माण स्वीकृति समेत अन्य समितियों में अध्यक्ष रहे हैं। वहीं उप महापौर सफाई समिति के अध्यक्ष रहे थे। हालांकि निगम के पिछले बोर्ड में दो सफाई समितियां थी कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण के हिसाब से लेकिन उनमें से एक की अध्यक्ष उप महापौर व दूसरे के एक पार्षद अध्यक्ष थे। 

90 दिन तक महापौर को अधिकार, बाद में सरकार के पाले में
नगर निगम में समितियों के गठन का अधिकारी बोर्ड  बनने के तीन माह तक तो स्थानीय स्तर पर ही महापौर के अधिकार क्षेत्र में रहता है। लेकिन उससे अधिक समय होने के बाद वह मामला राज्य सरकार के पाले में चला जाता है। कोटा में बोर्ड गठन के तीन माह में दोनों ही निगमों के महापौर समितियों का गठन नहीं कर सके। ऐसे में अब यह मामला राज्य सरकार के पास लम्बित है।

हर दो से तीन माह में बैठकों का प्रावधान
नगर निगम की पूर्व गैराज समिति के अध्यक्ष गोपालाम मंडा ने बताया कि निगम में समितियों का गठन आमजन के कामों को गति प्रदान करने के लिए किया गया है। जिस अनुभाग से संबंधित मामला निगम में आता था वह संबंधित समिति के पास पहुंच जाता था। समिति के सदस्य हर दो से तीन माह में बैठक कर उन मामलों का निस्तारण करते थे। उसके बाद अधिकारी उसे आगे बढ़ाते थे। जिससे जनता के काम समय पर हो रहे थे। लेकिन निगम में समितियां नहीं बनने से अधिकतर काम अधिकारियों के पास है। अधिकारियों के पास पहले से ही काफी अधिक काम हैं। निगम के अलावा अन्य बैठकों में भी लगातार जाने के कारण उन्हें समय कम मिल पा रहा है। जिससे भवन निर्माण समेत कई मामलों का समय पर निस्तारण नहीं हो पा रहा है। 

दशहरा मेले का काम मेला समिति के जिम्मे
नगर निगम द्वारा हर साल दशहरा मेले का आयोजन किया जाता है। जिसकी पूरी तैयारी निगम की मेला समिति ही करती है। अधिकारियों के साथ बैठक कर उसकी पूरी रूपरेखा तैयार करने से लेकर कलाकारों को बुलाने, कार्यक्रम तय करने, दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया और मेले में आमजन की सुविधा को ध्यान रखते हुए शहर वासियों का सहयोग लेने और मेले को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने समेत सभी काम समिति सदस्यों द्वारा किए जाते रहे हैं। हांलाकि कोरोना संक्रमण के चलते दो साल से मेले का आयोजन नहीं हो रहा है। सिर्फ रावण दहन की परम्परा का निर्वहन हो रहा है। लेकिन इस बार कोरोना का खतरा अभी तक तो नहीं है। ऐसे में यदि मेला भरता है तो समिति नहीं होने से पूरा आयोजन अधिकारियों के हाथों में होगा।

नेता प्रतिपक्ष भी नहीं बने
नगर निगम में कांग्रेस के बोर्ड में जहां अभी तक समितियों का गठन नहीं हो सका है। वहीं दोनों निगमों में विपक्ष की भूमिका में भाजपा भी अपने नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर सके हैं। दोनों नगर निगमों में बिना नेता प्रतिपक्ष के ही अभी तक बोर्ड की बैठकें हुई हैं। ऐसे में विपक्ष भी एकजुट नहीं दिख पाता। वहीं भाजपा शहर अध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी का कहना है कि पूरे प्रदेश की निगमों में अभी तक नेता प्रतिपक्ष नहीं बने हैं। पार्टी जब उचित समझेगी तो सभी जगह पर एक साथ नेता प्रतिपक्ष का चयन करेगी।

इनका कहना है
निगम में समितियों के गठन का अधिकार क्षेत्र राज्य सरकार के पास है। सरकार जब उचित समझेगी तब समितियों का गठन कर दिया जाएगा। वैसे निगम में कामकाज चल रहा है। समितियां बन जाएंगी तो काम उनके हिसाब से किया जाएगा।
-मंजू मेहरा, महापौर, नगर निगम कोटा उत्तर

नगर निगम में समितियों के गठन का अधिकार हमारे पास तीन माह तक था। उससे अधिक समय हो गया है। अब यह मामला राज्य सरकार के पास है। समितियों का गठन कब तक होगा इस बारे में स्वायत्त शासन मंत्री ही कुछ बता सकते हैं। सरकार जब समितियों का गठन कर देगी तो काम का बंटवारा कर दिया जाएगा। लेकिन फिलहाल कामकाज चल रहा है।
- राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण

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