मुट्ठी भर नर्सिंगकर्मियों के भरोसे मरीज : राजधानी में दो हजार से अधिक नर्सिंगकर्मियों की कमी
एसएमएस सहित अन्य अस्पतालों में नर्सेज की भारी कमी, नतीजा : मरीजों को नहीं मिल पा रही उचित केयर
जयपुर। डॉक्टर जहां मरीजों का इलाज करते हैं वहीं नर्सिंगकर्मी सेवा करते हैं। डॉक्टर और मरीज के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी नर्सिंग स्टाफ है। इन्हीं की सेवा की बदौलत मरीज जल्दी ठीक होते हैं। नर्सिंगकर्मी की मरीजों के इलाज और उसकी केयर करने में क्या अहमियत होती है यह कोरोना काल में नर्सिंगकर्मियों ने अपने काम से सभी को अवगत करा दिया है। इसके बावजूद सरकार अस्पतालों में नर्सिंगकर्मियों की कमी को नजरअंदाज कर रही है और मरीजों की भीड़ के मुकाबले मुट्ठी भर नर्सिंगकर्मियों के भरोसे अपना काम चला रही है। इसका नतीजा यह निकल रहा है कि वार्डों, आईसीयू, ओपीडी में मरीजों को उचित नर्सिंग केयर नहीं मिल पा रही है और ऐसे में मरीजों को जहां इलाज में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी जयपुर की बात करें तो एसएमएस सहित मेडिकल कॉलेज से जुड़े अन्य अस्पतालों में करीब तीन हजार नर्सेज ही काम कर रहे हैं जबकि मरीजों के अनुपात में करीब पांच हजार नर्सेज की तो हर हाल में जरूरत है।
ये है राजधानी के बड़े अस्पतालों का हाल
अस्पताल भर्ती मरीजों की क्षमता ओपीडी (प्रतिदिन) नर्सिंगकर्मी (वर्तमान) आवश्यकता
सवाईमानसिंह 2500 8 से 10 हजार 1800 3000
जेके लोन 800 2500 315 400
जयपुरिया 500 1500 175 325
कांवटिया 150 1500 200 200
जनाना 519 600 319 370
महिला अस्पताल 504 500 230 290
नोट: सवाई मानसिंह अस्पताल में 1800 में से करीब 200 नर्सेज अस्पताल प्रशासन और सिफारिशों के चलते मरीजों की सेवा छोड़कर अन्य कामों में लगे हैं। चांदपोल स्थित जनाना अस्पताल में प्रसूताओं के इलाज और डिलीवरी का जयपुर में सबसे ज्यादा दबाव रहता है। इसके बावजूद नर्सिंगकर्मियों की कमी है।
14 हजार पद खाली
नर्सेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो प्रदेश में नर्सिंग के 69 हजार 400 पद स्वीकृत हैं। इसके अनुपात में महज 55 हजार ही वर्तमान में अस्पतालों में कार्यरत हैं। ऐसे में 14 हजार 400 पद खाली पड़े हैं। प्रदेश के सबसे बड़े कोविड अस्पताल आरयूएचएस, सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों सहित प्रदेश के अन्य अस्पतालों में नर्सेज की भारी कमी है।
मरीज-नर्सेज अनुपात
इंडियन नर्सिंग काउंसिल के तय मापदंडों के अनुसार आईसीयू में भर्ती तीन मरीजों पर एक नर्स का होना जरूरी है। अगर मरीज ज्यादा सीरियस है तो एक बैड पर एक नर्स चाहिए और जनरल वार्ड में 20 मरीजों पर एक नर्स का होना बेहद जरूरी है, लेकिन नर्सेज की कमी के चलते ये मापदंड सिर्फ कागजी ही बनकर रह गए हैं।
मरीजों को कौंसिल के तय मापदंडों के अनुसार नर्सेज की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। स्वीकृत पदों पर भर्ती हो और नए पदों का सृजन हो तो राहत मिल सकती है। -डॉ. शशिकांत शर्मा, रजिस्ट्रार, राजस्थान नर्सिंग काउंसिल
ए क तरफ जहां अस्पतालों में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उसे देखते हुए नर्सेज भारी दबाव में काम कर रहे हैं। राज्य सरकार को नवीन पदों का सृजन करते हुए तुरंत नर्सिंग स्टाफ की भर्ती करनी चाहिए। -सुनील शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन
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