असर खबर का : फल व छायादार पेड़ों की आई मूल्यांकन रिपोर्ट
दैनिक नवज्योति ने मजबूती से रखा था किसानों का पक्ष,दरा-झालावाड़ एनएच 52 पर सिक्स लेन सड़क के लिए अवाप्त भूमि का मामला, तीन साल से चल रहा था विवाद, किसानों के अवार्ड का रास्ता हुआ साफ
दैनिक नवज्योति ने मजबूती के साथ किसानों का पक्ष रखते हुए प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किए थे। इसके बाद अधिकारियों ने किसानों से किए वादे के मुताबिक पूरा मुआवजा देने की सहमति दी और इस पर काम शुरू हुआ।
रामगंजमंडी। दरा-झालावाड़ एनएच 52 पर सिक्स लेन सड़क मार्ग पर पिछले 3 साल से चल रहे किसानों के फलदार छायादार पेड़ों के मुआवजा विवाद की मूल्यांकन रिपोर्ट आने के बाद मुआवजा अवार्ड बनाने का रास्ता साफ हो गया है। मामले में दैनिक नवज्योति ने मजबूती के साथ किसानों का पक्ष रखते हुए प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किए थे। इसके बाद अधिकारियों ने किसानों से किए वादे के मुताबिक पूरा मुआवजा देने की सहमति दी और इस पर काम शुरू हुआ।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2017-18 में यहां सड़क निर्माण के लिए भूमि अवाप्ति की कार्यवाही हुई थी। लेकिन किसान कृषि भूमि की मुआवजा दर से संतुष्ट नहीं थे और अरनिया कलां, बांस्याहेडी, गोला 3 गांव के किसानों के असंतोष के कारण सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया था। वर्ष 2019 में उपखंड अधिकारी चिमनलाल मीणा, परियोजना निदेशक, पटेल कंपनी, तहसीलदार एवं किसानों की संयुक्त बैठक में आपसी समझाइश से यह तय हुआ था कि जमीन की दर कोर्ट से तय करवा ली जाए एवं छूटे हुए पौधों का पुन: सर्वे करवाकर किसानों का उसका मुआवजा दे दिया जाए। जिस पर दोनों पक्ष सहमत हुए। एसडीओ रामगंजमंडी द्वारा गठित टीम ने सर्वे कर किसानों के छूटे हुए पौधों की सूची तैयार की। किसानों को इस सूची के अनुसार पौधों का मुआवजा देने के लिए आश्वस्त किया। जिस पर किसानों ने सहमति जता दी। पिछले एक डेढ़ वर्ष से बंद पड़ा सड़क निर्माण कार्य चालू हो गया। सड़क निर्माण कार्य चालू होते ही निर्माण एजेंसी ने मशीनें लगाकर सारे पौधे तोड़ दिए। मिट्टी खोदकर गिट्टी की कुटाई कर दी और सड़क को जमीन लेवल से 4 से 6 फीट ऊपर उठा दिया। उसके बाद निर्माण विभाग ने किसानों को मौके पर पेड़ नहीं होने की बात कहकर मुआवजा देने से इंकार कर दिया। किसानों ने बहुत हाथ-पैर मारे लेकिन तब उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। भाजपा के किसान नेता वीरेंद्र जैन ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधायक मदन दिलावर एवं सभी उच्चाधिकारियों से संपर्क कर मामले को दोबारा उठाया और किसानों को न्याय दिलाने के की मांग की। जिसमें दैनिक नवज्योति ने किसानों का पक्ष मजबूती से रखा तो अधिकारियों ने किसानों से किए वादे को पूरा कर मुआवजा देने की सहमति दी और इस पर काम शुरू हुआ। कार्यवाही आगे बढ़ी और पूरे मामले की पुन: समीक्षा की गई। तहसीलदार रामगंजमंडी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। जिसने वेरीफिकेशन रिपोर्ट तैयार की और सैद्धांतिक सहमति देते हुए माना कि मौके पर किसानों के पेड़ थे। जिसे निर्माण एजेंसी ने आनन-फानन में उखाड़ा है। किसानों से पौधों के शपथ पत्र देकर मूल्यांकन के लिए भेजे गए छायादार पेड़ों की रिपोर्ट वन विभाग और फलदार पेड़ों की मूल्यांकन रिपोर्ट फलोद्यान विभाग ने तैयार कर प्रस्तुत की है। जिससे किसानों के पौधों का मुआवजा अवार्ड बनने की कार्यवाही पूर्ण हो सकेगी।
डेढ़ वर्ष तक बंद रहा निर्माण कार्य
किसानों के विरोध के कारण निर्माण एजेंसी 3 गांवों में डेढ़ वर्ष तक सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पाई। तब उपखंड कार्यालय द्वारा किसानों को समझा कर सहमत किए जाने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू हो पाया। लेकिन अपना काम बनते ही निर्माण एजेंसी ने किसानों की तरफ से मुंह फेर लिया और अपने वादे से मुकर गई। 3 से 4 साल तक चले इस विवाद के दौरान 5 उपखंड अधिकारी बदले। जिनमें तीन आईएएस थे। सभी पांचों अधिकारियों ने मजबूती से किसानों का साथ दिया और माना कि किसानों की कोई गलती नहीं है।
जिला कलक्टर ने दिया था आश्वासन
गुरुवार को जनप्रतिनिधियों ने जिला कलक्टर हरिमोहन मीणा को ज्ञापन दिया था। जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया था कि फलदार पौधों के मामले में किसानों को अवार्ड दिलाने की पूरी कोशिश की जाएगी।
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