दिमाग के धनी पर बने गुब्बारे (एन्यूरिज्म) का क्लिपिंग द्वारा सफल ऑपरेशन
मथुरादास माथुर अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में खून की नलियों पर बने गुब्बारे (एन्यूरिश्म) के फटने से गंभीर अवस्था में पहुंचे मरीजों को क्लिपिंग द्वारा ऑपरेशन कर सही किया गया।
आज से 20 दिन पूर्व 80 वर्षीय महिला को अचेत अवस्था में एमडीएम के न्यूरोसर्जरी विभाग में लाया गया जिसकी सम्पूर्ण जांच मय सीटी स्केन एवं एन्जियोग्राफी करवाने पर पाया गया कि इसके विभाग की एक धमनी एन्टीरियर कम्यूनिकिटिंग ऑर्टरी पर बना गुब्बारा (अकॉम एन्यूरिश्म) फटने से मरीज इस अवस्था में पहुंची है।
जोधपुर। मथुरादास माथुर अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में खून की नलियों पर बने गुब्बारे (एन्यूरिश्म) के फटने से गंभीर अवस्था में पहुंचे मरीजों को क्लिपिंग द्वारा ऑपरेशन कर सही किया गया।
आचार्य एवं ईकाई बी प्रभारी डॉ शरद थानवी ने बताया कि एन्यूरिश्म खून की नलियों की दीवार के कमजोर होने से बने वो गुब्बारे होते है जिनके फटने से मरीज को बहुत तेज सरदर्द होता है। तथा जिसके साथ बेहोश होना, मिर्गी का दौरा आना या हाथ पैर में कमजोरी आना, इत्यादि लक्षण भी आ सकते है। आज से 20 दिन पूर्व 80 वर्षीय महिला को अचेत अवस्था में एमडीएम के न्यूरोसर्जरी विभाग में लाया गया जिसकी सम्पूर्ण जांच मय सीटी स्केन एवं एन्जियोग्राफी करवाने पर पाया गया कि इसके विभाग की एक धमनी एन्टीरियर कम्यूनिकिटिंग ऑर्टरी पर बना गुब्बारा (अकॉम एन्यूरिश्म) फटने से मरीज इस अवस्था में पहुंची है। ऐसी ही बीमारी से ग्रसित 56 वर्षीय पुरूष को तेज सर दर्द की शिकायत के साथ न्यूरोसर्जरी इमरजेन्सी में लाया गया जहां पर सीटी स्केन करवाने पर एन्यूरिश्म के फटे होने की शंका पर सीटी एन्जियोग्राफी करवायी गयी जिसमें मीडल सीरीबल ऑर्टरी (एमसीए) पर बने गुब्बारे का फटना पाया गया।
सहायक आचार्य डॉ हेमन्त बेनीवाल ने बताया कि ऐसे मरीजों की सर्जरी बहुत ही रिस्की होती है जिसमें संबंधित खूनी की नली पर पहुंच कर उस गुब्बारे की नेक पर क्लीप लगाकर खून के बहाव को धमनियों में ही सुरक्षित किया जाता है। ऐसी सर्जरी में अत्यधिक तकनीकी दक्षता की आवश्यकता होती है अन्यथा एन्यूरिश्म में से पुनः रक्त स्राव की संभावना रहती है जिससे मरीज को लकवा आना, आवज चली जाना एवं अन्य विकास होने का खतरा रहता है।
उक्त दोनों मरीजों को माइक्रोसर्जीकल क्लिपिंग द्वारा सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद भी अगले 7-15 दिन अत्यधिक क्रिटीकल रहते है अतः मरीजों को आईसीयू में रखकर क्रिटीकल केयर टीम की सहायता से पूर्णतः स्टेबल कर वार्ड में शिफ्ट किया गया। अब दोनों मरीज पूर्णतः स्वस्थ है तथा अगले एक से दो दिन में डिस्चार्ज कर दिया जायेगा।ऑपरेशन टीम में आचार्य एवं ईकाई प्रभारी डॉ शरद थानवी, सहायक आचार्य डॉ हेेमन्त बेनीवाल एवं सीनियर रेजिडेन्ट डॉ सन्दीप कुण्डल एवं डॉ लख्मीचन्द्र शामिल थे। निश्चेतना विभाग की टीम में वरिष्ठ आचार्य डॉ शोभा उज्जवल, आचार्य डॅा गीता सिंगारिया, सहायक आचार्य डॉ. पूजा, सीनियर रेजिडेन्ट डॉ आभास एवं रेजिडेन्ट विनेश, प्रतिमा सम्मिलित थे। सिस्टर रेखा, भारत, मुरली एवं युवराज ने स्टाफ के रूप में ऑपरेशन में सहयोग रहा।
विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ आचार्य डॉ सुनील गर्ग ने उपरोक्त उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए विभाग में ऐसे ऑपरेशन की निरन्तरता पर जोर दिया। प्राचार्य डॉ. दिलीप कच्छवाहा एवं एमडीएम अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने सम्पूर्ण टीम को ऐसे जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के लिए बधाई दी। अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने बताया कि दोनो ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत पूर्णतः निशुल्क किये गये।
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